क्या है HIV और AIDS में अंतर? जानिए इससे जुड़े कई मिथक
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) ने मुताबिक पिछले 10 साल में भारत में ही सिर्फ 17 लाख से ज्यादा लोग असुरक्षित यौन संबंधों के कारण HIV की चपेट में आए हैं।
कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक एचआईवी की शुरुआत जानवरों से हुई। दरअसल अफ्रीका के बंदरों में एड्स का वायरस पाया जाता है। वहीं 19वीं शताब्दी में अफ्रीका में बंदर खाए जाते थे। ऐसे में माना गया कि इंसानों में बंदर खाने के कारण वायरस पहुंचा।
साल 1920 में अफ्रीका के कांगो में एचआईवी संक्रमण का प्रसार हुआ। 1959 में एक आदमी के खून के नमूनों में सबसे पहला एचआईवी वायरस पाया गया। इस संक्रमित व्यक्ति को ही एचआईवी का सबसे पहला मरीज माना जाता है। कांगो की राजधानी किंशासा सेक्स ट्रेड का केंद्र थी। इसलिए दुनिया के कई देशों तक यौन संबंधों के माध्यम से एचआईवी का प्रसार हुआ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार 1987 में World AIDS Day मनाया। हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया। इसे मनाने का उद्देश्य हर उम्र और वर्ग के लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है।
HIV
और
AIDS
में
क्या
है
फर्क
ज्यादातर
लोग
एचआईवी
और
एड्स
को
एक
ही
समझते
हैं,
लेकिन
इनकी
स्थितियों
में
फर्क
होता
है।
हर
एचआईवी
पॉजिटिव
को
एड्स
हो
ये
जरूरी
नहीं,
लेकिन
एड्स
सिर्फ
एचआईवी
पॉजिटिव
को
ही
होता
है।
HIV
(Human
immunodeficiency
virus)
है,
जिससे
कोई
आदमी
एक
बार
संक्रमित
हो
जाए
तो
रिकवर
नहीं
हो
सकता
है
लेकिन
दवाओं
के
जरिए
इस
पर
थोड़ा
कंट्रोल
किया
जा
सकता
है।
यह
बीमारी
से
लड़ने
की
शरीर
की
क्षमता
को
कमज़ोर
बना
देता
है।
अब
यहां
गौर
करने
वाली
बात
ये
है
कि
जब
एचआईवी
(HIV)
को
सही
समय
पर
इलाज
न
मिले,
तो
वो
HIV
अपनी
गंभीर
स्थिति
में
पहुंच
जाता
है
और
एड्स
का
रूप
ले
लेता
है।
दरअसल
एड्स
एचआईवी
की
लेटर
स्टेज
है।
ग्लोबल
एचआईवी
और
एड्स
के
आंकड़े
UNAIDS
(United
Nations
Programme
on
HIV
and
AIDS)
के
मुताबिक
इस
महामारी
की
शुरुआत
से
लेकर
अब
तक
लगभग
84.2
मिलियन
लोग
एचआईवी
से
संक्रमित
हो
गए
हैं।
जबकि
एड्स
से
संबंधित
बीमारियों
से
40.1
मिलियन
लोग
मर
गए
हैं।
2021
के
ग्लोबल
एचआईवी
आंकड़े
-
ग्लोबल
स्तर
पर
38.4
मिलियन
लोग
एचआईवी
के
साथ
जी
रहे
थे।
इस
साल
1.5
मिलियन
लोग
एचआईवी
से
संक्रमित
हुए
और
एड्स
से
संबंधित
बीमारियों
से
650,000
लोगों
की
मौत
हुई।
28.7
मिलियन
लोग
एंटीरेट्रोवाइरल
थेरेपी
का
उपयोग
कर
रहे
थे।
राष्ट्रीय
एड्स
नियंत्रण
संगठन
(NACO)
का
आकलन
भारत
में
एचआईवी
2019
के
रिपोर्ट
के
अनुसार
वयस्क
(15-49
वर्ष)
लोगों
में
एचआईवी
का
प्रसार
प्रति
साल
2000
के
बाद
से
घट
रहा
है
और
हाल
के
वर्षों
में
स्थिर
हो
रहा
है।
2019
में
इस
संकेतक
का
अनुमान
0.22%
(0.17-0.29%)
था।
उसी
साल,
वयस्क
पुरुषों
(15-49
वर्ष)
में
एचआईवी
प्रसार
का
अनुमान
0.24%
(0.18-0.32%)
और
वयस्क
महिलाओं
में
0.20%
(0.15-0.26%)
था।
24
लाख
भारतीय
अब
भी
एचआईवी
से
जूझ
रहे
हैं
वहीं
'द
हिंदू'
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
ये
सच
है
कि
आंकड़ों
के
हिसाब
से
यह
बीमारी
काफी
हद
तक
नियंत्रण
में
है
लेकिन
भारत
में
अभी
भी
तकरीबन
24
लाख
लोग
इस
बीमारी
के
साथ
जी
रहे
हैं।
भारत
के
6
राज्य
इससे
ज्यादा
परेशान
हैं।
इसमें
सबसे
ज्यादा
आंध्र
प्रदेश
राज्य
इस
बीमारी
से
परेशान
है।
जहां
सभी
जिलों
में
5,000
से
अधिक
लोग
एचआईवी
एड्स
से
पीड़ित
हैं।
वहीं
इसके
बाद
मिजोरम,
कर्नाटक,
दिल्ली,
मणिपुर
और
महाराष्ट्र
जैसे
राज्य
भी
हैं,
जहां
ये
बीमारी
पैर
पसारे
हुए
है।
आरटीआई
दस्तावेजों
से
पता
चलता
है
कि
वित्त
वर्ष
2011
से
अब
तक
असुरक्षित
यौन
संबंध
की
वजह
से
ही
अधिकांश
लोगों
में
संक्रमण
फैला
है।
पीएम
मोदी
ने
स्वास्थ्य
कार्यकर्ता
को
लिखा
था
खत
यहां
बता
दें
कि
कुछ
महीने
पहले
ही
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
महाराष्ट्र
के
सोलापुर
जिले
की
स्वास्थ्य
कार्यकर्ता
अर्चना
पाकाले
को
एक
पत्र
लिखा
था।
जिसमें
उन्होंने
में
एचआईवी
से
संक्रमित
व्यक्तियों,
यौनकर्मियों
को
COVID-19
का
टीका
लगाने
के
लिए
उनकी
प्रशंसा
की
थी।
सुश्री
पाकाले
ने
आठ
हजार
छह
सौ
75
लोगों
को
कोविड
के
टीके
लगाए
हैं
जिनमें
ट्रांसजेंडर
भी
शामिल
हैं।
एड्स
से
जुड़े
कुछ
मिथक
एचआईवी
और
एड्स
दोनों
अलग
हैं
पर
एक
दूसरे
के
पूरक
हैं।
अगर
डॉक्टर
किसी
को
एचआईवी
पॉजिटिव
बताते
हैं
तो
इसका
मतलब
है
कि
उसके
शरीर
में
एचआईवी
का
संक्रमण
फैल
गया
है।
एड्स
(एक्वायर्ड
इम्यूनो
डेफिसिएंसी
सिंड्रोम)
एचआईवी
संक्रमण
का
अंतिम
चरण
है।
AIDS Day: एड्स के प्रति जागरुकता से ही संभव है इसकी रोकथाम
यह जरूरी नहीं है कि HIV से संक्रमित सभी मरीजों को एड्स की समस्या हो। मरीज ठीक ढंग से अपना इलाज कराए और परहेज करें तो HIV को बढ़ने से रोका जा सकता है जिससे एड्स होने की उम्मीद कम हो जाती हैं।
ज्यादातर
लोगों
का
मानना
है
कि
एचआईवी
या
एड्स
सेक्स
से
फैलता
है।
मगर
एचआईवी
कई
अन्य
तरीकों
से
भी
फैल
सकता
है।
संक्रमित
व्यक्ति
से
असुरक्षित
यौन
संबंध
बनाने
के
अलावा
संक्रमित
व्यक्ति
पर
इस्तेमाल
किए
गए
किसी
इंजेक्शन
के
इस्तेमाल
से
भी
यह
फैल
सकता
है।
इसके
अलावा
मां
के
गर्भ
में
पल
रहे
बच्चे
में
भी
फैल
सकता
है।
ये
कोई
छुआछुत
की
बीमारी
नहीं
है।
साथ
ही
यह
पानी
या
हवा
से
भी
नहीं
फैलता
है।
ये
केवल
पीड़ित
व्यक्ति
के
खून,
वीर्य,
योनि
से
निकलने
वाले
द्रव्य
या
एचआईवी
संक्रमित
मां
के
दूध
के
संपर्क
में
आने
पर
ही
फैलता
है।
साथ
ही
मच्छरों
के
काटने
से
भी
नहीं
फैलता
है।