राजस्थान में गुर्जर आंदोलन का सफर
नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। राजस्थान के गुर्जर समाज द्वारा अनुसूचित जनजातिय में शामिल किए जाने की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ाव :
-राज्य में गुर्जरों की जनसंख्या 5.647 करोड़ है जो राज्य की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत है।
-वर्ष 1951 में गुर्जर समुदाय को गैर अपराधिक किस्म की जनजाति घोषित की गई।
-वर्ष 1954 में राजस्थान में गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति का दर्ज नहीं दिया गया जबकि मीणा समुदाय को यह दर्ज दिया गया।
-सन पचास के दशक से ही अनुसूचित जनजाति समुदाय में शामिल किए जाने के लिए गुर्जर समुदाय ने आंदोलन शुरू कर दिया।
-सन 1981 की जनगणना के बाद गुर्जरों को पिछड़ी जाति की श्रेणी में दिखाया गया।
-वर्ष 1984 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने गुर्जरों द्वारा अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग को खारिज कर दिया।
-वर्ष 1993 में गुर्जरों को अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) की श्रेणी में शामिल किया गया।
-वर्ष 1999 में जाट समुदाय को भी ओबीसी की श्रेणी में लाया गया।
-वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे ने विधानसभा चुनाव के दौरान गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने का वादा किया।
- मई-जून 2007 में गुर्जरों ने बड़ा प्रदर्शन किया। इस दौरान कई लोगों की मौत हुई। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने कहा कि गुर्जर आंदोलन देश के लिए शर्म की बाद है।
- गुर्जरों की मांग को लेकर जून 2007 में न्यायाधीश जसराज चोपड़ा समिति का गठन हुआ।
-दिसंबर 2007 में चोपड़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में गुर्जरों की मांग को खारिज कर दिया गया लेकिन एक विशेष पैकेज दिए जाने की अनुशंसा की गई।
-17 मई 2008 को रामदास अग्रवाल समिति ने गुर्जर बहुल क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज के अंतर्गत 2.82 अरब रुपये की घोषणा की।
- 26 मई को भरतपुर में पुलिस की गोली से कई गुर्जर मरे।
- 26 मई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा और गुर्जरों को चार से छह प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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