उज्जैन: पालकी में सवार हुए बाबा महाकाल, भक्तों ने लगाए जयकारे, देखिए सुंदर नजारे
उज्जैन, 26 जुलाई: प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में इन दिनों सावन माह का हर्षोल्लास देखने मिल रहा है, जहां दूर-दूर से भक्त बाबा महाकाल के दर्शन करने धार्मिक नगरी उज्जैन आ रहे हैं। सावन के दूसरे सोमवार पर राजाधिराज बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकले, जहां चांदी की पालकी पर सवार होकर राजाधिराज बाबा महाकाल ने अपने भक्तों को दर्शन दिए। इस दौरान हर एक भक्त बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए आतुर नजर आ रहा था। बाबा महाकाल की सवारी जैसे ही मंदिर से बाहर निकली, वैसे ही भक्तों ने जय श्री महाकाल के जय घोष लगाने शुरू कर दिए। इस दौरान पूरे सवारी मार्ग पर भक्तों की भीड़ बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए नजर आ रही थी।
श्रावण मास की दूसरी सवारी निकली
भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में दूसरी सवारी धूमधाम से परम्परागत मार्ग से निकली। सवारी निकलने के पूर्व सभा मण्डप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, कलेक्टर आशीष सिंह एवं पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल द्वारा चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया गया। श्रावण मास की दूसरी सवारी में हाथी पर विराजित होकर मनमहेश निकले तथा पालकी में चंद्रमौलेश्वर सवार थे।
रामघाट पर हुआ पूजन अर्चन
सवारी परम्परागत मार्ग से होकर मोक्षदायिनी शिप्रा तट रामघाट पहुंची। रामघाट पर पालकी में विराजित भगवान महाकाल का विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के जल से जलाभिषेक किया गया। पूजन श्री महाकालेश्वर मन्दिर के पुजारी एवं अन्य पुरोहितों द्वारा करवाया गया। जलाभिषेक के उपरांत पालकी महाकालेश्वर मन्दिर के लिये परम्परागत मार्ग से रवाना हुई।
आगामी सवारियों का ऐसा है क्रम
श्रावण एवं भादौ मास में निकलने वाली भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी के क्रम में तृतीय सवारी एक अगस्त को, चतुर्थ सवारी 8 अगस्त को, 15 अगस्त को पांचवी सवारी और 22 अगस्त को शाही सवारी निकाली जायेगी। नागपंचमी पर्व 2 अगस्त को आयोजित होगा।
प्रजा का हाल जानने निकलते हैं महाकाल
सावन और भादौ मास के प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं, जहां वे अपनी प्रजा का हाल जानते हैं। चांदी की पालकी में सवार होकर जैसे ही बाबा महाकाल मंदिर परिसर से बाहर निकलते हैं, वैसे ही श्रद्धालुओं में अलग उत्साह देखने मिलता है। यही कारण है कि, बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं।
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