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महाराष्ट्र-हरियाणा नतीजों से हैरान बीजेपी अब झारखंड को लेकर है परेशान!

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बेंगलुरू। 2019 लोकसभा चुनाव में झारखंड के कुल 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे से हैरान- परेशान थी कि शुक्रवार को झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग द्वारा किए गए घोषणा के मुताबिक झारखंड में कुल पांच चरणों में चुनाव होने हैं और नतीजे 23 दिसंबर को घोषित कर दिए जाएंगे।

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झारखंड विधानसभा के पहले चरण का मतदान 30 नंवबर को होगा, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा नतीजों से हलकान बीजेपी को अभी से ही झारखंड के नतीजों की चिंता सताने लगी है। यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान झारखंड में चुनावी तैयारियों को लेकर कमर कसनी शुरू कर दी है और किसी भी गफलत में पड़े बिना झारखंड में बीजेपी गठबंधन की बहुमत सरकार के लिए रस्साकसी शुरू कर दी है।

गौरतलब है बीजेपी पिछली झारखंड विधानसभा चुनाव में सहयोगी दल AJSU के साथ उतरी थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला था। बीजेपी गठबंधन ने 81 सीटों वाले झारखंड विधानसभा में रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए कुल 42 सीटें अपने नाम कर ली। दूसरे नंबर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा रही, जिसे महज 19 सीटें हासिल हुईं थी, लेकिन कांग्रेस का हाल बहुत बुरा रहा था और उसके खाते में में महज 6 विधानभा सीटें आईं थी।

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यही कारण है कि कांग्रेस ने 2019 झारखंड विधानसभा में हथियार डालते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ चुनाव में उतरने की योजना बनाई हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा नतीजों को देखते हुए कांग्रेस का यह दांव बीजेपी पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि दोनों प्रदेशों में कांग्रेस को वोट प्रतिशत ही नहीं, सीटों में उभार आया है।

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव की तुलना सीटों की टैली में 2 सीटों का इजाफा किया है और उसके वोट प्रतिशत में भी वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2014 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जहां 15.9 फीसदी वोट हासिल हुआ था, लेकिन 2019 में कांग्रेस के वोट फीसदी में 2 फीसदी से अधिक का इजाफा किया है।

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लेकिन कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पिछले विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटों पर सिमट जाने वाली कांग्रेस कुल 30 सीटों पर विजयी रही और अगर 10 महीने पुरानी पार्टी जेजेपी चुनाव मैदान में नहीं होती तो बीजेपी को हरियाणा में सरकार बनाने में भी महाराष्ट्र जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा होता।

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बीजेपी आलाकमान भी कही न कहीं इस बात को समझ चुके हैं कि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर बीजेपी को महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव में भी जनता का प्यार मिला था, उसका लाभ 2019 विधानसभा चुनावों में नहीं मिल सका है। हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजे इसके उदाहरण हैं, क्योंकि जनता समझदार है और वह 2019 विधानसभा चुनाव में केंद्रीय चुनावी मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दों को अधिक तरजीह दे रही है।

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माना जा रहा था कि बीजेपी को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का भरपूर फायदा आने वाले विधानसभा चुनावों में मिलेगा, लेकिन बीजेपी के उम्मीदों को तब पलीते लग गए जब महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की सीटों की संख्या में कमी दर्ज की गई और दोनों प्रदेशों में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी संभवतः इसी गलतियों से उबरने की कोशिश करेगी और ऐसा माना जा सकता है कि बीजेपी झारखंड विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को वरीयता देते हुए चुनावी कैंपेन तैयार करेगी। बीजेपी के पास स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने में नुकसान सिर्फ एंटी इनकंवेंसी का हो सकता है वरना मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में झारखंड पिछले पांच वर्षों में बेहद ही शांत रहा है।

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वैसे, मॉब लिंचिंग में हुई तबरेज अंसारी की हत्या को मुख्यमंत्री रघुवर दास की असफलता से जोड़कर विपक्ष चुनावी मुद्दा बनाने की भरपूर कोशिश करेगी, जिसका बीजेपी को कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है वरना बीजेपी गठबंधन एक बार सत्ता के करीब पहुंच जाए तो इसमे आश्चर्य नहीं होगा।

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यह बात तो बिल्कुल तय है कि बीजेपी झारखंड विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव लड़ेगी, क्योंकि बीजेपी को महाराष्ट्र और हरियाणा में इसका खास फायदा मिलता हुआ नहीं दिखा है। हालांकि जम्मू-कश्मीर मुद्दा चुनावी कैंपेन का हिस्सा जरूर होगा, लेकिन केंद्रीय मुद्दों वाला चुनावी कैंपेन प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी कैंपेन के संबोधन और नारों तक ही सिमट सकता है। बीजेपी झारखंड विधानसभा का चुनाव पूरी तरह स्थानीय मुद्दों पर फोकस करेगी जबकि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा बीजेपी को आर्थिक मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेंगे, जिसकी काट बीजेपी को अभी ढू़ंढ़ना है।

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माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार झारखंड विधानसभा का चुनाव मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में लड़ेगी और रघुवर दास के कामकाज के आधार पर वहां की जनता से दोबारा समर्थन मांगेगी। वर्ष 2018 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक 38 फीसदी लोग मुख्यमंत्री रघुवर दास के कामकाज से खुश थे।

सीएम रघुवर दास के पांच वर्ष के कार्यकाल में राज्य में हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। यही नहीं, उनके 5 वर्ष के शासन में 10 नए ग्रिड सब-स्टेशन का निर्माण हुआ जबकि 60 ग्रिड सब-स्टेशन पर काम चल रहा है जो 2019 के अंत तक पूरा हो जाएगा। उनके कार्यकाल में करीब 8044 गांवों को सतही पेयजल से जोड़ा गया और राज्य की 32 फीसदी आबादी को पाइप लाइन से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।

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बीजेपी ने झारखंड में इस बार मिशन 65 का नारा दिया है और झारखंड में बहुमत पाने के लिए स्थानीय मुद्दों को चुनावी कैंपेन में प्रमुखता से रखने वाली है। इसमे स्वास्थ्य, बिजली और पानी का मुद्दा हावी रहने वाला है। झारखंड प्रभारी नियुक्त किए गए बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी स्थानीय मुद्दों बीजेपी गठबंधन की जीत की कुंजी मान कर चल रहे हैं।

यही कारण है कि झारखंड पहुंचते ही ओम माथुर ब्लॉक से बूथ स्तर की बैठकें शुरू कर दी। माथुर साहब चुनाव लड़ने और लड़वाने के माहिर खिलाड़ी कहा जाता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में हर विधानसभा चुनाव के प्रभारी रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में रघुवर दास को झारखंड सीएम की कुर्सी मोदी लहर के चलते मिल गई थी, लेकिन इस बार रघुवर दास को चुनाव अपने कामकाज के आधार पर मिलेगी, क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के नतीजे मोदी लहर की तस्दीक नहीं करते हैं।

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उल्लेखनीय है झारखंड में पीने का पानी सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके बाद बेरोजगारी, कृषि संबंधी समस्याएं, नाला-नाली/साफ सफाई और महंगाई प्रमुख मुद्दा है। रघुवर दास के नेतृत्व में झारखंड में विकास योजनाओं पर खूब काम हुआ है। अगर बीजेपी झारखंड की जनता को अपने कामकाज के आधार पर वोट मांगती है, तो उसका सत्ता में लौटना आसान हो जाएगा और अगर रघुवर दास प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के नाम पर एक बार फिर झारखंड में बहुमत की सरकार बनाने की सोच रहे हैं तो यह मौका उनके हाथ से फिसल सकता है।

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ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि रघुवर दास अभी इस मुगलाते में हैं कि इस बार भी वो झारखंड विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर जीत जाएंगे, इसलिए वो अभी भी वो अपनी हर सभा में अपनी काम काज का लेखा-जोखा देने के बजाय जनता को मोदी सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा देते फिर रहे हैं, जो उनके लिए ही नहीं, बल्कि बीजेपी के लिए भी घातक हो सकता है।

यह भी पढ़ें- बोकारो में गरजे CM रघुवर दास, कहा- बैलेट बम से देंगे कांग्रेस को जवाब

Comments
English summary
BJP Stunned with earlier assembly election poll result from Maharashtra-Haryana and election commission of India announced assembly election date for Jharkhand. Jharkhand elections will begin in 30th November, 2019 and result will come on 23rd December.
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