उत्तर कोरिया ने 2018 में अपने परमाणु संयंत्र क्या सच में नष्ट कर दिए थे?
उत्तर कोरिया ने पिछले दिनों लगातार कई मिसाइलों का परीक्षण किया है. आख़िर किम जोंग उन इन परीक्षणों से क्या हासिल करना चाहते हैं और दुनिया से उन्होंने जो वादा किया था उसका क्या हुआ.
उत्तर कोरिया ने पिछले हफ़्ते कई मिसाइलों का परीक्षण किया. इन परीक्षणों से साफ़ होता है कि प्रतिबंधों के बाद भी वो अपने हथियार कार्यक्रम को मज़बूती से आगे बढ़ा रहा है. हालांकि उत्तर कोरिया का दावा है कि अमेरिका के संभावित हमले से ख़ुद को बचाने के लिए ये परीक्षण किए गए हैं.
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया के अनुसार, 'सितंबर में ही नई हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण के अलावा एक ट्रेन से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया. साथ ही, लंबी दूरी की एक क्रूज़ मिसाइल का भी परीक्षण किया गया.'
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पदभार ग्रहण करने से कुछ दिन पहले, इस साल जनवरी में, उत्तर कोरिया ने सैनिकों की एक परेड में पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल का प्रदर्शन किया था. इस मिसाइल को "दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार" बताया गया. हालांकि इस हथियार की वास्तविक क्षमता साफ़ नहीं है क्योंकि इसके परीक्षण होने या न होने के बारे में पता नहीं चल सका है.
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन ने देश के परमाणु हथियारों के भंडार और सैन्य क्षमता को बढ़ाने का संकल्प लिया है. साथ ही उन हथियारों की एक सूची पेश की है जिसे उत्तर कोरिया हासिल करना चाहता है. आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, उत्तर कोरिया अपने हथियारों को उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाने में कामयाब रहा है.
अमेरिका तक पहुंचने वाली मिसाइलें
उत्तर कोरिया ने 2017 में अपनी क्षमता बढ़ाते हुए कई मिसाइलों का परीक्षण किया था. इन मिसाइलों में से एक ह्वासोंग-12 के बारे में माना जाता है कि ये 4,500 किमी तक मार कर सकता है और इससे प्रशांत महासागर के गुआम द्वीप पर स्थित अमेरिका के सैनिक ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है.
बाद में, 8,000 किमी. तक की मारक क्षमता वाली ह्वासोंग-14 मिसाइल का भी परीक्षण किया गया. हालांकि कुछ अध्ययनों के अनुसार, यह मिसाइल 10,000 किमी तक की दूरी भी तय कर सकती है. इस मिसाइल के चलते उत्तर कोरिया की पहुंच न्यूयॉर्क तक हो सकती है. ये मिसाइल सही मायने में उसकी पहली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है.
और अंत में, उसी साल ह्वासोंग-15 का परीक्षण भी किया गया. वो मिसाइल लगभग 4,500 किमी की ऊंचाई तक गई, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ऊंचाई से 10 गुना अधिक है. यदि वो मिसाइल अधिक सीधे रास्ते पर दागी जाए, तो उसकी अधिकतम सीमा 13,000 किमी भी हो सकती है. और इस तरह पूरा अमेरिका महाद्वीप उत्तर कोरिया की मारक सीमा के दायरे में आ जाएगा.
उसके बाद पिछले साल के अक्टूबर में उत्तर कोरिया ने अपनी नई बैलिस्टिक मिसाइल पर से पर्दा हटाया. हालांकि अभी तक इसका नाम नहीं रखा गया है और न ही इसका परीक्षण हुआ है.
ह्वासोंग-15 की तरह ही ये दो चरणों की तरल ईंधन से चलने वाली मिसाइल है. हालांकि इसकी लंबाई और चौड़ाई उससे कहीं ज्यादा है. इस मिसाइल से कई वॉरहेड्स ढोए जा सकते हैं. माना जाता है कि है कि इस मिसाइल से अमेरिका में कहीं भी परमाणु हथियार ले जाया जा सकता है. इसके आकार ने तो अनुभवी जानकारों को भी चौंका दिया.
अमेरिका के लिए ख़तरा हैं ये मिसाइल?
इस साल जनवरी में, उत्तर कोरिया एक और बैलिस्टिक मिसाइल लेकर सबके सामने आया. इस मिसाइल को पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है. इसके बारे में उसने दावा किया कि ये "दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार" है.
विशेषज्ञों के अनुसार, नई मिसाइलों का लगातार सामने आना अमेरिका के बाइडन प्रशासन को एक संदेश है कि उत्तर कोरिया की सैन्य क्षमता लगातार बढ़ रही है.
उत्तर कोरिया ने इस साल मार्च में, "नए प्रकार के टैक्टिकल गाइडेड प्रोजेक्टाइल" को लॉन्च किया. बताया गया कि यह 2.5 टन का पेलोड या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. हालांकि इस हथियार की औपचारिक पहचान अभी तक नहीं हो सकी है.
लेकिन जेम्स मार्टिन सेंटर फ़ॉर नॉनप्रोलिफ़रेशन स्टडीज़ के जानकारों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ये केएन-23 मिसाइल का "बेहतर संस्करण" मालूम होता है.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल में ऐसे फ़ीचर हो सकते हैं, जिससे ये आसानी से अपनी चाल बदल सके. ऐसा होने पर मिसाइल का पता लगाना कठिन हो जाता है.
हाल में लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल के परीक्षण से रक्षा प्रणालियों को ज़्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इन मिसाइलों को सीधे रास्ते पर चलने की ज़रूरत नहीं होती. साथ ही उन्हें ऐसे तैयार किया गया है कि वो ख़ुद को पता लगाने से बचा सकें.
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया के अनुसार, ये मिसाइल 1,500 किमी तक मार कर सकती है. इससे जापान का अधिकांश इलाका इस मिसाइल की जद में आ जाता है. हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि इसे किस तरह से निर्देशित किया जाता है. ये भी साफ़ नहीं है कि क्या इससे परमाणु पेलोड ले जाया जा सकता है या नहीं.
बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौजूदा प्रतिबंध उत्तर कोरिया को क्रूज़ मिसाइलों के परीक्षण से नहीं रोकते.
उत्तर कोरिया ने हाल में जिस हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है, वो बहुत तेज़ी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है. माना जाता है कि इस मिसाइल को पूरी तरह से ईंधन भरकर रखा जा सकता है. इस वजह से इसे थोड़े समय में ही तैनात कर इसे लॉन्च करना मुमकिन है.
थर्मोन्यूक्लियर बम
उत्तर कोरिया ने 3 सितंबर 2017 को पुंगये-री नाम के परमाणु परीक्षण स्थल पर अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण किया.
इस परमाणु बम की विस्फोटक क्षमता का अनुमान 100 से 370 किलोटन के बीच लगाया गया. यदि 100 किलोटन का विस्फोट भी हुआ तो ये 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए बम से छह गुना अधिक शक्तिशाली होगा. उत्तर कोरिया का दावा था कि वो उसका पहला थर्मोन्यूक्लियर हथियार था. थर्मोन्यूक्लियर बम का मतलब संलयन प्रक्रिया पर आधारित परमाणु बम से है जो सबसे शक्तिशाली होता है.
उसके बाद अप्रैल 2018 में, उत्तर कोरिया ने आगे से कोई परमाणु परीक्षण न करने का एलान किया. उसने कहा कि अब उसकी क्षमता "सत्यापित" हो चुकी है. साथ ही उसने, पुंगये-री परीक्षण स्थल को नष्ट करने का भी वादा किया. एक महीने बाद मई 2018 में, विदेशी पत्रकारों की उपस्थिति में उसने अपने कई सुरंगों को विस्फोट से उड़ाने का दावा किया. हालांकि उस समय वहां कोई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मौजूद नहीं थे.
उसी साल किम जोंग-उन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत हो रही थी. उत्तर कोरिया ने ये भी कहा कि वो अपने सभी परमाणु संवर्धन संस्थान नष्ट कर देगा. हालांकि, अमेरिका के साथ उसकी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला.
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी ने अगस्त में अपनी एक रिपोर्ट में सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर बताया कि उत्तर कोरिया ने शायद अपना योंगब्योन रिएक्टर फिर से शुरू कर दिया है. इस रिएक्टर को हथियारों में इस्तेमाल होने वाले प्लूटोनियम का मुख्य स्रोत माना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने सितंबर में कहा कि प्लूटोनियम को अलग करने, यूरेनियम का संवर्धन करने और अन्य गतिविधियों पर काम करने के साथ उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम "आगे बढ़ रहा है".
दुनिया की बड़ी सेनाओं में से एक
स्थायी सैनिकों की संख्या के लिहाज़ से उत्तर कोरिया दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है. उसके पास दस लाख से अधिक सैनिक हैं और लगभग 6,00,000 जवान रिज़र्व में रहते हैं.
उत्तर कोरिया के अधिकांश उपकरण पुराने और अप्रचलित हैं. फिर भी युद्ध होने पर इसके सैनिक दक्षिण कोरिया को भारी नुक़सान पहुंचा सकते हैं. उत्तर कोरिया के पास स्पेशल फ़ोर्सेज़ के हज़ारों सैनिक भी हैं, जो संघर्ष की किसी भी सूरत में दक्षिण कोरिया में दाखिल हो सकते हैं.
दोनों देशों की सीमा पर तैनात उत्तर कोरिया के तोपों और रॉकेट लॉन्चर की जद में राजधानी सोल सहित पूरा दक्षिण कोरिया आ जाता है.
2012 में दक्षिण कोरिया की सरकार ने अंदाज़ा लगाया था कि उत्तर कोरिया के पास 2,500 से 5,000 टन रासायनिक हथियार भी हो सकते हैं, जो शायद दुनिया का सबसे बड़ा भंडार भी हो.
चिंता इस बात की भी है कि उत्तर कोरिया संभवत: जैविक हथियार कार्यक्रम भी चला रहा हो. हालांकि इसके बारे में बहुत कम जानकारी है. और ये भी नहीं मालूम कि ये हथियार कितने उन्नत हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें:-
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)