छह हफ्तों के अंदर पाकिस्तान को चाहिए 82542 करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज, कहां से लाएंगे नए पीएम इमरान
न्यूयॉर्क। पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में सरकार बनने का अभी इंतजार हो रहा है लेकिन उनके लिए चुनौतियां राक्षस की तरह मुंह खोल कर खड़ी हैं। सबसे पहली और बड़ी चुनौती यहां का आर्थिक संकट और अब इमरान के कैबिनेट में वित्त मंत्री का पद संभालने जा रहे असद उमर ने भी यह बात मान ली है। असद ने अमेरिकी मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पाक को छह हफ्तों के अंदर 12 बिलियन डॉलर यानी 85,000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा कर्ज की जरूरत होगी। उमर की इस बात ने इमरान के सिर का दर्द और बढ़ा दिया है क्योंकि अमेरिका ने पहले इस पूरे मसले पर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) को चेतावनी दे डाली है। पाक को यह रकम कहां से मिलेगी और कैसे यह तो खुद इमरान को भी नहीं मालूम है। ये भी पढ़ें-वर्ल्ड कप जीतने वाली पाकिस्तान की टीम को इनवाइट करेंगे इमरान खान!
पुरानी सरकारों को दिया खराब हालत का दोष
उमर ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पिछली सरकार ने देश की माली हालत को खोखला कर दिया है। उमर की मानें तो देश को 10 से 12 बिलियन डॉलर के बीच लोन चाहिए लेकिन नई सरकार को कुछ ज्यादा कर्ज चाहिए होगा। असद ने यह भी वादा किया है कि उनकी सरकार आने के बाद चीन के साथ हुए सभी समझौतों को सार्वजनिक किया जाएगा। असद ने कहा कि पाकिस्तान को कर्ज देने के मसले पर छह हफ्तों के अंदर कोई फैसला लेना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर मुश्किलें बढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, कर्ज के लिए आईएमएफ या फिर मित्र देशों का रुख कर सकता है या फिर वह डायसोपरा बॉन्ड्स को जारी कर सकता है। ये बॉन्ड काफी महंगे बॉन्ड माने जाते हैं।
चीन का कर्ज आईएमएफ के बराबर
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ वर्षो में काफी कम हो गया है। इसकी वजह से पाक के सेंट्रल बैंक को दिसंबर 2017 से लेकर अब तक चार बार मुद्रा का अवमूल्यन किया जा चुका है। साथ ही ब्याज की दरें भी बढ़ाई जा चुकी हैं। मूडी ने भी पिछले माह पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर को नकारात्मक अंक दिए थे। अगर पाकिस्तान, आईएमएफ से मदद मांगता है तो फिर यह पहला मौका नहीं होगा। पाकिस्तान कई बार आइएमएफ से बेलआउट मांग चुका है। साल 1980 से पाक ने आईएमएफ से 12 बार आईएमएफ से मदद मांगी है। चीन की तरफ से पिछले 13 माह से जो लोन पाकिस्तान को दिया गया है वह अब आईएमएफ के आखिर बेलआउट पैकेज के बराबर है जो 6.6 बिलियन डॉलर था।
आईएमएफ के बेलआउट पर ट्रंप की नजरें
चीन की तरफ से जो कर्ज पाकिस्तान को दिया गया है, उसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने भी चिंताएं जाहिर कर दी हैं। पोंपेयो ने पिछले हफ्ते साफ-साफ कहा है अमेरिका इस बात पर नजर रखे हैं कि पाकिस्तान की नई सरकार आईएमएफ के बेलआउट का प्रयोग चीन का कर्ज चुकाने के लिए न करे। उमर ने इस पर कहा है कि पाकिस्तान को चीन के कर्ज की चिंता अमेरिका से ज्यादा है। बेहतर होगा कि अमेरिका पहले खुद चीनी कर्ज की चिंता करे। जिस समय चुनाव होने वाले थे इमरान खान ने खराब माली हालत का जिक्र किया था। उन्होंने एक ट्वीट में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए निजीकरण की वकालत की थी। उमर ने कहा कि उनकी पार्टी घाटे में चल रही कंपनियों जैसे पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस और पाकिस्तान स्टील मिल्स का निजीकरण नहीं करेगी।