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छत्तीसगढ़: गरियाबंद हीरा खदान को शुरू कराने की कवायद में जुटे सीएम भूपेश बघेल, दिए ये अहम निर्देश

छत्तीसगढ़ में सरकार गरियाबंद के पायलीखंड हीरा खदान को शुरू कराने की कवायद में जुट रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खनिज विभाग के अफसरों को न्यायालय से लगी रोक हटवाने की कोशिश करने का निर्देश दिया।

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रायपुर, 26 सितंबर: छत्तीसगढ़ में सरकार गरियाबंद के पायलीखंड हीरा खदान को शुरू कराने की कवायद में जुट रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खनिज विभाग के अफसरों को न्यायालय से लगी रोक हटवाने की कोशिश करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, न्यायालय ने स्टे ऑर्डर को वापस लेने के लिए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि वहां हीरा खदान संचालित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जा सके।

भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को जिला खनिज न्यास मद और राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठक ले रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस इस दौरान अफसरों से कहा, स्वास्थ्य व शिक्षा संबंधी उपकरणों की खरीदी के लिए विभाग के बजट का ही उपयोग किया जाए। इसके लिए जिला खनिज न्यास मद का उपयोग नहीं करना है। उन्होंने कहा कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों के लिए इस मद से उपकरणों की खरीदी की अनुमति रहेगी। इसी प्रकार खनिज न्यास मद से कार्यालयों में उपयोग के लिए वाहनों की खरीदी प्रतिबंधित रहेगी, लेकिन स्वास्थ्य जैसी अति आवश्यक सेवाओं के लिए एंबुलेंस और शव वाहन खरीदे जा सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा, खनिज न्यास मद की राशि का आवंटन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावित जिलों में निर्धारित अनुपात के आधार पर किया जाए। इसमें नये बने पांच जिलों के लिए भी राशि का आवंटन सुनिश्चित करना है ताकि विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ समय पर पूरा किया जा सके। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे, वन एवं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

अब तक 70 हजार काम मंजूर हो चुके

मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने बताया, जिला खनिज न्यास के गठन से लेकर अब तक 70 हजार काम मंजूर हुए है। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। अभी तक 43 हजार काम पूरे हुये हैं।

छत्तीसगढ़ के लिए हीरा खदान क्यों महत्वपूर्ण है

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में 6 स्थानों पर हीरे की मौजूदगी का पता चला है। इसमें पायलीखंड, बेहराडीह के करीब 40 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में भंडार का पता लग चुका है। यह बात 90 के दशक में ही स्थापित हो गई थी। 1992 में इसकी खुदाई के लिए तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने कोशिश शुरू की। एक प्रमुख खनन कंपनी डी. बियर्स को खनन का पट्‌टा भी मिल गया। लेकिन कुछ शिकायतों की वजह से निविदा रद्द हो गई।

1998 में एक बार फिर कोशिश हुई। इस बार भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और विवाद बढ़ा। नवम्बर 2000 में छत्तीसगढ़ अलग हो गया। उसके बाद खनिज साधन विभाग ने पट्‌टाधारी कंपनी को नोटिस जारी किया। विवाद बढ़ा तो कंपनी हाईकोर्ट चली गई। उसके बाद 2008 से यह मामला दिल्ली ट्रिब्यूनल मिनिस्ट्री आफ माइंस के पास है। इस कानूनी लड़ाई की वजह से वहां से सरकारी तौर पर एक ढेला भी नहीं निकाला जा सका है। वहीं वह पूरा इलाका हीरा और रत्न तस्करों की सैरगाह बना हुआ है।

यह भी पढ़ें- छत्तीसगढ़: सीएम भूपेश बघेल ने दी नवरात्रि की शुभकामना, शुरू होगा 'हमर बेटी-हमर मान' अभियान

English summary
CM Bhupesh Baghel engaged in exercise of starting Gariaband diamond mine gave important instructions Chhattisgarh
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