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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: भाजपा के लिए विकास तो विपक्ष के लिए बेरोजगारी और कृषि संकट मुद्दा

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नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले के चलते दिलचस्प होने वाला है। कांग्रेस और रमन सिंह के नेतृत्व में सत्तारूढ़ बीजेपी के अलावा इस बार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, मायावती की बीएसपी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन करके मैदान में हैं। रमन सिंह चौथी बार राज्य में सरकार बनाने के लिए जनता से वोट मांग रहे है तो कांग्रेस पिछले 15 साल के बीजेपी के राज में प्रदेश में विकास न होने की बात कह रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी सिर्फ एक या दो प्रतिशत वोटों के अंतर से जीतती आई है।

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जनता के मुद्दों पर हो बात
राज्य में कई ऐसे जनता के मुद्दे हैं जो इन चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। देखना अब ये होगा की राजनीतिक दल इन पर कितनी बात करते हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 12 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे और वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी।

एंटी इनकंबेंस लेकिन रमन सिंह फिर भी लोकप्रिय

एंटी इनकंबेंस लेकिन रमन सिंह फिर भी लोकप्रिय

राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी राज्य सरकार की उपलब्धियों के अलावा केंद्र की मुद्रा योजना, स्वास्थ्य योजना और दूसरे कामों के बारे में बता रही है। 15 वर्षों की एंटी इनकंबेंस के बावजूद, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अभी भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। हालांकि पार्टी के अंदर की विरोधी आवाजें उनके लिए चीजों को थोड़ा मुश्किल बना रही हैं लेकिन वो अभी भी दृढ़ता से जमे हुए हैं। लेकिन किसानों का संकट उनकी लोकप्रियता पर असर डाल रहा है। रमन सिंह प्रभावी तरीके से पीडीएस के तहत चावल और अन्य अनाज के वितरण की योजना को लागू करने के लिए जाने जाते हैं। सरकार ने लोगों को 50 लाख स्मार्ट फोन वितरित करने की योजना भी शुरू की ताकि वो सरकार की योजनाओं के बारे में जान सकें। बीजेपी के सूत्रों का कहना है की इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों से एंटी इनकंबेंस के चलते पार्टी के लिए कोई उत्साहजनक रिपोर्ट नहीं मिल रही है। लेकिन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी बनी हुई है।

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भ्रष्टाचार और बेरोजगारी भी मुद्दा

भ्रष्टाचार और बेरोजगारी भी मुद्दा

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता राज्य लोगों के गिरते जीवन स्तर पर बात कर रहे हैं। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की बात को भी उठाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी का मुद्दा भी बड़ा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राज्य में विभिन्न रोजगार केंद्रों में 25 लाख बेरोजगारों का पंजीकरण है। ऐसे में ये मुद्दा 1,18,000 नए नौजवान मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। ये कहा जा रहा है कि लगातार तीन बार सत्ता में रहने के बाद अब प्रदेश सरकार की काम करने की गति धीमी हो गई है इसलिए अब बदलाव की जरूरत है।

छत्तीसगढ़ में कृषि संकट

छत्तीसगढ़ में कृषि संकट

राज्य के ग्रामीण इलाकों में कृषि संकट बढ़ रहा है और पिछले तीन वर्षों में 1,500 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य के 21 जिलों में से लगभग 96 तहसीलों को पिछले साल सितंबर में सूखा प्रभावित घोषित किया गया था और छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों की तुलना में 12.8 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। खरीफ फसल के दौरान सूखे ने पिछले साल राज्य में करीब 11 लाख से ज्यादा किसानों को प्रभावित किया था। सूखे के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों से किसानों और मजदूरों को रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ पलायन करना पड़ा था। राज्य के किसान पिछले चार सालों से धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी, बोनस और 5 एचपी तक के पानी के पंपों के लिए मुफ्त बिजली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
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राज्य में जाति के समीकरण भी महत्वपूर्ण

राज्य में जाति के समीकरण भी महत्वपूर्ण

2013 के चुनावों में कांग्रेस को भाजपा से सिर्फ 0.7 प्रतिशत वोट कम मिले थे। इसे देखते हुए कांग्रेस को लग रहा है कि वो इस बार इस फासले को खत्म करने में कामयाब रहेगी। दलित (सतनामी) और जनजातीय मतदाता कांग्रेस का मूल वोट बैंक है और उसे यहां से लगभग 65 प्रतिशत वोट मिलते हैं। बीजेपी ऊपरी जाति और पिछड़ी जाति के वोटों पर निर्भर रहती है और यहां से उसे 70 प्रतिशत वोट मिलते हैं। कांग्रेस ने पिछड़ों के नेता ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति का सदस्य और ओबीसी सेल का प्रमुख बनाया है। छत्तीसगढ़ पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल कुर्मी हैं जबकि प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया एक दलित हैं। राज्य के प्रभारी राष्ट्रीय सचिव चंदन, यादव हैं। कांग्रेस कुर्मी और यादवों को लुभाने की कोशिश कर रही है जो राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। कांग्रेस की कोशिश बीजेपी के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की है।

नक्सल समस्या

नक्सल समस्या

नक्सलवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों को सरकार अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि उसने माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, ग्रामीण इलाकों में विकास के काम किए गए हैं जिससे ग्रामीणों का जीवन बेहतर हुआ है। बीजेपी का दावा है कि यही कारण है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोग भाजपा का समर्थन कर रहे हैं और पार्टी की इन क्षेत्रों में पैठ बढ़ रही है।

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English summary
BJP talks development in Chhattisgarh, for opposition unemployment and agrarian crisis an issue
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