VIDEO : Tibet को आजाद करने की डिमांड, सामूहिक DNA कलेक्शन रोकने की मांग, युवाओं का प्रदर्शन
तिब्बत की आजादी की डिमांड कर रहे युवाओं ने नई दिल्ली में चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। Tibet freedom demand protest outside Chinese Embassy delhi
नई दिल्ली, 01 अक्टूबर : चीन की विस्तारवादी नीति के कारण ताइवान के अलावा तिब्बत में रहने वाले लोग भी त्रस्त हैं। तिब्बत में चीनी दखल के कारण आक्रोश है। ताजा घटनाक्रम में तिब्बती युवाओं ने चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने तिब्बत की आजादी की मांग की।
मर्डर और डीएनए कलेक्शन पर लगे रोक
तिब्बत की आजादी की डिमांड कर रहे एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हम मांग करते हैं कि तिब्बत को मुक्त किया जाए। भारत सरकार इस मांग का समर्थन करती है। चीन को रोकना होगा। बड़े पैमाने पर हो रहा डीएनए का सामूहिक संग्रह और हत्याएं रुकनी चाहिए।
#WATCH | Tibetan youth protest outside Chinese Embassy, demand Tibet's freedom
We demand that Tibet be freed & GoI supports us with this demand. China needs to be stopped. Mass collection of DNA, killings must be halted: A protestor pic.twitter.com/18F4j3m7fp
— ANI (@ANI) October 1, 2022
क्या मांग कर रहे हैं तिब्बत के युवा
एक अक्टूबर को चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में चीनी दूतावास के बाहर जुटे तिब्बती युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। नारेबाजी कर रहे लोगों को कहते सुना गया, हम आजादी चाहते हैं, तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन बंद करो, तिब्बत को मुक्त करो।
एक अक्टूबर को ही प्रदर्शन क्यों
बता दें कि शनिवार को चीन का राष्ट्रीय दिवस मनाया गया। 1 अक्टूबर को आम तौर पर चीन के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है; इस दिन माओत्से तुंग के वैचारिक उपदेश के आधार पर देश भर में व्यापक उत्सव का आयोजन होता है। ऐतिहासिक रूप से, 1 अक्टूबर, 1949 को, चीन के नवघोषित प्रधानमंत्री, माओत्से तुंग ने तियानमेन स्क्वायर पर चीनी ध्वज फहराया था और एक नए कम्युनिस्ट राष्ट्र, द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के जन्म की घोषणा की थी।
क्रूर नरसंहार में कितने लोग मारे गए ?
चीन में कम्युनिस्ट शासन की घोषणा के तुरंत बाद, 2 अक्टूबर 1949 को, नई सरकार ने राष्ट्रीय दिवस पर एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके कारण प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को दुनिया भर में चीन के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। तियानमेन स्क्वायर चीन के स्वतंत्र इतिहास में इसके भयानक नरसंहार का पर्याय बन गया है। प्रदर्शनकारियों के क्रूर नरसंहार में कितने लोग मारे गए इसकी कोई गणना नहीं।
तिब्बत पर चीन का अत्याचार...
तिब्बत के लोगों का मानना है कि अपने ही नागरिकों का दमन कर रही सरकार अधिनायकवादी है। दुनिया में इसे उग्र स्वभाव के लिए जाना जाता है। दिल्ली में शनिवार को तिब्बत की आजादी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, तिब्बत पर चीन का अत्याचार किसी से छिपा नहीं है। साम्यवादी राष्ट्र में बड़े पैमाने पर डीएनए परीक्षण किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि लोगों की निगरानी के लिए उनका जैविक डेटाबेस तैयार किया जा सके।
डीएनए का मनमाने ढंग से संग्रह
चीन से जुड़ी खबरों में ह्यूमन राइट्स वॉच की एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र किया जाता है। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पूरे तिब्बत और विशेष रूप से तथाकथित तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के कई कस्बों और गांवों के निवासियों से डीएनए का मनमाने ढंग से संग्रह किया जा रहा है।
किन इलाकों को टारगेट कर रहा है चीन
इन घटनाओं से स्पष्ट संकेत मिलता है कि चीन अब अपनी तकनीकी निगरानी में विश्वास करता है। चीनी सरकार और प्रशासन अपनी दमनकारी और आधिकारिक नीति को अगले चरण में आगे बढ़ा रही है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने जनसंख्या नियंत्रण पर भी काम कर रही है। विशेष रूप से तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और दक्षिणी मंगोलिया के कब्जे वाले क्षेत्रों को टारगेट किया जा रहा है।
तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाएंगे जिनपिंग
बता दें कि चीन हजारों उइगर मुसलमानों की जबरन नसबंदी के लिए जैविक साधनों का इस्तेमाल करता रहा है। इसके भयावह परिणाम सामने आए हैं। हाल ही में तिब्बत में हुआ सामूहिक डीएनए संग्रह अभियान के संबंध में ह्यूमन राइट्स वॉच ने 7 प्रीफेक्चुरल-स्तर के क्षेत्रों में 14 अलग-अलग इलाकों में अभियान चलाया है। तिब्बत प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से, 20वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि चीन में विशेष रूप से राष्ट्रपति शी जिनपिंग सुचारू बैठक करना चाहते हैं। इसमें उन्हें अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना जाएगा।
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