ढहा दिया जाएगा सुपरटेक नोएडा का ट्विन टॉवर, जानिए कैसे होगी पड़ोसियों के नुकसान की भरपाई
नई दिल्ली, 22 अगस्त। नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टॉवर को 28 अगस्त को ढहा दिया जाएगा। इन बिल्डिंग्स को ढहाने का काम एडिफाइस इंजीनियरिंग को मिला है। कंपनी ने इन टॉवर्स को ढहाने से आस-पास की कॉलोनियों को होने वाले नुकसान के लिए 100 करोड़ रुपए का बीमा कराया है, ताकि जो भी नुकसान आस-पास की बिल्डिंग को उसकी बीमा के जरिए भरपाई की जा सके। ये दो ट्विन टॉवर एमरैल्ड कोर्ट और एटीएस ग्रीन विलेज हैं, ये दोनों टॉवर एक दशक पुराने हैं।
इसे भी पढ़ें- 2500 से अधिक बंपर सरकारी पदों पर राजस्थान हाई कोर्ट में निकली भर्ती, ऐसे करें आवेदन
कई बिल्डिंग आती हैं दायरे में
वहीं एमरैल्ड कोर्ट एस्टर 2 टॉवर ट्विन टॉवर से महज 9 मीटर दूर है, कुछ टॉवर्स एटीएस ग्रीन विलेज से तकरीबन 35 मीटर दूर हैं। कुल मिलाकर एमरैल्ड कोर्ट की परिधि में 3 टॉवर, एटीएस ग्रीन विलेज की परिधि में 4 टॉवर आते हैं, जोकि सुपरटेक ट्विन टॉवर से 50 मीटर की दुरी के भीतर हैं। लेकिन एडिफाइस इंजीनियरिंग का कहना है क ट्विन टॉवर को गिराने से होने वाले कंपन का असर आसपास की बिल्डिंग पर नहीं होगा। लेकिन जब यहां पास के रहने वाले टॉवर्स में कुछ लोगों ने अपने फ्लैट का इंश्योरेंस लेने की कोशिश की तो बीमा कंपनी ने बीमा देने से इनकार कर दिया।
कब मिलता है बीमा
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बिल्डिंग किसी प्राकृति आपदा जैसे आग लगने, एयरक्राफ्ट क्रैश, दंगा, हमला, मिसाइल टेस्टिंग आदि में क्षतिग्रस्त होता है तो यह बीमा कवर में आता है। लेकिन ट्विट टॉवर अलग मसला है, यहां मानव निर्मित स्थिति की वजह से बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होने जा रही है, जिसका बीमा नहीं किया जा सकता है। आनंद राठी इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड के असोसिएट डायरेक्टर सुधीश रामटेके ने बताया कि इस दौरान अगर कोई भी व्यक्ति घायल होता है या उसकी जान जाती है तो कंपनी और निकाय से नुकसान की भरपाई का दावा किया जा सकता है।
सरकार को नीति में बदलाव करने चाहिए
सुधीश ने बताया कि बिल्डिंग और फ्लैट जो इस सोसाइटी के करीब हैं और यहां रहने वाले लोगों का अगर पहले से बीमा है तो भी उन्हें नुकसान का पूरा बीमा नहीं मिल सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दो बिल्डिंग गिराने की कार्रवाई होने जा रही है वह इंसानों द्वारा की जा रही है, इसे स्थानीय निकाय करा रहा है, लिहाजा बीमा के क्लेम आदि नहीं मिल पाएंगे। हालांकि बिल्डिंग गिराने वाली कंपनी से नुकसान की भरपाई का दावा किया जा सकता है, वो कानूनी तौर पर नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य हैं।
ऐसे ले सकते हैं नुकसान का पैसा
रेरा के वकील वीके बंसल ने बताया कि सरकार को इस तरह की परिस्थितियों में बीमा कवर को लेकर नई नीति लानी चाहिए। अधिकतर बीमा प्राकृतिक आपदा में ही नुकसान की भरपाई करते हैं, जैसे बाढ़, भूकंप। ट्विन टॉवर के मामले में बिल्डिंग को डेटोनेटर लगाकर तोड़ा जाएगा, यह मानव निर्मित स्थिति है। चूंकि यह अपने आप में अलग स्थिति है लिहाजा सरकार को इसे नई नीति के तहत बीमा में कवर करना चाहिए। जो कंपनी यहां बिल्डिंग गिराने जा रही है उसने 100 करोड़ रुपए की पॉलिसी करा रखी है, लिहाजा आस-पास की किसी भी बिल्डिंग को कोई नुकसान होता है तो उन्हें इस बीमा से भरपाई कराई जा सकती है। जिस किसी के भी फ्लैट में इस ध्वस्तिकरण से नुकसान पहुंचता है वो लोग कंपनी से इसका दावा कर सकते हैं।