क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अजमल कसाब को फांसी के बाद जब बीबीसी पहुँचा था उसके गांव

26 नवंबर 2008 को मुंबई में जिन दस चरमपंथियों ने हमला किया था, उनमें से सिर्फ़ अजमल कसाब को ही ज़िंदा पकड़ा जा सका था.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अजमल कसाब का कैरिकेचर
BBC
अजमल कसाब का कैरिकेचर

26 नवंबर, 2008 को मुंबई में दस चरमपंथियों ने हमला किया. इस हमले में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य घायल हुए.

चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था, जो चार दिनों तक चला.

दस हमलावरों में बस एक अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा जा सका था.

अजमल कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई.

जब बीबीसी पहुँचा कसाब के गांव

बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री तब पाकिस्तान में पंजाब सूबे के फ़रीदकोट पहुँची थी. पढ़िए, उन्होंने तब वहाँ क्या-क्या देखा था?

'कसाब को फांसी की खबर आने के बाद मैं पंजाब प्रांत के फरीदकोट पहुंची जिसे कसाब का गांव कहा जाता है.

मैं उस मोहल्ले में पहुंची जहां बने एक घर को कसाब का घर बताया जाता है. घर के आसपास कई लोग जमा थे. पास में कुछ दुकानें थी, वहां भी काफी भीड़ थी.

वहां नौजवानों समेत कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कसाब को अपने गांव का मानने से इनकार कर दिया.

लोगों का कहना था कि हम यहीं पैदा हुए हैं, हमने यहां कसाब को कभी नहीं देखा, कसाब के नाम पर इस गांव को बदनाम किया जा रहा है.

लोगों ने बताया कि उन्होंने कसाब का नाम मीडिया के जरिए ही सुना है और यहां कसाब या कसाब के खानदान का कोई शख्स नहीं रहता है.

इस घर से सटी दुकान पर खड़े कुछ लोगों से जब मैंने बात की तो उन्होंने कहा कि ये पूरा ड्रामा बनाया गया है, लोग हमारे इलाके को बदनाम कर रहे हैं.'

'घर से बाहर निकलिए'

ग्राफिक्स
BBC
ग्राफिक्स

'उस घर के बाहर कुछ जानवर बंधे हुए थे, भीतर दाखिल होने पर देखा कि वहां कुछ महिलाएं भी थीं.

इस घर में कुछ लोग रहते हैं और ये कहा जाता है कि कसाब के खानदान के लोग बहुत पहले इस घर को छोड़कर कहीं चले गए थे और अब यहां कोई दूसरे लोग रहते हैं.

हमें देखकर घर की महिलाएं भीतर चली गईं और जब हम वहां के दृश्य को कैमरे में कैद करने लगे तो कई लोग आ गए जो हमें रोकने लगे.

उन लोगों ने कहा कि आप यहां दाखिल कैसे हुए, उन्होंने हमें फौरन बाहर निकल जाने के लिए भी कहा.

फिर हमें अपना कैमरा बंद करके घर से बाहर निकलना पड़ा, बाहर एक साहब से हमारी थोड़ी बहस भी हुई जो शायद उस इलाके के कोई बड़े आदमी थे.

गांव में वर्दी में हमें कोई सुरक्षाकर्मी नजर नहीं आया, वहां गम के माहौल जैसी कोई बात भी नजर नहीं आई, लेकिन लोगों में गुस्सा जरूर था.'

कसाब को फांसी, जेल में ही दफ़

अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवडा जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी दी गई थी.

तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया था कि पाकिस्तान को इस बारे में सूचित कर दिया गया था लेकिन पाकिस्तान की तरफ़ से शव की मांग नहीं की गई.

महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया था कि कसाब के शव को येरवडा जेल परिसर में ही दफ़ना दिया गया.

इससे पहले मुंबई हमले के दौरान मारे गए नौ चरमपंथियों के शव भी पाकिस्तान सरकार ने लेने से इनकार कर दिया था.

तब राज्य सरकार ने इनके शव को साल भर से भी ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के बाद जनवरी, 2010 में अज्ञात स्थान पर दफनाया था. सुरक्षा कारणों से राज्य सरकार ने इसकी जानकारी अप्रैल, 2010 में दी.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
BBC reached Ajmal Kasab's village after hanging
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X