एक्सपर्ट्स का दावा- जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए ही हो सकती है ओमिक्रोन वैरिएंट की पहचान
नई दिल्ली, 01 दिसंबर: पूरी दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन चुका कोरोना वायरस का नया वैरिएंट 'ओमिक्रॉन' को लेकर रोजाना नए हैरान करने वाले खुलासे हो रहे है। दक्षिण अफ्रीका में मिले इस वैरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' की कैटेगरी में रखा है।'ओमिक्रॉन' कोरोना के पुराने डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक है। यह तेजी से लोगों को संक्रमित करता है। एक तरफ जहां दुनिया में हड़ंकप मचा हुआ है, वहीं राहत की खबर ये भी है कि अभी भारत इस खतरनाकर वैरिएंट से सुरक्षित है। तेजी से फैलने वाले इस कोरोना वैरिएंट को लेकर भारत हाई अलर्ट पर बना हुआ है। हाई रिस्क वाले देशों से यात्रा करने वाले यात्रियों में कई कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, राहत की बात यह है कि अभी तक भारत में ओमिक्रोन का कोई मामला सामने नहीं आया है। इस बीच एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए ही 'ओमिक्रोन' वैरिएंट की पहचान हो सकती हैं।
'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' के और रूपों से अलग
डांग्स लैब के निदेशक डॉ. नवीन डांग ने बताया कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट में खुद के अलावा अन्य रूपों में पाए जाने वाले कई म्यूटेशंस शामिल हैं। इसलिए यह 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' के और रूपों से अलग हैं। उन्होंने समझाया कि विभिन्न रूपों का मतलब है कि एक या अधिक जीनों में उत्परिवर्तन हुआ है। पिछले म्यूटेंट में कुछ म्यूटेशन भी हो सकते हैं, लेकिन ओमिक्रोन में बहुत बड़ी संख्या में म्यूटेशन हुए हैं, लगभग 50 म्यूटेशन और इनमें से लगभग 30 स्पाइक प्रोटीन में हैं। यही बात इसे पिछले दो वर्षों में अनुभव किए गए कोरोना वायरस के अन्य उत्परिवर्तनों (Mutations) से अलग बनाती है।
जीनोम सिक्वेंसिंग ही जरूरी
संदिग्ध मामलों और लापता एस-जीन के आधार पर जीन अनुक्रमण (जीन सिक्वेंसिंग) चिंता के संभावित अधिक संक्रामक प्रकार, ओमिक्रोन का पता लगाने और अंतिम रोग निदान के लिए संकेतकों में से एक है। न्यूज एजेंसी एएनआई को डॉ. डांग ने बताया कि एस जीन ड्रॉपआउट या एस जीन टारगेट विफलता ओमिक्रोन प्रकार की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक मार्कर या प्रॉक्सी संकेतक है, जीन अनुक्रमण है के जरिए ही इसका पता लगाया जा सकता है।
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नए वैरिएंट में उत्परिवर्तन एस जीन में हुआ
लापता एस जीन का पता लगाने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा कि नए वैरिएंट में उत्परिवर्तन एस जीन में हुआ है और सामान्य आरटी-पीसीआर किट का उपयोग सकारात्मक या नकारात्मक की पहचान करने में सक्षम होगा, लेकिन पहचान नहीं कर पाएगा यदि पॉजिटिव टेस्ट एस जीन के उत्परिवर्तन के कारण होता है।
देश में एस-जीन का परीक्षण नहीं हो रहा
डॉक्टर ने कहा कि 'जब हम परीक्षण कर रहे होते हैं, तो उनमें से अधिकांश बड़ी संख्या में जीनों को लक्षित करते हैं। अब आमतौर पर भारत में परीक्षण ई, एन और आरडी आरपी जीन का परीक्षण करते हैं। यहां तक कि अगर इनमें से एक जीन की पहचान सकारात्मक के रूप में होती है, तो हम पहचान सकते हैं कि उन्होंने COVID-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। हालांकि भारत में अधिकांश परीक्षण एस-जीन का परीक्षण नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसके लिए किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं थी।
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संक्रमण कितना गंभीर ये बताना जल्दबाजी
उन्होंने आगे कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह कितना संक्रामक हो सकता है। डॉक्ट ने कहा कि हम नहीं जानते कि मामले कितने गंभीर होंगे और इसके बारे में 26 नवंबर को बात की गई थी, अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है। इसलिए यह टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि संक्रमण कितना गंभीर है या होने जा रहा है। कई तरीके के डेटा आ रहे हैं और हर कोई यह पता लगाने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है कि हम कहां हैं और हम कहां जा रहे हैं।