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Motivational Monday: शादी के 1 महीने में ही बहू ने क्लियर कर ली BPSC, लोगों ने संज्ञा दी 'अधिकारी दुल्हन'

रुचिला की शादी हुए पूरे तीस दिन हुए तो बीपीएससी पास करने की ख़ुशखबरी मिली। मायके और ससुराल वालों में यह खबर सुनते ही खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं ग्रामीणों ने जश्न मनाते हुए रुचिला को 'अधिकारी दुल्हन' की संज्ञा दे दी।

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वैशाली, 8 अगस्त 2022। बिहार में हाल ही में बीपीएसी परीक्षा का रिज़ल्ट घोषित किया गया है। उसमें से कई लोगों के कामयाबी की कहानी आपने सुनी होगी। इन सबके बीच एक नाम चर्चा में है जिसने चार सरकारी नौकरी की परीक्षा पास कर मिसाल पेश की है। जी हां हम बात कर रहे हैं रुचिला की उन्होंने अब बीपीएससी की परीक्षा पास कर प्रोबेशनरी ऑफिसर बनी हैं। ग़ौरतलब है कि इससे पहले वह मद्य निषेध विभाग, बिहार पुलिस के दारोगा और रेलवे परीक्षा में कामयाबी हासिल कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने बिहार शिक्षक के नियोजन में भी अपना परचम लहाराया था।

ग्रामीणों ने दी 'अधिकारी दुल्हन' की संज्ञा

ग्रामीणों ने दी 'अधिकारी दुल्हन' की संज्ञा

रुचिला की शादी हुए पूरे तीस दिन हुए तो बीपीएससी पास करने की ख़ुशखबरी मिली। मायके और ससुराल वालों में यह खबर सुनते ही खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं ग्रामीणों ने जश्न मनाते हुए रुचिला को 'अधिकारी दुल्हन' की संज्ञा दे दी। अब लोग उन्हे प्यार से इसी नाम से बुला रहे हैं। गांव से ताल्लुक रखने के साथ ही एक मध्यम वर्ग के परिवार से आने वाली रुचिला की कामयाबी से ना सिर्फ़ मायके और ससुराल वाले ख़ुश हैं बल्कि ग्रामीणों में भी जश्न का माहौल है। अपनी नई नवेली दुल्हन पर पति भी गर्व महसूस कर रहे हैं।

सेल्फ स्टडी से ही मिली रुचिला को कामयाबी

सेल्फ स्टडी से ही मिली रुचिला को कामयाबी

रुचिला ने बीपीएससी की परीक्षा में 215वां रैंक हासिल किया है। ग़ौरतलब है कि रुचिला ने अपने घर में ही रहकर कॉम्पेटेटिव एग्ज़ाम्स की तैयारी कर कामयाबी हासिल की है। सेल्फ स्टडी के ज़रिए ही रुचिला ने सरकारी नौकरी में इस मुकाम को हासिल किया है। ग्रामीणों ने बताया कि रुचिला बचपन से ही पढ़ने में तेज़ थी। इसके साथ ही उसके माता-पिता का इस कामयाबी में बड़ा योगदान रहा है। रुचिला के पिता पेशे से सरकारी शिक्षक हैं। उन्होंने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए बहुत ही मशक्कत की है।

मायके से लेकर ससुराल तक बजे कामयाबी के डंके

मायके से लेकर ससुराल तक बजे कामयाबी के डंके

स्थानीय लोगों ने कहा कि गांव की बेटी के कामयाबी से बहुत ही फ़ख्र महसूस कर रहे हैं। गांव की बेटी रुचिला की कमायाबी के डंके मायके से लेकर ससुराल तक बज रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव में ज़्यादातर लोग बेटी को शिक्षा नहीं दिलाते हैं। वहीं जो अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते हैं तो उसे ताना मारा जाता है। इन सब परेशानियों से जूझते हुए रूचिला के मां-पिता ने बच्ची को शिक्षा दिलाई। बताते हैं कि रुचिला की मां ने अपने पैरों में आज तक पायल तक नहीं पहना, क्योंकि रुचिला घर में रहकर पढ़ाई करती थी और पायल की आवाज पढ़ाई करने में परेशान होती। रुचिला के मां-बाप के त्याग को बेटी ने साकार कर दिखा और आज पूरे ज़िला के लोग उसकी कामयाब से गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।

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English summary
Motivational story of vaishali ruchila BPSC 215 rank, success story of ruchila
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