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छत्तीसगढ़: जीत गया राहुल का हौसला, काम कर गई दुआएं, 105 घंटे बाद बोरवेल से बाहर आया मासूम

भारत के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में 11 वर्ष के बच्चे राहुल साहू को बचा लिया गया है।

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जांजगीर चाम्पा, 14 जून। भारत के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में 11 वर्ष के बच्चे राहुल साहू को बचा लिया गया है। 105 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राहुल को गड्ढे से बाहर निकालते ही ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे इलाज के लिए बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया गया है ।

गौरतलब है कि बच्चे को बचाने के लिए बीते 5 दिन से एनडीआरएफ के जवानो के साथ 300 अधिकारी, कर्मचारी, मजदूर लगे हुए थे। यहां तक कि बेहद व्यस्तता के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस पूरे बचाव अभियान की निगरानी करते रहे।

rahul

कैमरे से रखी गई नजर, दिया खाना, पानी, पहुंचाई ऑक्सीजन

10 जून की दोपहर छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले का गांव पिहरीद में अपने घर की बाड़ी में खेलने के दौरान 11 साल का मासूम राहुल साहू बोर में लगभग 60 फीट नीचे गिरकर फंस गया था । घटना की जानकारी गांव में फैलने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन से मदद मांगी। जिसके बाद घटना की खबर मिलते ही जांजगीर के कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला और पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल सहित तमाम अधिकारियों का दल घटनास्थल पहुंचा।

जिसके बाद बच्चे को सुरक्षित रखने की दिशा में कदम उठाते हुए तत्काल ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई, फिर विशेष कैमरे लगाकर राहुल की हर गतिविधियों पर नजर रखना शुरू करने के साथ उसे खाने पीने के सामान भी दिए गए। यह घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी। जिला प्रशासन द्वारा बच्चे को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित आवश्यकता अनुसार सभी से संपर्क बनाया गया।

rahul sahu

राहुल नहीं है सामान्य बालक, इसलिए आई दिक्कतें

बोर के गड्डे में करीब 4 दिनों तक फंसे रहकर भी मौत को मात देने वाला राहुल कोई सामान्य बच्चा नहीं हैं। बच्चा मूक-बधिर होने के अलावा मानसिक रूप से भी कमजोर है, इसलिए उसको बाहर निकालने में काफी समस्याएं पेश आई हैं। बच्चे के पिता लाला साहू पेशे से किसान हैं और घर पर ही टेंट हाउस के साथ डीजे का व्यवसाय भी करते हैं। उन्होंने अपने घर के पीछे अपनी जमीन पर बोर करवाई थी, लेकिन पानी नहीं निकलने के कारण बोर को पूरी तरह से ढंका नहीं, बोर खुला हुआ था। उनकी यही लापरवाही भारी पड़ गई। राहुल के पिता बताते हैं कि उनके 11 साल के राहुल के अलावा 8 साल का बच्चा ऋषभ भी है। घर के पीछे बहुत बाड़ी होने के कारण अक्सर राहुल, ऋषभ और बाकी के बच्चे वहां खेलते रहते हैं।

सांप बिच्छू और पानी के बढ़ते स्तर ने बढ़ाई चुनौती

बोरवेल के गड्ढे के समानांतर सुरंग बनाने के कार्य के दौरान संकट कम नहीं था। बचाव टीम के विशेषज्ञों के बताया कि पथरीली चट्टान होने से साँप-बिच्छू मिलने का खतरा भी रहता है, इसलिए तत्काल प्रशासन को एंटी-वेनम और सर्प विशेषज्ञ की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री के कार्यालय से किये गए ट्वीट में बताया गया कि कैमरे से देखा गया कि राहुल को बचाने के लिए बनाई गई सुरंग में सांप भी आ गया था, लेकिन राहुल को वह नुकसान नहीं पंहुचा सका।


वहीं बारिश के बाद जमीन का जल स्तर बढ़ने के कारण पूरे गांव के लोगों ने बोर चला कर जल स्तर घटाने का प्रयास शुरू किया। कलेक्टर के निर्देश पर ग्राम पिहरीद में पानी के स्तर को कम करने की प्रक्रिया लगातार चलती रही, वहीं बोरवेल में फंसे बच्चे के पास पानी का लेबल कंट्रोल करने के लिए पास के ही 2 स्टापडेम से भी गेट खोलकर पानी को छोड़ा गया।

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English summary
Chhattisgarh: Rahul's courage won, prayers worked, innocent came out of borewell after 105 hours
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