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Navratri 2022: बाघराज में प्रत्यक्ष रुप से रहते हैं 'अजगर दादा', कभी यहां ‘बाघ' भी दर्शन करने आते थे

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सागर, 26 सितंबर। सागर के कनेरादेव इलाके में मातारानी का एक दिव्य और चमत्कारिक मंदिर ऐसा भी है जहां कभी बाघ दर्शन करने आते थे। पुराने लोगों ने रात के समय यहां बाघों की दहाड़ भी सुनी है। सबसे आश्चर्यजनक बात मंदिर के आसपास के इलाके में विशालकाय 'अजगर दादा' आज भी विचरण करते हैं। करीब 20 से 25 फीट लंबा अजगर यहां सदियों से रहे रहा है। जब-तब लोगों को दर्शन भी हो जाते हैं, लेकिन आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। मां के दरबार के ठीक सामने पहाड़ी पर हनुमानजी मदिर के पीछे की गुफा में उनका स्थाई ठिकाना है। उन्हें मंदिर का पहरेदार भी माना जाता है।

बाघराज में विराजी माता की प्रतिमा करीब 16वीं सदी कि हैं जो स्वयं प्रकट हैं।

बाघराज में विराजी माता की प्रतिमा करीब 16वीं सदी कि हैं जो स्वयं प्रकट हैं।

मप्र के संभागीय मुख्यालय सागर में कनेरादेव के पास लाल पहाड़ी पर बाघराज मंदिर बना हुआ है। हाल ही के वर्षों में मंदिर का जीर्णोद्धार कर लाल धौलपुरी पत्थरों से सजाया गया है। इस भव्य मंदिर को लेकर पुराने लोग बताते रहे हैं कि सागर की बसाहट के पहले यह निर्जन पहाड़ी इलाका था। यहां मंदिर में विराजी माता की प्रतिमा करीब 16वीं सदी कि हैं जो स्वयं प्रकट हैं। मंदिर को लेकर इलाके में एक किवदंती है कि यहां पर बाघ माता के दर्शन करने आते थे। शहर की बसाहट और आबादी बढ़ने के बाद यह सिलिसिला धीरे-धीरे बंद हो गया। हालांकि मंदिर के सामने पहाड़ी पर आज भी बाघ की प्रतिमा मातारानी के दर्शन करते हुए मौजूद है। मंदिर परिसर में माता के मंदिर के साथ बटुक भैरव मंदिर, भोलेनाथ का मंदिर, सामने पहाड़ी पर श्री बजरंग बली का मदिर, पास में ही शनिदेव मंदिर, नीचे गुफा में प्राकृतिक शिव दरबार मौजूद है।

16वीं सदी में स्थापित हुआ था मंदिर, सागर बसने की शुरुआत हुई थी

16वीं सदी में स्थापित हुआ था मंदिर, सागर बसने की शुरुआत हुई थी

सागर शहर का जब वजूद भी नहीं था, उस समय से लाल पहाड़ी पर बाघराज इलाके में माता रानी का मंदिर स्थापित हो गया था। मंदिर के आसपास लाल पत्थरों की लंबी-चैड़ी पहाड़ी श्रंखला मौजूद रही हैं, जो धीरे-धीरे शहरीकरण के कारण अब काॅलोनियों में तब्दील होती जा रही हैं। कुल मिलाकर करीब 16 वीं सदी में यहां माता हरसिद्ध मंदिर की स्थापना के प्रमाण मिलते हैं। यह मंदिर अपने आप में अलौकिक और चमत्कारिक माना जाता है। मंदिर में के गर्भगृह में वर्तमान में मातारानी की तीन प्रतिमाएं मौजूद है। इनमें सबसे पुरानी प्रतिमा को स्वयं प्रकट प्रतिमा बताया जाता है। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा ऐतिहासिक बताई जाती हैं।

विशालकाय एनाकोन्डा जैसे आकार के अजगर दादा नौरात्र में दर्शन देते हैं

विशालकाय एनाकोन्डा जैसे आकार के अजगर दादा नौरात्र में दर्शन देते हैं

यह आश्चर्य जनक लेकिन सच है कि बाघराज इलाके में एक विशालकाय अजगर भी रहता है। लोग इसकी पूजा करते हैं। जिन लोगों ने इन्हें नजदीक से देखा है, उनके अनुसार एनाकोंडा के समान दिखाई देने वाले अजगकर की लंबाई करीब 25 फीट या इससे ज्यादा ही होगी। मंदिर कमेटी के सदस्य और आसपास के इलाके के लोगों ने इन्हें कई दफा छू-कर तक देखा है। विशाल अजगर को यहां 'अजगर दादा' के नाम से पुकारा जाता है। कमेटी के सदस्य बताते हैं कि कई पीढ़ियों से लोग उनके दर्शन करते आ रहे हैं। हनुमान मंदिर की पहाड़ी के पीछे गुफा में उनका स्थान हैं। वे यहां जब-तब दर्शन देने निकलते हैं। रिकाॅर्ड है उन्होंने यहां कभी इंसान तो क्या जानवर या पशु-पक्षी तक को नुकसान नहीं पहुंचाया। लाल पहाड़ी के पीछे बनी काॅलोनी इलाके में करीब 100 से अधिक छोटे-छोटे अजगरों को बीते 4 साल में पकड़कर जंगल में छोड़ जा चुका है, इससे यह माना जा सकता है कि यह इलाका इनका प्राकृतिक आवास है।

नागों के रुप में रहते हैं दिव्य संन्यासी, संत

नागों के रुप में रहते हैं दिव्य संन्यासी, संत

बाघराज मंदिर के पुजारी पुष्पेद्र महाराज बताते हैं कि मंदिर में हरसिद्धि माता विराजमान है। इनकी कई कहानियां, किवदंतियां और चमत्कार जब-तब सुनने में आते रहे हैं। यहां लोगों की मुरादें भी पूरी होती हैं। पुष्पेंद्र महाराज के अनुसार मंदिर के आसपास रात में जब-तब बड़े-बड़े काले नाग भी दिखते हैं। वे यहां कमरों में देवी माता के श्रृगार के वस्त्रों की पेटियों, पलंग, घट के आसपास तक पहुंच जाते हैं। कभी दिखते हैं तो कभी अपने-आप ओझल हो जाते हैं। मुख्य मंदिर के फर्श पर तो कई दफा लोगों ने प्रत्यक्ष देखा है। बुजुर्ग बताते रहे हैं कि माता के भक्त, संन्यासाी व संत पुरुष हैं जो इस रुप में यहां पहरा देते हैं, दर्शन करने आते हैं।

धौलपुरी पत्थरों से हुआ जीर्णोद्धार

धौलपुरी पत्थरों से हुआ जीर्णोद्धार

बाघराज मंदिर का हाल के वर्षों में जीर्णोद्धार कराया गया है। कमेटी ने धौलपुरी पत्थरों से मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर भव्य रुप से माता का दरबार सजाया है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहां मेला भरता है। कनेरादेव में रहने वाले परिवार सहित अन्य लोग माता हरसिद्धि को कुलदेवी के रुप में पूजते हैं। यहां नवरात्र में बाहर से भी लोग दर्शन करने, चुनरी चढ़ाने आते हैं।

MP: किचन के फ्रिज में छिपा था अजगर, बना लिया था घर, ओपन करते ही फुंकारा, देखकर होश फाख्ताMP: किचन के फ्रिज में छिपा था अजगर, बना लिया था घर, ओपन करते ही फुंकारा, देखकर होश फाख्ता

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English summary
The divine and grand temple of Mata Harsiddhi situated on the Red Hill in the Sagar of MP is decorated. There are beliefs associated with this temple, established in the 16th century, that the tigers used to come here to visit Mata. Another apparent miracle is associated with the temple, in which the python grandfather of about 25 feet lives in the cave located in front of the temple. Every year the devotees who come here get their darshan.
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