भाजपा को झटका, कैराना उपचुनाव के लिए सपा-बसपा के साथ आया एक और बड़ा दल
यूपी में कैराना लोकसभा और बिजनौर जिले की नूरपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्ष ने चक्रव्यूह रच दिया है।
नई दिल्ली। यूपी में कैराना लोकसभा और बिजनौर जिले की नूरपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्ष ने चक्रव्यूह रच दिया है। गोरखपुर और फूलपुर सीटें भाजपा से छीनने वाले 'सपा-बसपा के गठबंधन' में अब एक और दल शामिल हो गया है। शुक्रवार को लखनऊ में हुई सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के नेता जयंत चौधरी की मुलाकात हुई और इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच सहमति बनी कि कैराना सीट पर सपा और नूरपुर सीट पर आरएलडी का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा।
पहले कैराना से खुद लड़ना चाहते थे जयंत
आपको बता दें कि पहले आरएलडी कैराना सीट पर जयंत चौधरी को मैदान में उतारना चाहती थी। इस संबंध में जयंत चौधरी ने पहले बसपा सुप्रीमो मायावती और इसके बाद शुक्रवार को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। दो घंटे तक चली बैठक में सहमति बनी कि कैराना सीट पर सपा ही उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि नूरपुर सीट लोकदल के खाते में चली गई है। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी सहमति बनी है। माना जा रहा है कि रविवार को इस संबंध में आधिकारिक तौर पर घोषणा हो सकती है।
भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बसपा और सपा में पहले ही गठबंधन हो चुका है। मायावती ये भी ऐलान कर चुकी हैं कि वो लोकसभा के आम चुनाव से पहले किसी भी उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेंगी। ऐसे में कैराना सीट पर सपा, लोकदल और बसपा का संयुक्त प्रत्याशी उतरने से भाजपा उम्मीदवार के लिए जीत हासिल करना काफी मुश्किल हो सकता है। कैराना लोकसभा में करीब 17 लाख वोट हैं। इनमें 5 लाख मुस्लिम, 4 लाख ओबीसी (जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप, प्रजापति व अन्य) और लगभग 1.5 लाख जाटव वोट हैं।
कांग्रेस ने नहीं खोले अपने पत्ते
आपको यह भी बता दें कि कैराना में कांग्रेस के स्थानीय नेता पहले ही हाईकमान से कह चुके हैं कि वो समाजवादी पार्टी के साथ जाने के बजाए जयंत चौधरी को सपोर्ट करना चाहते हैं। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद का कहना है कि कैराना की 5 विधानसभाओं में से तीन विधानसभा शामली, गंगोह और नकुर में पार्टी मजबूत स्थिति में है। सूत्रों का कहना है कि इस हालत में कांग्रेस के सामने मजबूरी होगी कि वह या तो बसपा, सपा और आरएलडी के गठबंधन का हिस्सा बने या फिर भाजपा को हराने के लिए कोई कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतारे।