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कोविड वैक्सीन को पेटेंट करने की दिशा में भारत-दक्षिण अफ्रीका को बड़ी कामयाबी

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अब भी बड़ी आबादी तक कोविड वैक्सीन नहीं पहुंची है

वॉशिंगटन, 17 मार्च। विश्व व्यापार संगठन की प्रमुख डॉ. नगोजी ओकोंजो-इवेला ने कहा कि एक बड़ी रुकावट को दूर करने की दिशा में यह समझौता एक बड़ा कदम है. हालांकि उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े डबल्यूटीओ के नियमों में बदलाव की दिशा में अभी काफी काम बाकी है और इस समझौते को सभी सदस्य देशों की मंजूरी चाहिए होगी.

ओकोंजो-इविएला ने कहा, "यह एक बड़ा कदम है और यह समझौता घंटों चलीं कई लंबी-लंबी वार्ताओं का नतीजा है. लेकिन अभी हम मंजिल पर नहीं पहुंचे हैं. संगठन के सभी सदस्यों की सहमति हासिल करने के लिए अभी हमें काफी काम करना है."

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विश्व स्वास्थ्य संगठन में यह मामला अक्टूबर 2020 से जारी है जब भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 वैक्सीन, इलाज की दवाओं और अन्य मेडिकल साजो सामान को पेटेंट मुक्त करने की मांग उठाई थी. कई दवा कंपनियों ने भी कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने के सुझाव का विरोध किया था. इन कंपनियों का तर्क था कि वैक्सीन के उत्पादन में पेटेंट बाधक नहीं है और नियम बदलने का असर उलटा हो सकता है.

लेकिन धीरे-धीरे भारत और दक्षिण अफ्रीका विभिन्न देशों को अपने पक्ष में लाने में कामयाब हुए. पिछले साल अमेरिका द्वारा उनकी मांग का समर्थन करने के बाद कई देशों ने अपना रुख बदल लिया था. बुधवार को अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथटीर टाइ ने घोषणा की कि लंबी वार्ताओं के बाद एक समझौता हो गया है.

टाइ ने कहा कि बातचीत के कई लंबे दौर आखिरकार "एक ठोस और अर्थपूर्ण नतीजा हासिल करने की दिशा में सबसे आशाजनक रास्ता देने वाली" सहमति बन गई है. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि अभी समझौते के मसौदे पर समझौता नहीं हुआ है और उसके बारे में काम करना अभी बाकी है.

बड़ा काम बाकी है

नाइजारिया की वित्त मंत्री रह चुकीं ओकोंजो-इवेला ने कहा कि इन चार पक्षों के बीच हुई बातचीत को अब डबल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों के बीच ले जाने का काम फौरन शुरू करना होगा. लेकिन यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि अब भी कई बड़े देश वैक्सीन को पेटेंट मुक्त किए जाने के विरोधी हैं. इनमें स्विट्जरलैंड भी है, जहां की बड़ी दवा कंपनियों के मुख्यालय हैं.

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स्विट्जरलैंड ने एक बार फिर इशारा किया है कि वह इस बारे में सहमत नहीं होगा. ऐसा ही इशारा कई और देशों ने किया है. जैसे कि फ्रांस के व्यापार मंत्री फ्रांक रीस्टर से नजदीकी एक सूत्र ने कहा कि फिलहाल समझौता तकनीकी स्तर पर हुआ है लेकिन उसे राजनीतिक हरी झंडी मिलनी बाकी है.

इस सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि समझौता सिर्फ उन विकासशील देशों पर लागू होगा जो दुनिया के कुल कोविड-19 वैक्सीन निर्यात का दस फीसदी से भी कम हिस्सा रखते हैं. चीन पर भी यह समझौता लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि योजना इन देशों के साथ अनिवार्य लाइसेंसिंग समझौते लागू करने की है, जो पेटेंट नियमों के तहत अब भी एक प्रावधान है. अनिवार्य लाइसेंसिंग के तहत पेटेंट धारक कंपनियों के अलावा भी कंपनियों दवा का निर्माण कर सकती हैं लेकिन उसके लिए कुछ नियम और प्रक्रियाओं को पालन करना होता है.

दवा कंपनियां नाखुश

दवा कंपनियों को मनाना भी इस समझौते के सामने एक बड़ी चुनौती होगी. दवा कंपनियों के संगठन इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स ऐंड एसोसिएशंस ने इस समझौते की आलोचना की है. संगठन का कहना है कि यह समझौता पेटेंट के नियमों को कमजोर करता है जो एक गलती है.

संगठन ने कहा कि पहली वैक्सीन को अनुमति मिलने के सिर्फ एक साल के भीतर 12 अरब खुराक तैयार की गई हैं और उद्योग हर महीने एक अरब से ज्यादा खुराक तैयार कर रहा है. एक बयान में संगठन ने कहा, "चुनौती आपूर्ति की नहीं हैं बल्कि इन खुराकों को लोगों की बाजुओं तक पहुंचाने की है, जिन्हें इनकी जरूरत है. पेटेंट हटाना ना सिर्फ एक गलत हल है बल्कि यह पुराना हो चुका प्रस्ताव है जिसे बाद की घटनाएं अप्रासंगिक कर चुकी हैं."

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उधर पेटेंट से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे संगठन पीपल्स वैक्सीन अलायंस ने कहा है कि यह प्रस्ताव अधूरा ही काम करता है. अलायंस के सह-अध्यक्ष मैक्स लॉसन ने कहा, "इन जरूरी वैक्सीन और इलाजों तक पहुंच को रोकने वाली हर बाधा को दूर किया जाना चाहिए."

चिकित्सा जगत में काम करने वाली संस्था डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने समझौते का स्वागत किया है लेकिन इसके मसौदे में बड़ी कमियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि इसमें सिर्फ वैक्सीन पर बात हो रही है, इलाज पर नहीं. संस्था ने कहा, "इस समझौते में सिर्फ पेटेंट पर बात हुई है, अन्य बौद्धिक संपदाओं जैसे ट्रेड सीक्रेट आदि पर नहीं जबकी उनमें अहम सूचनाएं हो सकती हैं जो उत्पादन के लिए जरूरी होंगी."

वीके/सीके (एपी, रॉयटर्स)

Source: DW

English summary
wto chief hails covid vaccines ip compromise
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