दोषी नेताओं के राजनीतिक दल बनाने पर रोक लगेगी? केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से डाली गई याचिका में कहा गया था कि दोषी पाए गए नेताओं के नई राजनीतिक पार्टियां बनाए जाने पर बैन लगाया जाए और ऐसे लोग के राजीतिक कार्यालय का स्वामित्व खत्म कर दिया जाए।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से दोषी व्यक्ति के राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीतिक दल में महत्पूर्ण पद पर रहने को लेकर अपनी राय जाहिर करने को कहा है। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से डाली गई याचिका में कहा गया था कि दोषी पाए गए नेताओं के नई राजनीतिक पार्टियां बनाए जाने पर बैन लगाया जाए और ऐसे लोग के राजीतिक कार्यालय का स्वामित्व खत्म कर दिया जाए।
इससे पहले भी मामले की सुनवाई के दौरान इस संविधान पीठ को सौंप दिए जाने पर विचार चल रहा था। ये संविधान पीठ यह तय करती कि ऐसे मामलों में किस वक्त नेताओं की सदस्यता खारिज की जाएगी। दरअसल, मामले पर सवाल लगातार उठ रहे हैं कि क्या उस व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा सकती है, जिसके खिलाफ गंभीर आरोप है।
बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा से गुहार लगाई थी। उनका कहना है कि हत्या और रेप जैसे मामले में आरोप तय होने मात्र से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग वाली उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में जानकारी है। कोर्ट ने कहा कि वो देखते है कि मामले की सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन कब किया जाए।
दरअसल आपराधिक प्रवृति के MP और MLA की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसी मामले में अश्विनी उपाध्याय ने भी एक अन्य याचिका दायर कर कहा था कि आपराधिक प्रवृति के लोगों के राजनीति में प्रवेश करने पर रोक लगाई जानी चाहिए। ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। विशेष रूप से जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दायर हो चुका है या जिनके खिलाफ अदालत आरोप तय कर चुकी है या फिर उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है, उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
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