Spyware 'Pegasus': केवल मिस कॉल पर ही चुरा लेता है आपका सारा डेटा, जानें इसका इजराइल कनेक्शन
नई दिल्ली- फेसबुक के स्वामित्व वाली इंस्टैंट मैसेजिंग कंपनी वाट्सऐप का आरोप है कि इजरायली स्पाइवेयर 'पेगासस' ने दुनियाभर में उसके 1400 यूजर्स को मालवेयर भेजकर उनकी जासूसी की है। वाट्सऐप के मुताबिक 'पेगासस'ने जिन लोगों को अपना शिकार बनाया उनमें विश्वभर के वकील, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी, कूटनीतिज्ञ और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, जिसमें 17 भारतीय भी शामिल बताए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि स्पाइवेयर 'पेगासस' है क्या और यह कैसे काम करता है? क्योंकि, इसने अपने टारगेट के मोबाइल फोन में मौजूद सारे डेटा चुरा लिए और न ही उन्हें इसकी भनक लगने दी और न ही जासूसी की कोई निशान ही छोड़ी। धीरे-धीरे इस जासूसी हैकिंग स्पाइवेयर के बारे में और जानकारी सामने आ रही है, इसके खतरे का दायरा बहुत बढ़ता जा रहा है। इसलिए, इससे पहले कि हम ऐसे किसी स्पाइवेयर की चपेट में आएं हमें सतर्क हो जाना ज्यादा जरूरी है।
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क्या है पेगासस और कैसे काम करता है?
स्पाइवेयर के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसका काम जासूसी करना है। स्पाइवेयर 'पेगासस' की खासियत ये है कि यह आपके मोबाइल फोन में घुसकर उसमें मौजूद सारा डेटा चुरा सकता है और तबतक आपकी और आपके मोबाइल फोन की निगरानी कर सकता है, जबतक उसकी इच्छा है। इसके लिए पेगासस सबसे पहले टारगेट के वाट्सऐप पर एक विडियो मिस्ड कॉल भेजता है और उसकी निगरानी शुरू हो जाती है। हैकर ने एक बार स्पाइवेयर पेगासस को यूजर्स के मोबाइल में इंस्टॉल कर दिया, वह उसके फोन में मौजूद हर एक डेटा का पूरा एक्सेस हासिल कर सकता है और यूजर्स को इसकी भनक तक नहीं लगती। यानि पेगासस के जरिए हैकर मोबाइल में मौजूद निजी डेटा, हर तरह का पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्स मैसेज, वॉयस कॉल सबकुछ तक अपनी पहुंच बना सकता है।
यूजर की जानकारी के बगैर मोबाइल से लाइव स्क्रीनिंग !
सबसे खतरनाक स्थिति तो ये है कि यह स्पाइवेयर टारगेट के मोबाइल में लगे कैमरों और माइक्रोफोन को खुद ही ऑन कर सकता है और उसके आसपास की गतिविधियों की लाइव स्क्रीनिंग भी हमलावर को उपलब्ध कराने लगता है। पेगासस की जासूसी का दायरा इतने तक ही सीमित नहीं है। यह टारगेट के ईमेल, लोकेशन, नेटवर्क,फोन में मौजूद बाकी सारे ऐप्लिकेशन, फोन डिवाइस सेटिंग और व्राउजिंग हिस्ट्री तक का डेटा जुटा सकता है। यानि आप अपने मोबाइल फोन में जो कुछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं, हैकर भी स्पाइवेयर पेगासस के जरिए बिना आपतक कोई भी जानकारी पहुंचाए उसका उपयोग कर सकता है।
पासवर्ड-प्रोटेक्टेड डिवाइस तक भी है पहुंच
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि पेगासस को इस तरह से डेवलप किया गया है कि अगर आपने अपने मोबाइल की सुरक्षा के लिए उसे पासवर्ड या स्क्रीन लॉक से ऐक्सेस करते हैं, तब भी पेगासस की पहुंच से आपका मोबाइल बाहर नहीं है। जब टारगेट के मोबाइल पर हैकर पेगासस को ऐक्टिव कर देता है, तब उसमें बैट्री का भी बहुत कम इस्तेमाल होने लगता है, आपके मोबाइल की मेमोरी पर भी उसका कोई असर नहीं होता है। यानि इसे इस तरह से डेवलप किया गया है कि वह ऐसा कोई निशान ही नहीं छोड़ता जिससे आपके फोन का ऐक्सेस किसी दूसरे के पास होने की जरा भी भनक लग सके। यही नहीं यह स्पाइवेयर ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड, आईफोन और सिम्बियन-बेस्ड डिवाइस में भी बखूबी काम कर सकता है और अभी तक इससे कोई भी सुरक्षित नहीं है।
पेगासस को किसने और कहां बनाया?
पेगासस को इजरायली टेक्नोलॉजी फर्म एनएसओ ग्रुप ने डेवलप किया है, जिसके खिलाफ वाट्सऐप ने अमेरिका की कैलिफोर्निया कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है। वाट्सऐप के मुताबिक मालवेयर हमला उसके विडियो कॉलिंग फिचर का इस्तेमाल करके किया गया है, जिसकी शिकायत सबसे पहले इस साल मई में सामने आई। वाट्सऐप की शिकायत के मुताबिक एनएसओ ने उसकी छवि खराब की, लोगों का भरोसा तोड़ा है और उसकी साख पर बट्टा लगाया है, जिससे उसे 75,000 डॉलर का नुकसान हुआ है। वाट्सऐप ने अपनी जांच में पाया है कि पेगासस हमलावरों ने 2018 के जनवरी से 2019 मई के बीच वाट्सऐप पर अपने एकाउंट बनाएं और इस साल 29 अप्रैल से 10 मई के बीच 1,400 टारगेट के मोबाइल डिवाइस को पेगासस का निशाना बनाया। स्पाइवेयर भेजने के लिए जिस टेलिफोन नंबर का इस्तेमाल किया गया वे साइप्रस, इजरायल, ब्राजील, इंडोनेशिया, स्विडन और नीदरलैंड में रजिस्टर्ड हैं।
पेगासस बनाने वाली कंपनी की सफाई
बता दें कि बता दें कि दुनियाभर में वाट्सऐप के लगभग 1.5 अरब उपयोगकर्ता हैं, जिनमें भारत के करीब 40 करोड़ लोग शामिल हैं। वाट्सऐप ने कहा है कि उसने लगभग 1,400 उपयोगकर्ताओं को विशेष संदेश भेजकर इस हमले की जानकारी दी है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक इसमें 17 भारतीयों के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं। वैसे इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने अज्ञात लोगों को यह तकनीक मुहैया कराने के आरोपों को खारिज किया है। उसका कहना है कि वह आतंकवाद और गंभीर अपराध से निपटने के लिए सिर्फ लाइसेंस वाली सरकारी खुफिया एजेंसियों को ही अपनी तकनीक उपलब्ध कराती है।
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