NFHS-5: गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल में वृद्धि है देश की प्रजनन दर में कमी की वजह, बिहार में दोगुना बढ़ा इस्तेमाल
नई दिल्ली, 3 दिसम्बर। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) का हालिया सर्वेक्षण खुशखबरी लेकर आया है। सर्वेक्षण में जहां पहली बार देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा हुई है वहीं प्रजनन दर में कमी भी दर्ज की गई है जो कि बढ़ती जनसंख्या से परेशान भारत के लिए राहत देने वाली बात है। 2019-21 के इस सर्वेक्षण में एक महिला के बच्चा पैदा करने का औसत 2.2 से घटकर 2 बच्चों का हो गया है जो कि अब तक का सबसे कम है। देश में प्रजनन दर में गिरावट के पीछे प्रमुख वजह गर्भनिरोधकों का बढ़ता उपयोग है।
गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में परिवार नियोजन के लिए अपनाए जाने वाले आधुनिक गर्भ निरोधकों के उपयोग में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2015-16 के एनएफएचएस-4 में जहां गर्भनिरोधकों का उपयोग 7.8 प्रतिशत था वहीं 2019-20 में किए गए एनएफएचएस-5 में यह बढ़कर 56.5 प्रतिशत पर पहुंच गया।
सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा के मुताबिक 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 30 ने गर्भनिरोधकों के उपयोग में वृद्धि दिखाई है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की बड़ी आबादी को देखते हुए इनके इस्तेमाल में सुधार विशेष रूप से उत्साहजनक रहा है। बिहार में गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की मात्रा लगभग दोगुनी (23.3% से 44.4%) हो गई है।
प्रजनन दर में कमी के पीछ तीन मुख्य कारक
विशेषज्ञों के मुताबिक प्रजनन दर में कमी के पीछे तीन मुख्य कारक हैं- पहला गर्भनिरोधकों का उपयोग, दूसरा विवाह की उम्र में वृद्धि और तीसरा कारक गर्भपात है।
बिहार में शादी की उम्र अभी भी कम बनी हुई है और पिछले सर्वेक्षण से इसमें विशेष अंतर नहीं आया है। एनएफएचएस-4 में 43 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो गई थी वहीं एनएफएचएस-5 में यह मामूली कमी के साथ 41 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
यूपी में शादी की उम्र बढ़ी
वहीं सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में शादी की उम्र बढ़ी है जिसके चलते उन्हें परिवार नियोजन की अच्छी समझ के साथ मौका भी मिल रहा है। एनएफएचएस-4 में उत्तर प्रदेश में 21% महिलाओं की शादी 18 वर्ष की उम्र में हो गई थी वहीं एनएफएचएस-5 में यह संख्या 5 प्रतिशत घटकर 16% पर पहुंच गई है।
इसके साथ ही यूपी ने नसबंदी और दूसरे गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के मिश्रण में भी बहुत बढ़िया संतुलन दिखाया है जो कि अच्छा संकेत है। यूपी में जिन गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया गया है उनमें कंडोम पहले नंबर पर है जो कि एक और अच्छा संकेत है। गर्भनिरोधक उपायों में यूपी में जहां 40 प्रतिशत ने नसबंदी कराई है वहीं 60 प्रतिशत अस्थायी उपायों का प्रयोग कर रहे हैं।
यूपी में गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल 13 प्रतिशत बढ़ा
पिछले 5 साल में यूपी में गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 2015-16 में जहां 31.7 प्रतिशत लोग गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल कर रहे थे वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 44.5 प्रतिशत पहुंच गया। इस दौरान महिला नसबंदी में 0.4 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
NFHS-5: भारत में पहली बार पुरुषों से ज्यादा महिलाएं, बैंक खाता रखने वाली औरतें भी 25% बढ़ीं