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तेलंगाना के बाद अब राजस्थान में कांग्रेस को मिली करारी हार के क्या हैं मायने?

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजनीति के बाद अब कांग्रेस का बुरा प्रदर्शन निकाय और पंचायत चुनावों बताता है कि कांग्रेस के दिन वाकई बुरे चल रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा पार्टी नेतृत्व को दिया जाए तो गलत नहीं होगा। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की उम्र और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अपना गैर राजनीतकि व्यक्तित्व कांग्रेस को इस प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि ग्रेटर हैदराबाद चुनाव में जहां बीजेपी ने आक्रामक कैंपेन करते हुए राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतार दिया था। वहीं, कांग्रेस का एक सीनियर नेता भी ग्रेटर हैदराबाद चुनाव में कैंपेन में नहीं दिखा।

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कांग्रेस ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में 2 सीट पर जीत दर्ज कर सकी है

कांग्रेस ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में 2 सीट पर जीत दर्ज कर सकी है

यही कारण था कि ग्रेटर हैदाराबाद में में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। कांग्रेस निकाय चुनाव में महज 2 सीट पर जीत दर्ज कर सकी है, जबकि उनसे कुल 149 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि पिछले निकाय चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और कांग्रेस 2 ही सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी, तो कह सकते हैं कि कांग्रेस के प्रदर्शन में लंबे अंतराल के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

बीजेपी ने गैर पंरपरागत क्षेत्र में दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी

बीजेपी ने गैर पंरपरागत क्षेत्र में दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी

जबकि बीजेपी ने गैर पंरपरागत क्षेत्र में दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी ने ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में कुल 150 उम्मीदवार उतारे थे और कुल 48 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ में उसकी पार्टी एआईएमआईएम को तीसरे नंबर पर ढकेलने में कामयाब हुई। हालांकि बीजेपी अपना मेयर नहीं चुन सकेगी, जिसके लिए पार्टी हाईकमान ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को उतार दिया था।

बीजेपी को ग्रेटर हैदराबाद में राष्ट्रीय नेतृत्व को उतारने का लाभ मिला

बीजेपी को ग्रेटर हैदराबाद में राष्ट्रीय नेतृत्व को उतारने का लाभ मिला

हालांकि बीजेपी को ग्रेटर हैदराबाद में राष्ट्रीय नेतृत्व को उतारने का लाभ मिला है और बीजेपी ने पिछले चुनाव की तुलना में 12 गुना बेहतर प्रदर्शन करते हुए 48 सीट अपने नाम किया है। पिछले निकाय चुनाव में बीजेपी को 3 सीटों पर जीत दर्ज हुई है, जबकि उससे पहले बीजेपी 6 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है। एक तरफ जहां बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया तो पिछली बार बीजेपी के साथ गठबंधन में उतरी टीडीपी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और पार्टी एक सीट भी जीत नहीं पाई।

बीजेपी ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया

बीजेपी ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया

बीजेपी ने दमदार प्रदर्शन करते हुए ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा और 44 में जीत हासिल हुई। जबकि तेलंगाना राज्य में सत्तारुढ़ टीआरएस को 56 सीटों पर जीत मिली। केसीआर की पार्टी ने सभी 150 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।

ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन में सुधार नहीं दिखा

ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन में सुधार नहीं दिखा

ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन जहां सुधार नहीं दिखा, तो राजस्थान पंचायत चुनावों के नतीजो से भी पार्टी के लिए बुरी खबर आई, जहां अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान के पंचायत चुनाव के नतीजे निः संदेह कांग्रेस के लिए विस्मयकारी है, क्योंकि बीजेपी ने पंचायत समितियों में कांग्रेस से 137 वार्ड और जिला परिषद में 101 वार्ड ज्यादा जीतने में कामयाब रही है।

राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य दोनों बीजेपी ने हराया

राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य दोनों बीजेपी ने हराया

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत समितियओं और जिला परिषदों के वार्डों के आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य दोनों चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए अपना परचम लहराया है। यह नतीजे राजस्थान सरकार के लिए खतरे के संकेत हैं, जिसको लेकर अशोक गहलोत सरकार सकते में है।

4371 पंचायत समिति वार्डो में से बीजेपी 1989 वार्ड जीतने में सफल रही

4371 पंचायत समिति वार्डो में से बीजेपी 1989 वार्ड जीतने में सफल रही

गौरतलब है राजस्थान के 21 जिलों में हुए चुनावों में 4371 पंचायत समिति वार्डो में से बीजेपी 1989 वार्ड जीतने में सफल रही है, जबकि कांग्रेस के खाते में कुल 1852 वार्ड आए है, जो यह बतलाते हैं कि कांग्रेस के प्रति लोगों को भरोसा डगमगा रहा है। पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावत के बाद राजस्थान में दो महीने तक चला राजनीतिक संकट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

जिला परिषद के 636 वार्ड में से 353 वार्ड पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है

जिला परिषद के 636 वार्ड में से 353 वार्ड पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है

बड़ी बात यह है कि इस चुनाव में निर्दलीय के हाथ में 439 वार्ड आए हैं, जबकि आरएलपी के 60, सीपीएम ने 26 और बसपा ने 5 वार्ड जीते हैं। वहीं, जिला परिषद के 636 वार्ड में से 353 वार्ड बीजेपी के खाते में गए हैं। यहां भी कांग्रेस को झटका मिला है और उसके हिस्से में सिर्फ 252 वार्ड आए हैं। जबकि निर्दलीयों ने 18, आरएलपी ने 10 और सीपीएम के हिस्से में 2 वार्ड आए हैं।

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को 2 वर्ष लगभग पूरे हो चुके है

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को 2 वर्ष लगभग पूरे हो चुके है

ग्रेटर हैदराबाद के चुनाव नतीजे के बाद राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद में पार्टी की हार से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जवाब देते नहीं बन पा रहा है। यही कारण है कि पार्टी में खलबली मच गई है। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को 2 वर्ष लगभग पूरे हो चुके है, लेकिन पंचायत चुनाव के नतीजों ने सरकार की जनता में पैठ की पोल खोल कर रख दी है।

 इस हार ने कांग्रेस के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर दी है

इस हार ने कांग्रेस के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर दी है

कांग्रेस हाईकमान राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव में पार्टी के हालत के लिए जिम्मेदार कारकों को तलाशने में जुट गई है, जिसे कांग्रेस चेतावनी की तरह ले रही है। यह इसलिए क्योंकि इस हार ने कांग्रेस के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर दी है। माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मंत्री और विधायकों की हार ने कांग्रेस की चिंता की लकीर बढ़ाने में बड़ा योगदान किया है।

बीजेपी को सीएम अशोक गहलोत को घेरने का मुद्दा मिल गया है

बीजेपी को सीएम अशोक गहलोत को घेरने का मुद्दा मिल गया है

ऐसा माना जा रहा है कि पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव में सत्तासीन कांग्रेस सरकार की हार को लेकर मुख्य विपक्षी दल अशोक गहलोत की कार्य क्षमता पर सवाल उठा सकती है, जिस पर राजस्थान ने मुहर न लगाकर संकेत दिया है कि वह सरकार के कामकाज को लेकर अधिक खुश नहीं हैं। निः संदेह राजस्थान बीजेपी को सीएम अशोक गहलोत को घेरने का मुद्दा मिल गया है।

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English summary
After the national politics, now the bad performance of the Congress and the Panchayat elections show that the days of the Congress are going really bad, which will not be wrong if it is directly given to the party leadership. The age of Congress interim president Sonia Gandhi and former Congress president Rahul Gandhi's own non-political personality can be attributed to the Congress for this performance.
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