आगरा: 42 साल बाद आया चार लोगों की हत्या का फैसला, कोर्ट ने सुनाई दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा
आगरा। 42 साल पहले हुई चार लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने चार लोगों की हत्या के केस में नामजद आरोपी निरंजन सिंह और राजेंद्र सिंह को दोषी करार देते हुए दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं, दोनों आरोपियों पर 1.50 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। जानकारी के मुताबिक, इस मामले में एक अभियुक्त को पूर्व में बरी किया जा चुका है। जबकि दो आरोपियों की मुकदमा दर्ज के दौरान मृत्यु हो गई।

घटना 13 मई 1979 को हुई थी। मामले में बसेरी चाहर निवासी महाराज सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। गांव में भगवान सिंह के बेटों और अनिल कुमार में जमीन को लेकर रंजिश चल रही थी। इसको लेकर अक्तूबर 1978 में गांव के जसवंत को जान से मारने की नीयत से गोली मारी गई थी। मुकदमे में महाराज सिंह के पिता अतर सिंह गवाह थे। अभियुक्त कई बार उनको धमकी दे चुके थे। गवाही नहीं देने का दबाव बनाया गया था। इनकार करने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई थी।
घटना वाले दिन अतर सिंह और पिक्की खेत पर चारपाई पर सो रहे थे। महाराज सिंह भी पास ही थे। उनके चाचा दरियाब सिंह की छत पर उनका बेटा बीरी सिंह सोया था। चाची हरप्यारी आंगन में थीं। महाराज सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था कि रात तकरीबन 11 बजे चाचा की आंख खुली तो उन्होंने अभियुक्त राजेंद्र को देखा। उसके हाथ में दोनाली बंदूक लगी थी। प्रताप के पास भी बंदूक थी। नरेंद्र उर्फ मुंशी कट्टा और चाकू लेकर आए थे। निरंजन सिंह निवासी कूपा, थाना सेवर भरतपुर राजस्थान, और रनवीर सिंह भी हाथों में हथियार लेकर आए थे।
अभियुक्त राजेंद्र प्रताप, निरंजन ने महाराज सिंह के पिता अतर सिंह और पिक्की को पकड़ लिया। नरेंद्र ने चाकू से दोनों पर कई वार किए। इसके बाद बंदूक से गोली मारकर दोनों की हत्या कर दी गई। महाराज सिंह को भी मारने की कोशिश की। लेकिन वह भाग निकला। वहीं बीरी सिंह के शोर मचाने पर उनकी मां हरप्यारी और परिवार की महिला मटरी आईं। अभियुक्तों ने उन दोनों की भी गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद भाग गए।
पांच के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
घटना में राजेंद्र सिंह, प्रताप, नरेंद्र उर्फ मुंशी, निरंजन सिंह, रनवीर सिंह खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, हत्या सहित अन्य धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था। रनवीर सिंह की पत्रावली अलग हो गई। वर्ष 1985 में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया। अभियुक्त प्रताप और नरेंद्र उर्फ मुंशी की मृत्यु हो गई। राजेंद्र और निरंजन सिंह को कोर्ट ने दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। एडीजीसी प्रदीप कुमार शर्मा ने कोर्ट में दस गवाह और सबूत पेश किए। अभियुक्तों को फांसी की सजा की दलील दी अभियुक्तों की उम्र अब 70 साल से अधिक है।