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छत्तीसगढ़ में है डायन का मंदिर, सिर नहीं झुकाया तो सजा देती हैं परेतिन दाई, झुकाया तो मिलता है आशीर्वाद !

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बालोद, 22 मार्च। अक्सर आपने डायन की डरावनी कहानियां सुनी होंगी, कहानियों में उसे नकारत्मक शक्तियों की स्वामिनी के तौर पर पाया होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसी डायन के बारे में बता रहे हैं, जो देवी का रूप हैं। छत्तीसगढ़ के बालोद में डायन देवी का मंदिर है, जिन्हे लोग परेतिन दाई के नाम से पूजते हैं।

गुंडरदेही-बालोद प्रमुख मार्ग पर स्थित है डायन देवी का मंदिर

गुंडरदेही-बालोद प्रमुख मार्ग पर स्थित है डायन देवी का मंदिर

बालोद शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर गुंडरदेही-बालोद प्रमुख मार्ग पर स्थित ग्राम झींका में परेतिन दाई यानि डायन देवी का मंदिर है। गांव के लोग इस बात को खुद स्वीकार करते हैं कि देवी के जिस स्वरुप की वह पूजा करते हैं, उन्हें डायन कहा जाता है। स्थानीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु परेतिन दाई के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए झींका आते हैं। मुख्य मार्ग में पड़ने के कारण अक्सर यहां से गुजरने वाले माता के दरबार में सिर झुकाये बिना आगे नहीं बढ़ते हैं। मान्यता है कि माता की महिमा को जानकर भी कोई मंदिर में नहीं रुकता ,तो उसके साथ अनहोनी घटती है।

नीम के पेड़ में निवास करती हैं डायन माता

नीम के पेड़ में निवास करती हैं डायन माता

झींका के ग्रामीण परम्परागत देवी-देवताओं के स्वरुप की तुलना में परेतिन दाई (डायन माता ) की पूजा अर्चना को अधिक महत्व देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में डायन देवी की पूजा उनके पुरखों के समय से हो रही है। जिस स्थान पर माता का मंदिर है, वहां पहले नीम के पेड़ के साथ चबूतरा ही था। डायन देवी उसी नीम के पेड़ में निवास करती हैं, जबकि देवी प्रतिमा की स्थापना करीब 150 साल पहले की गई थी।

भेंट अर्पित करके ही आगे बढ़ते हैं राहगीर

भेंट अर्पित करके ही आगे बढ़ते हैं राहगीर

स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर के बाजू से निकलने वाले मार्ग से गुजरने वाले राहगीर माता के दर्शन करने के साथ उन्हें कोई ना कोई भेंट अर्पित करके ही आगे बढ़ते हैं। मसलन अगर कोई निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली भवन सामग्री जैसे रेत, गिट्टी, ईंट, मिट्टी, मुरम से भरी गाड़ी लेकर निकल रहा है, तो उसे वही ईंट, गिट्टी इत्यादि माता को अर्पित करनी होगी। अगर कोई फल, दूध, सब्जी इत्यादि ले जा रहा है, तो उसे उसमे से कुछ हिस्सा माता को अर्पित करना होगा। ऐसा ना करने से राहगीरों की उपयोगी वस्तुएं खराब हो जाती हैं।

डायन माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

डायन माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

गांव के एक स्थानीय ग्वाले के मुताबिक जब भी कोई राउत दूध दूह कर उसे बेचने के लिए मंदिर के सामने से गुजरता है, तो थोड़ा सा दूध डायन माता को अर्पित करके ही आगे बढ़ता है। मान्यता है कि अगर ऐसा नहीं किया, तो पूरा दूध फट जायेगा। ऐसा नहीं है कि माता सबसे केवल चढ़ावा मांगती हैं। अगर कोई राहगीर मंदिर के मान्यता से अंजान होता है, तो माता उसे क्षमा कर देती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि परेतिन देवी कभी किसी का बुरा नहीं चाहती हैं। दरअसल वह उनके दरबार में आने वाले लोगों की रक्षा करती हैं। अगर कोई सच्चे मन से माता से प्रार्थना करता है, तो माता उनकी मनोकामना भी जरूर पूरी करती हैं। माता को मानने वाले हर साल नवरात्री में उनके दर्शन करने और ज्योति कलश स्थापित करने दूर-दूर से आते हैं।

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English summary
There is a witch's temple in Chhattisgarh, if you don't bow your head, you get punished, if you bow down, you get blessings
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