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मौत से तीन दिन पहले गद्दाफी ने लिखी थी वसीयत

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Muammar Gaddafi's last will
त्रिपोली। तानाशाही के बल पर 42 साल तक लीबिया पर एकछत्र राज करने वाले कर्नल मुअम्‍मर गद्दाफी को मरने से पहले ही मौत का एहसास हो गया था। गद्दाफी को यहां तक अंदेशा हो गया था, कि वह लड़ते हुए ही मारा जायेगा। इसलिये उसने अपने वसीयत में साफ लिख दिया था, कि मरने के बाद न तो उसके कपड़े बदले जाएं और न ही उसे नहलाया जाए। उसने अपने वसियत में लिखा था कि वह जिस भी हालत में मरे उसे वैसे ही दफ्न कर दिया जाये। गद्दाफी की अंतिम इच्‍छा और उसके वसीयत के कुछ मुख्‍य अंश पर अंकुर कुमार श्रीवास्‍तव की रिपोर्ट-

गद्दाफी की मौत के 5 दिन बाद जब उसकी वसीयत सामने आई, तो लीबिया की अंतरिम सरकार के भी होश उड़ गये। आगे की बात करने से पहले आईए गद्दाफी की वसीयत पर चर्चा कर लें जिससे यह स्‍पष्‍ट हो जायेगा कि गद्दाफी मौत के उन फरीश्‍तों को देख चुका था, जो बहुत जल्‍द उसे अपने साथ ले जाने के लिये आने वाले थे। गद्दाफी ने अपनी वसीयत की शुरुआत में ही लिख दिया था कि "मैं मुअम्‍मर बिन मोहम्‍मद अब्‍दुस्‍ल्‍लाम बिन हुमैद बिन नईल अलफुहसी गद्दाफी यह कसम खाता हूं कि अल्‍लाह के अलावा मेरा कोई और नहीं है और मो‍हम्‍मद अल्‍लाह के पैगंबर हैं। मैं शपथ लेता हूं कि मैं एक सच्‍चे मुसलमान की तरह मरुंगा। अगर मैं लड़ाई में मारा जाऊं तो मुझे मुस्लिम रीति रिवाज़ से दफनाया जाये। मुझे उसी कपड़े में दफनाया जाए जो मैने मौत के समय पहने हों। दफनाने से पहले मुझे नहलाया भी ना जाये और मुझे मेरे शहर सिर्त में मेरे रिश्‍तेदारों के बगल में दफना दिया जाए।"

गद्दाफी ने अपनी वसीयत मौत के तीन दिन पहले यानि कि 17 अक्‍टूबर 2011 को तीन रिश्‍तेदारों के सामने लिखा था। खास बात तो यह है कि हमेशा सोने की कलम से लिखने वाले गद्दाफी ने इस बार सामान्‍य कलम का प्रयोग किया। गद्दाफी अपने बीबी बच्‍चों से बेहद प्‍यार करता था। इसलिये वह हमेशा उनकी सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद रहता था। गद्दाफी को यह डर था कि उसके जाने के बाद लीबिया के लोग उसके परिवार वालों को नुकसान पहुंचाएंगे। उसने अपने वसीयत में लीबिया की जनता से गुजारिश की थी कि वह उसके बीबी और बच्‍चों के साथ कोई बदसलूकी ना करें।

वसीयत में गद्दाफी ने लिखा था, "मैं चाहता हूं कि मेरे मरने के बाद मेरे परिवार के लोगों, खासकर महिलाएं और बच्‍चों के साथ अच्‍छा सुलूक किया जाये। लीबिया के लोग अपने इतिहास और शख्सियत के साथ देश के शूरवीरों की यादों को बचा कर रखें। लीबिया के लोगों को उनके बलिदानों को कभी नहीं भूलाना चाहिए... मैं अपने समर्थकों से अपील करता हूं कि वह लीबिया के दुश्‍मनों के खिलाफ हमेशा जंग जारी रखें। पूरी दुनिया को यह मालूम पड़ना चाहिए कि हम भी एक सुरक्षित जिदंगी जी सकते थे... और हम भी अपने उद्देशों को बेच सकते थे। मगर हमने ऐसा नहीं किया और लड़ना बेहतर समझा। हमने जंग को ही अपना कर्तव्‍य और सम्‍मान समझा। अगर हम यह जंग नहीं जितते हैं तो आने वाले समय में यह हमारे नस्‍लों के लिये एक सबक होगा। अपने देश को बाहरी ताकतों से बचाना एक सम्‍मान की बात है और देश को बेच देना सबसे बड़ी गद्दारी। इसे इतिहास में याद किया जायेगा चाहें दूसरे इसे कितना भी झूठलाने की कोशिश करें।"

खैर गद्दाफी की वसीयत जानने के बाद उसकी अंतिम इच्‍छा तो जाहिर हो जाती है मगर एक चीज और है जिस पर वहां कि अंतरिम सरकार को ध्‍यान देने की जरुरत है। गद्दाफी की वसीयत इस ओर इशारा कर रही है कि शुरुआती दौर में उसने तानाशाही अपनी बीबी और बच्‍चों के खुशी के लिये की मगर बाद में जो कुछ भी हो रहा था उसमें विदेशी ताकतों का हाथ था।

English summary
Muammar Gaddafi's website, Seven Days News, says it has published the last will of the deceased former leader of Libya. The document was reportedly handed to three of his relatives, one of whom was killed, the second arrested and the third managed to escape the fighting in Sirte.
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