किधर है साबूत बिहारी? कोई यादव, कोई कुर्मी नेता
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मोदी ने अपनी बिहार यात्रा के समय डीएनए का जिक्र क्या किया जातिवादी राजनीति के पोप लालू और नीतीश को अंदर तक चुभ गई।
चुभेगी भी क्यों नहीं, क्योंकि बिहार के डीएनए को इन दोनों की संकीर्ण राजनीति के कारण जातिवादी प्रयोगशाला में बार-बार टेस्ट से गुजरना पड़ा। क्या दोनों ने कभी बिहारी एका के लिए जाति से ऊपर सोचा? किधर है साबूत बिहारी? कोई यादव का नेता है तो कोई कुर्मी नेता, कोई भूमिहार नेता, कोई राजपूत नेता।
सिर्फ बिहारियों की
वरिष्ठ कवि तथा लेखक तरुण कुमार कहते हैं कि कोई ऐसा बिहारी नेता है जो सिर्फ बिहारियों की सोचता है। सवर्ण, अगड़ों, पिछड़ों का सम्मेलन तो सुना है, कभी बिहारी सम्मेलन का नाम सुना है? कहां, किसमें तलाशूं बिहारी डीएनए? जब दिल्ली, मुंबई की सड़कों पर कोई बिहारी" ओए बिहारी", "अबे बिहारी " का अपमानजनक संबोधन सुनता है, तब ये कथित साबूत बिहारी नेता कहां रह जाते हैं?
बिहार में जहाज से भरकर पैसा आयेगा, लेकिन लालू-नीतीश को लुटाने को नहीं दिया जाएगा
अवसरवादी मिलन
क्या यह सही नहीं है कि लालू और नीतीश का अनैतिक अवसरवादी मिलन भी जातीय समीकरण से प्रेरित है? इस मिलन का बिहारी एका से दूर दूर तक नहीं लेना देना? क्या नीतीश के शासन में अनंत बाबू को अपराध और बेलगाम गुंडई की छूट बिहारी डीएनए की रक्षा का हिस्सा था या भूमिहार वोट के गणित का हिस्सा? अब जब अनंत बाबू अंदर हैं तो सुशासन बाबू यादव वोट को लेकर आश्वस्त होंगे! क्या यह भी आपके अखंड खांटी बिहारी डीएनए की पहचान है?
तरुण आगे कहते हैं कि डीएनए जातीय डीएनए में खंड खंड खंडित हो जाएगा! नीतीश जी तब आप माइक्रोस्कोप लेकर बिहारी डीएनए तलाशते रहिएगा। बिहारियों को बेवकूफ मत समझो भाई। जाति के पासे लालू और नीतीश फेंके और जब अमित-मोदी से फटने लगे तो सभी बिहारी याद आने लगे।