Miracle: बच्चे की आंख में घुसा नुकीला पेंचकस, फिर हुआ अचानक करिश्मा, क्योंकि डॉक्टर खड़े कर चुके थे हाथ
(Miracle) आप कल्पना कीजिए, कि यदि किसी बच्चे की आंख में अंदर तक पेंचकस घुस जाए, तो उसका क्या हाल होगा? खेल-खेल में मप्र के छिंदवाड़ा जिले में 3 साल के मासूम बच्चे के साथ ऐसा ही हुआ। घर वालों ने जब बच्चे को देखा तो उनके होश उड़ गए। सरकारी अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर्स ने भी इलाज को लेकर हाथ खड़े कर दिए। लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ वह किसी बड़े करिश्मे से कम नहीं हुआ। पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट।

3 साल के आकाश के साथ ऐसे हुई घटना
छिंदवाड़ा जिले के बदनूर गांव के रहने वाले पटले परिवार में यह आश्चर्यजनक घटना हुई। शंकर पटले का 3 साल का बेटा आकाश जब घर पर खेल रहा था, तो उसने बिजली का टेस्टर पेंचकस उठा लिया। खेल-खेल में अचानक वह पेंचकस उसकी आंख में घुस गया। जब उसके रोने की आवाज सुनकर जब घर वालों ने आकाश की हालत देखी तो उनके होश उड़ गए। पेंचकस निकलवाने परिजन आकाश को उसी हाल में जिला अस्पताल पहुंचे।

आंख में पेंचकस घुसा देख डाक्टर्स ने हाथ खड़े किए
आंख में पेंचकस घुसे हुए बच्चे को लेकर परिजन जब छिंदवाड़ा जिला अस्पताल पहुंचे तो ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर्स भी हैरान रह गए। उन्होंने आकाश को नागपुर रेफर कर दिया। इससे परिजनों की चिंता और बढ़ गई। बच्चा बिलखता रहा और घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उनको लगा कि कही ऐसा ना हो कि नागपुर पहुंचने पर भी डाक्टर इलाज करने से मना कर दें।

..फिर एंबुलेंस में जाते वक्त हुआ चमत्कार
आकाश के पिता शंकर पटले ने बताया कि भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, कि उनके बच्चे को कुछ ना हो। आंख भी सुरक्षित रहे और उसकी जिंदगी भी। रेफर होने के बाद किसी तरह एंबुलेंस की और उससे आकाश को नागपुर ले जा रहे थे। तभी बीच रास्ते में एक गड्ढे में झटके से गाड़ी निकली। इसी दौरान अचानक आकाश की आंख में घुसा पेंचकस निकल गया। जिसके बाद घर वालों ने राहत की सांस ली।

नागपुर के डाक्टर्स बोले किस्मत वाले हो
आकाश के घर वालों ने बताया कि शरीर के नाजुक अंग आंख जैसी जगह में पेंचकस घुसना बहुत डेंजर माना जाता है। इस स्थिति में आंख से पेंचकस निकालना भी चैलेंज होता है। ये गनीमत थी कि बच्चे की आंख की पुतली के किनारे पेंचकस घुसा। चिकित्सकों ने आकाश के गहर वालों को कहा कि आप लोग किस्मत वाले हो कि आंख को ज्यादा नुकसान हुए बिना पेंचकस अपने आप निकल गया।

छिंदवाड़ा की चिकित्सा व्यवस्था पर उठे सवाल
एक तरफ आकाश के गंभीर खतरे से बाहर निकालने की ख़ुशी थी तो परिजनों और ग्रामीणों ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए है। शंकर पटले ने आरोप लगाया कि जब वे बच्चे को लेकर सबसे पहले जिला अस्पताल पहुंचे थे तो डाक्टर्स ने बिना जांच किए ही रेफर कर दिया। यदि बच्चे की हालत देखते हुए उसका एक्सरे और अन्य प्राथमिक उपचार करने का प्रयास करते तो हो सकता था कि उन्हें नागपुर जाने की जरुरत ही नहीं पड़ती। CMHO की दलील है कि ऐसे मामलों में जोखिम नहीं लिया जा सकता, इसलिए ड्यूटी डाक्टर ने रेफर किया होगा।