Satna News: चित्रकूट के जंगल में मिलता है पीले रंग का दुर्लभ पलाश का फूल, जिसे रखने से खजाना खाली नहीं होता
भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक ऐसा पलाश का पेड़ है। जिसमें से दुर्लभ पीला फूल खिलता है। हिंदू धर्म में पलास के पेड़ को पवित्र पेड़ों की श्रेणी में गिना जाता है।
Chitrakoot Yellow Palash Flower: चैत्रमाह में पलास के पेड़ों में खिलने वाले टेशू के फूलों का बड़ा महत्व है। टेशू का फूल माँ दुर्गा का सबसे प्रिय फूल माना जाता है। पलास के पेड़ों में लगने वाला टेशू फूल शास्त्रों में तीन रंग लाल, सफेद और पीले रंग के होने का उल्लेख है। मगर सफेद और पीला फूल किसी अजूबे से कम नही। राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक ऐसा पलाश का पेड़ है। जिसमे पीला टेशू का फूल निकलता है। ये फूल लोगो के कौतूहल का विषय बनता है। तो वही लोग इसके फूल को औशधीय रूप के साथ-साथ आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्व में भी उपयोग करते है।
पूरे देश मे पलास के पेड़ मिल जायेंगे और उसमें खिलने वाला लाल रंग का टेशू का फूल भी बड़े आराम से मिलेगा। ये फूल चैत्र मास में निकलते है। मगर चित्रकूट के चितहरा काली मंदिर के पास में एक ऐसा पलास का पेड़ है। जिंसमे पीले रंग का टेशू फूल खिलता है। जिसे दूर दूर से लोग यहा इस पेड़ को देखने आते है। इस पेड़ को काली मंदिर के तत्कालीन महंत द्वारा संरक्षित किया गया है और पेड़ के नीचे शनि भगवान की मूर्ति स्थापित कर टीन का मंदिर बनाया गया था। लेकिन वन विभाग द्वारा पेड़ को जंगल की अमानत बताकर शनि भगवान का टीनशेड हटा दिया। इसके बाद पेड़ पर बकायदा साइन बोर्ड लगा दिया गया है।
लोग इस पेड़ के फूल को चुनकर ले जाते है, लोगो की मॉने तो ये फूल अजूबा है। ये गंभीर से गंभीर रोगों में इस्तेमाल किया जाता है, तो वही लोगो का यह भी कहना है कि इसका फूल खजाने में रखने से खजाना कभी खाली नही होता है। तंत्र साधना में भी इस फूल का इस्तेमाल होता है। साथ ही देवी देवताओं को भी अर्पित किया जाता है। वनस्पति शात्र विशेषज्ञ भी इसे अजूबा ही मानते है।
बहरहाल चैत्र नवरात्रि में इस पेड़ के फूल को लेने दूर दूर से लोग आते है। फूल तोड़ने पर पावंदी है। तो ऐसे में लोग नीचे जमीन पर गिरे फूलों को चुनकर ले जाते है। काली देवी मंदिर के पास स्थित ये पलास का फूल किसी अजूबे से कम नही है।
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