कांग्रेस के असंतुष्टों नेताओं के 'जी-23' समूह का प्रमुख की भूमिका में भूपेंद्र हुड्डा
चंडीगढ़। देश में हो रहे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा नई भूमिका में सामने आए हैं। भूपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस के असंतुष्टों नेताओं के 'जी-23' समूह का प्रमुख सदस्य माना जाता है। नई भूमिका में भूपेंद्र हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने, उससे साफ हो गया है कि हुड्डा पूरी तरह से गांधी परिवार के साथ खड़े हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी हुड्डा और दीपेंद्र केरल होकर आए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भूपेंद्र हुड्डा की अच्छी दोस्ती है। अशोक गहलोत के जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की संभावना थी, तब हुड्डा और दीपेंद्र ने स्पष्ट कह दिया था कि हरियाणा कांग्रेस कमेटी के सभी डेलीगेट (प्रदेश प्रतिनिधि) गहलोत के साथ खड़े नजर आएंगे। राजस्थान में राजनीतिक घटनाक्रम बदला और अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए।
अशोक गहलोत के चुनाव नहीं लड़ने के बाद माना जा रहा था कि हुड्डा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे 'जी-23' के सदस्य शशि थरुर के पाले की तरफ खड़े दिखाई दे सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गांधी परिवार के बेहद नजदीकी मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बनकर हुड्डा और दीपेंद्र ने यह साफ कर दिया है कि उनकी राजनीतिक निष्ठाओं और गांधी परिवार के प्रति समर्पण को संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। हालांकि हुड्डा कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस में 'जी-23' जैसा कोई समूह नहीं है, बल्कि कांग्रेस में लोकतांत्रिक व्यवस्था की पैरवी करने वाले पार्टी नेताओं को मीडिया ने अपने मन से 'जी-23' का नाम दे दिया है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अनुसार सभी की बात मानी गई, जिसके आधार पर अब कांग्रेस संगठन में लोकतांत्रित तरीके से चुनाव हो रहे हैं। हुड्डा कांग्रेस में ही अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर तब आए थे, जब गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी थी और राहुल गांधी के बारे में खुलकर अपनी राय जाहिर की थी।