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वैक्सीन बनाकर फंस गया है भारत, निर्यात नहीं हो पा रहा

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। भारत कोविड-19 वैक्सीन के अपने अतिरिक्त स्टॉक को निर्यात करने के लिए संघर्ष कर रहा है. उसके पास घरेलू मांग से कहीं ज्यादा मात्रा में कोविड वैक्सीन उपलब्ध है. मगर लॉजिस्टिक्स से जुड़ी दिक्कतों के कारण भारत के लिए इसे निर्यात कर पाना मुश्किल हो रहा है.

भारत के पुणे शहर स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी है. एस्ट्राजेनेका के अलावा वह नोवावैक्स और स्पूतनिक के शॉट्स का भी उत्पादन कर रही है. एसआईआई ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह एस्ट्राजेनेका के उत्पादन को आधा कर रहा है. उत्पादन में लाई गई यह कमी तब तक जारी रहेगी, जब तक नए ऑर्डर नहीं आ जाते.

खपत से ज्यादा हुई आपूर्ति

एसआईआई के प्रमुख आदार पूनावाला ने कंफेडेरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन सम्मेलन में कहा, "पूरी दुनिया में वैक्सीन की आपूर्ति पर्याप्त है, लेकिन टीका लगाने में समय लग रहा है." पूनावाला ने आगे कहा, "कुछ देशों ने अबतक अपनी 10 से 15 फीसदी आबादी को ही टीका लगवाया है. उन्हें यह मात्रा 60 से 70 प्रतिशत तक ले जाने की जरूरत है. मांग अभी भी है, लेकिन मासिक खपत के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा हो गई है."

इसी कार्यक्रम में भारत के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी विनोद कुमार पॉल ने कहा, "भारत वैक्सीन देने की स्थिति में है, लेकिन सवाल है कि क्या इसकी मांग है? बहस होनी चाहिए कि आपूर्ति की रफ्तार बढ़ाने के लिए क्या किया जाए. कुछ देशों, खासतौर पर अफ्रीकी मुल्कों के टीकाकरण कार्यक्रम में कैसे तेजी लाई जाए."

महीनों तक आपूर्ति बाधित रही

अफ्रीका में बीमारियों की रोकथाम के लिए काम कर रही संस्था ने नवंबर 2021 में कहा कि वैक्सीन आपूर्ति महीनों तक बाधित रही. इसके बाद एकाएक आपूर्ति बढ़ गई. इसके चलते अफ्रीका के कई देश लॉजिस्टिक्स की समस्या से जूझ रहे हैं, जबकि अफ्रीका में टीकाकरण अभियान अभी बहुत धीमा है.

अफ्रीका की कुल आबादी करीब 1.3 अरब है. इनमें से केवल आठ फीसदी आबादी को ही वैक्सीन की दोनों खुराक लगी हैं. भारत की आबादी भी लगभग इतनी ही है. लेकिन उसने 37 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण पूरा कर लिया है. भारत ने जनवरी 2022 तक अपनी समूची वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराक लगाने का लक्ष्य रखा है.

सीरम इंस्टीट्यूट पर निर्भरता घटी

भारत के पास बचे अतिरिक्त कोविड वैक्सीन की एक वजह कोवैक्स भी है. कोवैक्स के पास कोविशील्ड की करीब 55 करोड़ खुराक खरीदने का विकल्प है. लेकिन वह इस खरीद के लिए अब एसआईआई पर निर्भर नहीं रहा. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत ने अप्रैल 2021 में एकाएक वैक्सीन निर्यात पर रोक लगा दी थी, ताकि वह अपनी ज्यादा से ज्यादा आबादी को टीका लगा सके.

भारत स्थित एसआईआई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का बड़ा उत्पादक था. सरकार की ओर से वैक्सीन निर्यात पर लगाई गई रोक के चलते वहां से विदेश जाने वाली खेप प्रभावित हुई. उस समय कोवैक्स प्रोग्राम वैक्सीन की वैश्विक आपूर्ति के लिए बहुत हद तक एसआईआई पर निर्भर था. मगर अब हालात बदल चुके हैं. कई वैक्सीनों को मंजूरी मिल चुकी है.

इसके चलते कोवैक्स को एसआईआई के अलावा और भी कई विकल्प मिल गए हैं. इस बारे में गावी के सीईओ सेद बर्कली ने कहा, "अगर भारत चाहता है कि वह दुनिया में अग्रणी दवा निर्यातक बना रहे, तो जरूरी है कि वह मुश्किल हालात में भी आपूर्ति जारी रखे. वरना बाकी देशों को वैकल्पिक निर्यातकों की तलाश करने की जरूरत पड़ेगी."

एसएम/एके (रॉयटर्स)

Source: DW

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English summary
india stuck with covid 19 vaccines it cant export
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