छत्तीसगढ़ में आरक्षण बहाल नहीं हुआ ,तो राजनीति छोड़ देंगे मंत्री लखमा ?
छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे सियासत गर्म है। एक तरफ विपक्ष आरक्षण शून्य होने के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है,वहीं आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा है। इस बीच राज्य के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा के एक बयान ने
Kawasi Lakhma छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे सियासत गर्म है। एक तरफ विपक्ष आरक्षण शून्य होने के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है,वहीं आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा है। इस बीच राज्य के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा के एक बयान ने माहौल को पहले से अधिक गर्म कर दिया है। लखमा ने कहा है कि अगर मैंने आदिवासियों को आरक्षण नहीं दिलाया , तो खुद को राजनीति से अलग कर लूंगा।
रायपुर में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कवासी लखमा ने कहा, हमारी सरकार आदिवासियों के साथ लगातार बैठकर सुझाव ले रही हैं। इन्ही सुझावों के आधार पर कर्नाटक, तमिलनाडु गए थे और अब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। लखमा ने कहा कि हम विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पास करवा लेंगे। आरक्षण के मामले में हम राज्यपाल, राष्ट्रपति के पास जायेंगे, सुप्रीम कोर्ट तक में लड़ेंगे। अगर फिर भी सफलता नहीं मिली ताे मैं अपने आप को राजनीति से अलग कर लूंगा। वही लखमा के बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आरक्षण के मामले पर ही विधानसभा का विशेष सत्र बुला रहे हैं। मंत्री कवासी लखमा को इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
इससे पहले भानुप्रतापुर विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रचार करने के दौरान मंत्री कवासी लखमा को सर्व आदिवासी समाज के विरोध का सामना करना पड़ा था। इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने कहा था कि मंत्री कवासी लखमा ने लोगों से यह वादा किया है कि अगर वह आदिवासियों को फिर से 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिला पाएं तो अपना पद छोड़ देंगे। यह भी जानना जरुरी है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया,अब सरकार इसे विधानसभा में पेश करेगी।