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वो भयानक मंजर, जब मां बेटे को जिंदा खा जाता बाघ, फिर कीचड़ ने बचाई जान

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जबलपुर, 06 सितंबर: खूंखार जानवर कोई भी हो, यदि सामने आ जाए तो उसे देख अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। मगर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के नजदीक गांव की रहने वाली अर्चना चौधरी ने साहस की अद्भुत मिसाल पेश की हैं। 15 महीने के अपने कलेजे के टुकड़े मासूम बेटे को बाघ के जबड़े से बचाने वह फाइटर बन गई। करीब दस मिनट बाघ से जंग लड़ती रही, फिर समझदारी दिखाते हुए बच्चे को सीने से चिपकाकर कीचड़ में कूद गई। यही कीचड़ मां-बेटे के लिए वरदान साबित हुआ। बाघ के हमले में घायल अर्चना को इलाज के लिए जबलपुर मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत अब स्थिर हैं।

वो 10 मिनट का भयानक मंजर

वो 10 मिनट का भयानक मंजर

मप्र के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मानपुर बफर जोन से लगी ज्वालामुखी बस्ती हैं। यहां रहने वाली अर्चना चौधरी ने आंखो देखी जो कहानी सुनाई, वह बेहद हैरान करने वाली है। अर्चना अपने 15 माह के बेटे राजवीर को शौच कराने खेत ले गई थी। सुबह के करीब दस बजे थे। तभी शौच कर रहे बच्चे के सामने खूंखार बाघ आ गया और उसके सिर पर पंजे से हमला कर दिया। यह मंजर देख अर्चना के तो होश ही उड़ गए। एक तरफ बाघ और दूसरी तरफ उसके चंगुल फंसा उसका लाडला। बाघ की गुर्राहट अर्चना को अहसास करा रही थी कि आज वह बेटे के साथ मौत के मुंह में बुरी तरह फंस चुकी हैं। धड़कने बढ़ती जा रही थी और बाघ अर्चना के नजदीक आ रहा था।

पत्थर उठाकर मारती, तब तक बाघ ने हमला कर दिया

पत्थर उठाकर मारती, तब तक बाघ ने हमला कर दिया

बच्चे को छोड़ बाघ आगे की तरफ बढ़ा तो अर्चना ने पत्थर उठाकर मारने की कोशिश की। इसी दौरान बाघ ने अपने पंजे से उस पर भी हमला कर दिया। हमला जारी रहा। दो जिंदगियां मौत के मुंह में फंसी थी। अर्चना के लिए अपनी जान से ज्यादा अपने मासूम बेटे की फ़िक्र थी। वह जानती थी कि बाघ का यदि उस पर से ध्यान भटका, तो वह दोबारा बच्चे पर फिर हमला कर सकता हैं। लिहाजा वह कोशिश करती रही कि बाघ उसी से भिड़ा रहे और किसी तरह बेटे की जिंदगी बचाई जाए।

जब अर्चना के लिए कीचड़ बना वरदान

जब अर्चना के लिए कीचड़ बना वरदान

बाघ के साथ अर्चना की जंग का अंत कैसे और कब होगा? यह उसके भी समझ में नहीं आ रहा था। दूर तक उसके चिल्लाने की आवाज सुनने वाला भी कोई नहीं था। बच्चे की जिंदगी बचाने की जंग में अर्चना पर बाघ ने फिर एक बार हमला किया। इसके बाद वह पस्त पड़ गई और उसे लगने लगा कि वह अब बाघ से मुकाबला नहीं कर पाएगी। तभी पास में उसकी नजर कीचड़ पर पड़ी। किसी तरह बेटे को गोद में उठाया और सीने से उसे चिपकाकर कीचड़ में कूद गई। यह सोचकर कि यदि यहां भी बाघ आया तो उसके मुंह में कीचड़ भरने पर भागने का समय मिलेगा। हुआ भी ऐसा ही, बाघ आया तो उसके मुंह में कीचड़ भर गया। जिसके बाद गुर्राता हुआ बाघ दूसरे रास्ते से भाग गया।

लहुलुहान घर तरफ चले, तब सुनी ग्रामीणों ने आवाज

लहुलुहान घर तरफ चले, तब सुनी ग्रामीणों ने आवाज

बाघ से जंग जीतने के बाद अर्चना बेटे के साथ कीचड़ से उठी और लहूलुहान हालत में घर की तरफ आगे बढ़ी। उसने अपने पति और गांव वालों को आवाज लगाई। जिसके बाद ग्रामीण वहां पहुंचे और घायल अर्चना के साथ बेटे राजवीर को इलाज के लिए नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। प्रारंभिक इलाज के बाद मां बेटे को जबलपुर के मेडिकल हॉस्पिटल रेफर किया गया।

अर्चना के साहस की हो रही तारीफ

अर्चना के साहस की हो रही तारीफ

जिस ढंग से अर्चना ने खूंखार बाघ से मुकाबला किया और अपने साथ बेटे की भी जान बचाई उसकी जितनी तारीफ की जाए वह कम हैं। यह घटना एक मां के ममता की मिसाल को भी प्रदर्शित करती है। ऐसे जानवर से भिड़ना जो पल भर में किसी इंसान को जिंदा चबा जाए, उससे बचने का साहस हर इंसान के बस में नहीं। फिलहाल मां बेटे दोनों का जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में इलाज चल रहा हैं, दोनों की हालत अब स्थिर है।

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English summary
Brave mother fights off tiger Bandhavgarh Reserve save life of 15 month old son True story
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