'मां पार्वती की जिद पर बना था ये शिव मंदिर, अपनी अर्धांगिनी से मिलने रोज काशी से आते हैं भोलेनाथ'
मिर्जापुर। मिर्जापुर जिले के सत्ती रोड स्थित बाबा बुढ़ेनाथ का मंदिर अति प्राचीन हैं। जम्मू कश्मीर व नेपाल के राजा तक मंदिर की देखरेख का जिम्मा उठा चुके हैं। मंदिर में आज भी राजाओं की ओर से प्रदान किए गए अष्टधातु निर्मित घंटे शोभा बढ़ा रहे हैं। मंदिर के पुजारी डा. योगानंद गिरी बताते हैं, पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान माता पार्वती व भगवान शंकर की विश्राम स्थली है। यहां प्रतिदिन भगवान शंकर का काशी विश्वनाथ से आगमन होता है।
मां
पार्वती
के
कहने
पर
बसा
था
मीरजापुर
मान्यता
है
कि
काशी
की
स्थापना
भगवान
शंकर
के
आदेश
पर
विश्वकर्मा
के
शिल्पियों
द्वारा
महादेव
के
त्रिशूल
के
आग्र
भाग
में
की
गई
है।
मान्यता
है
कि
कैलाश
पर्वत
से
काशी
जाने
के
दौरान
माता
पार्वती
की
जिद
पर
भोलेनाथ
ने
विश्वकर्मा
से
त्रिशूल
के
पिछले
भाग
पर
गिरजापुर
नामक
स्थान
बनाने
का
आदेश
दिया।
वर्तमान
में
वही
स्थान
मीरजापुर
के
नाम
से
प्रचलित
है।
यहीं
स्थित
बाबा
बुढे़नाथ
मंदिर
में
माता
पार्वती
विश्राम
करती
हैं।
मां
पार्वती
से
मिलने
प्रतिदिन
भगवान
भोलेनाथ
नंदी
के
साथ
आते
हैं।
मंदिर
में
आने
वाले
भक्तों
की
सभी
मनोकामनाएं
पूरी
करते
हैं।
जम्मू
और
नेपाल
नरेश
ने
कराया
मंदिर
का
जीर्णोद्धार
जम्मू
कश्मीर
के
अंतिम
शासक
रहे
महाराजा
हरि
सिंह
के
पिता
राजा
अमर
सिंह
ने
तत्कालीन
महंत
भैरो
गिरी
महाराज
व
नेपाल
नरेश
राजा
वीरेंद्र
के
पूर्वजों
की
ओर
से
अष्टधातु
का
विशाल
घंटा
प्रदान
किया
गया
था।
आज
भी
दोनों
ही
ऐतिहासिक
घंटे
मंदिर
की
शोभा
बढ़ा
रहे
हैं।
काशी
विश्वनाथ
मंदिर
के
साथ
ही
बाबा
बूढ़ेनाथ
मंदिर
का
भी
जीर्णोद्धार
कराया
गया
था।
महारानी
अहिल्याबाई
होल्कर
ने
निर्माण
करवाया
था।
मंदिर
की
देखरेख
व
सेवा
कार्य
रीवां,
डुमरांव
एवं
काशी
रियासतों
के
राजाओं
ने
भी
किया
है।
बाबा
बूढे़नाथ
के
दर्शन
करने
मात्र
से
भक्तों
की
मुरादें
पूरी
हो
जाती
हैं।