क्या सेंसर बोर्ड ने बिना किसी कट के पास कर दी थी 'द कश्मीर फाइल्स', विवेक अग्निहोत्री ने दिया जवाब
'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर कहा जा रहा है कि इसे सीबीएफसी ने बिना किसी कट के पास कर दिया था और विवेक अग्निहोत्री खुद बोर्ड का हिस्सा थे। हालांकि विवेक अग्निहोत्री ने इन आरोपों का खंडन किया है।
मुंबई, 20 मार्च। 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर कहा जा रहा है कि इसे सीबीएफसी ने बिना किसी कट के पास कर दिया था और विवेक अग्निहोत्री खुद बोर्ड का हिस्सा थे। हालांकि, विवेक अग्निहोत्री ने इन आरोपों का खंडन किया है।
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बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही 'द कश्मीर फाइल्स'
विवेक
अग्निहोत्री
के
निर्देशन
में
बनी
फिल्म
'द
कश्मीर
फाइल्स'
बॉक्स
ऑफिस
पर
तहलका
मचा
रही
है।
कमाई
के
मामले
में
फिल्म
ने
सारे
रिकॉर्ड
तोड़
दिए
हैं।
मात्र
एक
हफ्ते
में
फिल्म
ने
100
करोड़
से
ज्यादा
की
कमाई
कर
ली
है
और
सोमवार
तक
इसके
175
करोड़
के
आंकड़े
को
पार
करने
की
उम्मीद
है।
हालांकि
जैसे-2
यह
फिल्म
सफलता
के
शिखर
को
छू
रही
है,
वैसे-वैसे
इससे
कुछ
विवाद
भी
जुड़ते
जा
रहे
हैं।
फिल्म
को
लेकर
कहा
जा
रहा
है
कि
इसे
सीबीएफसी
ने
बिना
किसी
कट
के
पास
कर
दिया
था
और
विवेक
अग्निहोत्री
खुद
बोर्ड
का
हिस्सा
थे।
हालांकि
विवेक
अग्निहोत्री
ने
इन
आरोपों
का
खंडन
किया
है।
जीरो कट के पास कर दी गई द कश्मीर फाइल्स
शनिवार
19
मार्च
को
दावा
किया
जा
रहा
था
कि
द
कश्मीर
फाइल्स
को
सेंसर
बोर्ड
ने
बिना
किसी
कट
के
पास
कर
दिया
और
खुद
विवेक
अग्निहोत्री
सेंसर
बोर्ड
का
हिस्सा
थे।
इस
खबर
का
खंडन
करते
हुए
आज
रविवार
को
विवेक
अग्निहोत्री
ने
ट्वीट
कर
कहा
कि
कृपया
फिल्म
को
लेकर
झूठ
फैलाना
बंद
करें।
एक
स्क्रीनशॉट
साझा
करते
हुए
उन्होंने
लिखा
कि
सेंसर
बोर्ड
द्वारा
फिल्म
को
ए
सर्टिफिकेट
दिया
गया
था
और
इसमें
सात
कट
लगाए
थे।
फिल्म
डायरेक्टर
ने
ट्वीट
कर
कहा,
'कृपया
हमेशा
की
तरह
गलत
खबर
फैलाना
बंद
करें।
एक
ब्रेक
लें।
कम
से
कम
मृतकों
का
सम्मान
करें।'
रिपोर्ट
में
उल्लेख
किया
गया
है
कि
'हिंदू'
और
'पंडित'
जैसे
शब्दों
को
अपशब्दों
से
जोड़कर
हटा
दिया
गया
था।
इसके
अलावा
बोर्ड
ने
विश्वविद्यालय
का
नाम
बदलकर
जेएनयू
से
एएनयू
कर
दिया
था।
कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को बयां करती है द कश्मीर फाइल्स
द कश्मीर फाइल्स 1990 में कश्मीरी पंडितों द्वारा कश्मीर विद्रोह के दौरान सही गई क्रूरता की सच्ची कहानी बया करती है। यह एक सच्ची कहानी है जिसे कश्मीरी पंडितों के साक्षात्कार और उस दौरान के कुछ सामने आए वीडियोज के आधार पर बनाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कश्मीरी पंडितों को उनकी अपनी धरती छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। कैसे धर्म और लोकतंत्र की हत्या कर दी गई और सरकार मूकदर्शक बनी रही।
इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, भाषा सुंबली, श्रद्धा पंडित, चिन्मय मांडलेकर मुख्य भूमिकाओं में हैं। जी स्टूडियोज, आई एम बुद्धा और अभिषेक अग्रवाल आर्ट्स के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्माण तेज नारायण अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री ने किया है।