15 स्टूडेंट्स के साथ 800 साल बाद फिर से शुरु हुई नालंदा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई
नयी दिल्ली। भारतीय इतिहास की महान विरासत मानी जाने वाली विश्व प्रसिद्ध नालंदा यूनिवर्सिटी आज सदियों बाद एक बार फिर से सैकड़ों साल बाद फिर से खुल गई है। बिहार की इस यूनिवर्सिटी के पहले ही सेशन में पूरी दुनिया से एक हजार से ज्यादा ऐप्लिकेशंस मिलीं। इस विश्वविद्य़ालय के नए सेशंन की शुरुआत सोमवार 1 सितंबर से की गई। फिलहाल इसमें 15 स्टूडेंट्स हैं जिनमें पांच महिलाएं हैं। 10 फैकल्टी मेंबर हैं।
यूनिवर्सिटी की वीसी गोपा सभरवाल ने बताया कि सोमवार से पहला सेशन शुरू करने के लिए तैयार हैं। विश्वविद्य़ालय में स्कूल ऑफ हिस्टॉरिकल साइंसेस और स्कूल ऑफ इनवायर्नमेंट और इकॉलॉजी के स्टूडेंट्स का ऑरिएंटेशन प्रोग्राम शुक्रवार से ही शुरू हो गया था।
कई सालों पहले नष्ट हो चुकी इस यूनिवर्सिटी के लिए फिलहाल पटना से 100 किलोमीटर दूर बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल राजगिर में एक कामचलाऊ कैंपस बनाया गया है। यूनिवर्सिटी का कैंपस राजगिर में ही बनना है। इस कैंपस से 12 किलोमीटर दूर ही वह जगह है जहां प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी थी। 12वीं सदी में इसे यूनिवर्सिटी को तुर्की के हमलावरों ने नष्ट कर दिया था।
यूनिवर्सिटी का औपचारिक उद्घाटन मध्य सितंबर में हो सकता है। यह एक आवासीय विश्वविद्यालय होगा। इसे 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें सात स्कूल होंगे। यहां पोस्ट ग्रैजुएशन और डॉक्टरेट लेवल की ही पढ़ाई होगी। यहां साइंस, फिलॉसफी, स्पिरिचुऐलिटी और सोशल साइंस पढ़ाई जाएंगी।