सपा दंगल: 'साइकिल' तो बेटा अखिलेश ले गया, अब क्या करेंगे पैदल मुलायम?
अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के सामने काफी विकट हालात खड़े हो गए हैं, अब उनका सारा दिमाग इसी बात में लगा होगा कि आखिर अब वो क्या करे जिससे अपने बेटे के बढ़ते कद को रोका जा सके।
लखनऊ। सोमवार को निर्वाचन आयोग ने अखिलेश यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मान्यता दे दी और 'साइकिल' भी। आयोग का फैसला चुनाव की पहले चरण की अधिसूचना से ठीक एक दिन पहले आया है जिससे बाद से अखिलेश खेमा तो जश्न मना रहा है लेकिन मुलायम खेमे में मायूसी छाई हुई है।
अखिलेश यादव को नहीं मिलती 'साइकिल' तो डूब जाते करोड़ों
अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के सामने काफी विकट हालात खड़े हो गए हैं, अब उनका सारा दिमाग इसी बात में लगा होगा कि आखिर अब वो क्या करे जिससे अपने बेटे के बढ़ते कद को रोका जा सके, हालांकि वो नेताजी के साथ-साथ सीएम अखिलेश के पिता भी हैं, ऐसे में उनकी स्थिति और भी खराब है कि वो बेटे की जीत का जश्न मनाए या खुद के पैदल होने का मातम।
राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि अब मुलायम सिंह के पास केवल निम्नलिखित तीन विकल्प बचते हैं...
पहला विकल्प: मुलायम सिंह कोर्ट जाकर चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे की अपील करें, हालांकि उन्हें इस कदम से कोई फायदा नहीं होने वाला क्योंकि आज यूपी चुनाव अधिसूचना जारी हो जाएगी।
दूसरा विकल्प: अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष मानते हुए संरक्षक की भूमिका स्वीकार कर लें लेकिन ऐसा करना उनके लिए आसान ना हो क्योंकि उनके संरक्षक बनने पर उन लोगों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा जो इस वक्त नेताजी के साथ खड़े हैं।
तीसरा विकल्प: मुलायम अपने बेटे अखिलेश के खिलाफ चुनावों में जाएं और अलग चुनाव लड़कर जनमत लेकर आए लेकिन क्या उम्र के इस दौर में एक बाप के लिए अपने बेटे के खिलाफ चुनाव लड़ना संभव है, ये एक सोचनीय विषय है।
जिसका जलवा कायम, उसका नाम मुलायम
फिलहाल अब हर किसी की नजर नेताजी मुलायम की ओर है, देखते हैं जिसका जलवा कायम, उसका नाम मुलायम के नाम से प्रचारित होने वाले मुलायम सिंह की राजनीति और दिमाग उनसे क्या करवाता है और वर्चस्व के इस युद्द में वो अपना फायदा सोचते हैं या फिर पार्टी का।