भीमा कोरोगांव हिंसा: आयोग ने परमबीर सिंह को भेजा समन, गवाह के तौर पर होंगे पेश
मुंबई, 22 अक्टूबर: कोरेगांव भीमा जांच आयोग ने शुक्रवार को पूर्व मुंबई कमिश्नर और आईपीएस अधिकारी परम बीर सिंह और रश्मि शुक्ला को समन जारी करने का आदेश पारित किया है। आयोग ने इन्हें 08 नवंबर को पश होने के लिए समन जारी किया है। दोनों अधिकारियों परम बीर सिंह और रश्मि शुक्ला को 1 जनवरी 2018 को हुई हिंसा से संबंधित परिस्थितियों के संबंध में चल रही जांच में गवाह के रूप में पेश होना है।
आदेश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेएन पटेल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय आयोग द्वारा पारित किया गया है। परम बीर सिंह और रश्मि शुक्ला को 8 नवंबर तक समन का जवाब देना है। परम बीर सिंह वर्तमान में लापता हैं। वे कोरेगांव भीमा हिंसा के समय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) थे। रश्मि शुक्ला पुणे की पुलिस आयुक्त थी और वर्तमान में हैदराबाद में सीआरपीएफ (दक्षिण क्षेत्र) के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर तैनात हैं।
आयोग के वकील आशीष सतपुते ने शुक्रवार को एक आवेदन दायर किया कि आईपीएस अधिकारी सिंह और शुक्ला को गवाह के रूप में बुलाया जाना चाहिए, क्योंकि खुफिया इनपुट और हिंसा से संबंधित दोनों अधिकारियों द्वारा प्राप्त सभी सूचनाओं को सामने लाना आवश्यक है। आवेदन की अनुमति दी गई और आयोग ने एक आदेश पारित किया कि राज्य के गृह विभाग को सेवा के लिए सम्मन भेजा जाए।
इस बीच परमबीर सिंह और रश्मि शुक्ला दोनों इस समय अलग-अलग विवादों में फंसे हुए हैं। मुंबई के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी के नेता अनिल देशमुख के खिलाफ कई आरोपों के साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखने के बाद परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के रूप में हटा दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि देशमुख ने सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वजे को हर महीने 100 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था। इसके अलावा, महाराष्ट्र में सिंह के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जबकि राज्य का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी उनके खिलाफ दो ओपन इन्क्वायरी कर चुका है।
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वहीं दूसरी बॉम्बे हाईकोर्ट मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज एक "अवैध" फोन टैपिंग मामले में रश्मि शुक्ला द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। यह मामला पिछले साल पुलिस ट्रांसफर के दौरान कथित तौर से पैसे लेने का है। इस बात की जानकारी इस समय एसआईडी की चीफ रश्मि शुक्ला ने अपनी गुप्त रिपोर्ट में सरकार को बताई थी। रश्मि शुक्ला ने उस समय अपनी रिपोर्ट डीजीपी को दी थी और बाद में यह रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार को दी थी, जिससे पता चला था कि कैसे कुछ अधिकारियों को कथित तौर से पैसे देकर मनचाही पोस्टिंग मिली थी।