Cyclone Tauktae: बार्ज से कूदकर समुद्र में 9 घंटे जिंदा रहा इंजीनियर, जानिए मौत से जंग की पूरी कहानी
नई दिल्ली, 23 मई। पिछले दिनों आए साइक्लोन तौकते ने केरल से लेकर महाराष्ट्र और गुजरात में खूब कहर बरपाया। इस शक्तिशाली तूफान में अरब सागर में बार्ज पी 305 जहाज भी डूब गया। इसपर 261 लोग सवार थे। इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई। नेवी और कोस्टगार्ड ने चार दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 150 से अधिक लोगों को बचाया भी। इन्हीं में से एक हैं महाराष्ट्र के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर अनिल वायचाल। वो भी पी 305 पर सवार थे और जब जहाज डूब रहा था तो वो जान बचाने के लिए अपने साथियों के साथ समुद्र में छलांग लगा दिया था। वो 9 घंटे तक समुद्र में रहे और खुद को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे। अब अनिल ने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत की है और जिंदगी-मौत के बीच के उन दर्दनाक 9 घंटों के बारे में बताया है।
जिंदा रहना होगा और अपने परिवार के पास वापस जाना होगा
न्यूज चैनल से खास बातचीत में एफकॉन्स कंपनी में काम करने वाले 40 साल के अनिल वायचाल ने बताया कि उनकी कंपनी ओएनजीसी के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर समुद्र में काम करती है। अनिल ने बताया कि समुद्र में वो 9 घंटे उनकी पूरी जिंदगी के बराबर थे। वो आशा छोड़ चुके थे कि अब वो अपने परिवारवालों से मिल पाएंगे। उन्होंने बताया कि टूटती उम्मीद के बीच मेरे अंदर सिर्फ एक भावना आ रही थी कि मैं जीवित रह सकता हूं। मैंने अपने साथियों को भी इसके लिए प्रेरित किया। मैंने उनसे कहा कि हमें जिंदा रहना होगा और अपने परिवार के पास वापस जाना होगा।
पता नहीं कहां से आई ताकत और हम समुद्र में कूद गए
अनिल ने बताया कि मैं काफी संवेदनशील व्यक्ति हूं लेकिन उस वक्त पता नहीं कहा से अंदर शक्ति आ गई और हम समुद्र में कूद गए। उन्होंने बताया कि जब साइक्लोन तौकते बार्ज से टकराया तो वो और उनके साथ बार्ज पर ही मौजूद थे। अनिल ने बताया कि बार्ज जब डूब रहा था तो मुझे मेरे साथियों संग समुद्र में कूदने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। वह शाम पांच बजे समुद्र में कूद गए थे और रात करीब 2 बजे उन्हें INS कोच्चि की टीम ने बचाया था।
ग्रुप में समुद्र में कूदने के पीछे ये थी लॉजिक
अनिल ने बताया कि मैंने अपने साथियों से ग्रुप में समुद्र में कूदने को कहा। ऐसा कहने के पीछे ये मकसद था कि हम जितने बड़े ग्रुप में रहेंगे, बचने की उम्मीद उतनी ज्यादा होगी। सबने जो लाइव जैकेट पहनी थी वो अंधेरे में चमकने वाली थी। इसके चलते अगर वो ग्रुप में रहते लाइव जैकेट की चमक ज्यादा होती और बचाने वाली टीम आसानी से पहचान लेगी।
समुद्र में थपेड़ों से शरीर अब कमजोर पड़ रहा था लेकिन फिर...
अनिल ने बताया कि जैसे जैसे रात हुई तो हम एक दूसरे को देख नहीं पा रहे थे। सिर्फ लाइव जैकेट की चमकने वाली पट्टर नजर आ रही थी। वो भी थोड़ी देर में गायब हो जाती। जब लहरें आती तो मुंह और नाक में पानी घुस जाता था। बचने की उम्मीद सिर्फ उनकी ही बची थी जिनकी सांसे चल रही थीं। अनिल ने बताया कि मैं इस बात से घबराने लगा था कि जब बचाव नौकाएं आएंगी तो क्या हम उस पर चढ़ पाने की स्थिति में होंगे। क्योंकि इतना लंबा समय समुद्र में रहने से शरीर कमजोर पड़ रहा था। उन्होंने कहा, 'मैंने उस बचाव वाले जहाज पर तीन बार चढ़ने की कोशिश की। तीसरी बार मैं जाल पर लेट गया और बचावकर्मियों से मुझे ऊपर खींचने को कहा। इस तरह मैं बचा लिया गया। अनिल ने भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वो आज अपने परिवार के साथ हैं।
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