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भाजपा-बीजद अलगाव से बदला समीकरण, तीसरे मोर्चे का प्रयास तेज (राउंडअप)

By Staff
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उड़ीसा के राज्यपाल मुरलीधर चंद्रकांत भंडारे ने मुख्यमंत्री पटनायक को विधानसभा में 11 मार्च को बहुमत साबित करने के लिए कहा है।

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा व बीजद के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री पटनायक और भाजपा सांसद चंदन मित्रा के बीच शनिवार को आहूत बैठक के विफल हो जाने के बाद दोनों दलों के बीच 11 सालों का गठबंधन टूट गया।

भाजपा ने उसके बाद राज्य की बीजद सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और उसने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर दी।

लेकिन मुख्यमंत्री पटनायक ने अपने कई मंत्रियों व विधायकों के साथ रविवार को राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें 147 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 74 से अधिक विधायकों के समर्थन की जानकारी दी।

विधानसभा में एक-एक सदस्यों वाली मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने बीजद सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है।

4 विधायकों वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी बीजद सरकार को समर्थन की घोषणा की है।

राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी (राकांपा) के महासचिव डी.पी.त्रिपाठी के मुताबिक उनके दो विधायक भी पटनायक सरकार को समर्थन देंगे।

इन सब घटनाक्रमों के चलते माकपा के नेतृत्व में वामपंथी पार्टियों ने कांग्रेस व भाजपा को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक तीसरे मोर्चे का प्रयास तेज कर दिया है।

माकपा अपने वामपंथी सहयोगियों के अलावा आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), तमिलनाडु में एआईडीएमके और कर्नाटक में जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) के साथ चुनावी गठबंधन करने में पहले ही सफल हो चुकी है।

अब माकपा ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री व बीजद प्रमुख नवीन पटनायक तथा उड़ीसा के अन्य नेताओं के साथ बातचीत के लिए पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी को भुवनेश्वर भेजा है।

माकपा महासचिव प्रकाश करात ने पार्टी की केंद्रीय समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद यहां रविवार को संवाददाताओं को बताया, "मुझे इस बात पर खुशी है कि बीजद ने भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अपना नाता तोड़ लिया है। पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी उड़ीसा के मुख्यमंत्री व बीजद प्रमुख नवीन पटनायक और अन्य नेताओं से मिलने वाले हैं।"

करात की टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब उड़ीसा के माकपा और भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) के नेताओं ने भाजपा द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद उड़ीसा सरकार को समर्थन देने का संकल्प लिया।

करात ने कहा, "हम गठबंध के बारे में कोई फैसला करने के लिए 14 मार्च को दोबारा मिलेंगे।"

करात ने कहा, "यह एक अच्छी घटना है। कंधमाल में ईसाइयों पर हमले के बाद हमारे नेताओं ने नवीन पटनायक से मुलाकात की थी और उनसे कहा था कि भाजपा का साथ बनाए रखना उनके लिए बहुत महंगा साबित होगा।"

करात ने कहा कि बीजद माकपा के साथ पिछले कुछ दिनों से संपर्क में था।

उधर मुख्यमंत्री पटनायक ने आईएएनएस को बताया कि पिछले वर्ष कंधमाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटना को लेकर बीजद के कई नेता नाखुश थे।

बीजद के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री सूर्यनारायण पात्रो ने आईएएनएस को बताया, "भाजपा कार्यकर्ता और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के लोग हिंसा में शामिल थे।"

दूसरी ओर उड़ीसा में बीजू जनता दल (बीजद) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के फैसले को भाजपा ने दुर्भाग्यपूर्ण और उड़ीसा की जनता के साथ धोखा करार दिया है।

उड़ीसा के ताजा घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए भाजपा की केंद्रीय पदाधिकारियों की वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर रविवार शाम एक बैठक हुई।

बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने गठबंधन तोड़ने के लिए बीजद को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि वामदलों के झांसे में आकर बीजद ने उड़ीसा की जनता के साथ धोखा किया है।

उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक को उनके कुछ सलाहकारों और वामपंथियों ने गुमराह किया।

इस बीच पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा ने उड़ीसा में बीजद के साथ गठबंधन धर्म का पूरी तरह पालन किया और पटनायक सरकार को पूरा सहयोग दिया है।

बैठक में आडवाणी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे। आडवाणी के दूत बनकर शनिवार को नवीन पटनायक से मिलने भुवनेश्वर गए सांसद चंदन मित्रा भी इस बैठक में विशेष रूप से मौजूद थे। उन्होंने बैठक में पटनायक से बातचीत का ब्योरा पेश किया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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