आदर्श रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी आर्मी
आपको बता दें कि आदर्श सोसाइटी घोटाले की जांच के लिए बने दो सदस्यीय आयोग का कहना है कि सोसाइटी की विवादित जमीन राज्य सरकार की है न कि सेना की। इस इमारत में कारगिल शहीदों की विधवाओं के लिए कोई आरक्षण होने की बात भी सिद्ध नहीं हो सकी। सिर्फ इन्हीं दो मुद्दों पर आई आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को महाराष्ट्र सरकार, राज्य के कुछ नेताओं और इस घोटाले के अन्य आरोपियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। करीब डेढ़ साल पहले यह घोटाला उजागर होने के बाद से ही कहा जाता रहा है कि सेना की जमीन हथियाकर आदर्श सोसाइटी की इमारत खड़ी की गई।
कारगिल शहीदों की विधवाओं के नाम पर सोसाइटी बनाकर असैन्य खरीदारों को फ्लैट दिए गए। इन दोनों गंभीर मुद्दों सहित आदर्श सोसाइटी से जुड़े सभी मामलों की जांच के लिए जनवरी, 2011 में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने दो सदस्यीय आयोग का गठन पूर्व न्यायाधीश जेए पाटिल की अध्यक्षता में किया था। आयोग की अंतरिम रिपोर्ट मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में रखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित भूखंड पर सेना अपना दावा सिद्ध नहीं कर सकी, इसलिए इसे राज्य सरकार का माना जाना चाहिए।
इस संबंध में सेना और राज्य सरकार दोनों ही पक्षों द्वारा पेश किए गए तथ्यों व तर्को का हवाला भी रिपोर्ट में दिया गया है। इसी तरह सोसाइटी की इमारत कारगिल शरीदों की विधवाओं के लिए आरक्षित होने की बात भी सिद्ध नहीं हो सकी। इस संबंध में आयोग ने सेना, राज्य सरकार और आदर्श सोसाइटी, तीनों ही पक्षों से जानकारी ली। किसी भी पक्ष द्वारा ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका, जिससे कारगिल विधवाओं के लिए इमारत में आरक्षण जाहिर हो सके।