अब ब्रिटेन में नहीं रहेगा एक भी शरणार्थी, सबको भेजा जाएगा इस अफ्रीकी देश, UN ने की आलोचना
लंदन, 14 जूनः ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल की अवैध प्रवासियों को रवांडा डिपोर्ट करने की नई योजना को मंजूरी मिल गई है। लंदन में उच्च न्यायालय ने इस योजना के तहत पहली उड़ान के लिए अपनी अनुमति दे दी है। मंगलवार को ब्रिटेन से शरणार्थियों का पहला जत्था रवाना जाएगा। बदले में रवांडा को ब्रिटेन की तरफ से 16 करोड़ डॉलर की इंवेस्टमेंट का तोहफा मिला है।
मानव तस्करी रोकने के लिए हुआ समझौता
ब्रिटेन
ने
मानव
तस्करी
रोकने
का
हवाला
देते
हुए
अप्रैल
माह
में
अफ्रीकी
देश
रवांडा
के
साथ
एक
समझौता
किया
था।
इस
समझौते
के
मुताबिक
शरण
की
चाह
में
ब्रिटेन
आने
वालों
को
रवांडा
भेज
दिया
जाएगा।
इसके
पीछे
सरकार
का
उद्देश्य,
लोगों
को
ब्रिटेन
में
अवैध
रूप
से
प्रवेश
करने
से
रोकना
है।
बोरिस
जॉनसन
सरकार
के
इस
फैसले
की
काफी
समय
से
इसके
लिए
आलोचना
भी
हो
रही
है।
हालांकि,
सरकार
का
कहना
है
कि
उसने
काफी
सोच-विचारकर
यह
कदम
उठाया
है।
संयुक्त राष्ट्र ने डील को बताया गलत
ब्रिटेन के रवांडा संग इस समझौते को संयुक्त राष्ट्र ने गलत बताया है। संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैण्डी ने ब्रिटेन में पनाह चाहने वाले शरणार्थियों की अर्जियों पर विचार किये जाने की प्रक्रिया को रवाण्डा स्थानान्तरित करने के प्रस्ताव को रद्द करते हुए, इस सम्बन्ध में दोनों देशों के बीच गत अप्रैल में हुए समझौते को एक त्रुटि करार दिया है। यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैण्डी ने सोमवार को जिनीवा में कहा, "रवाण्डा मुद्दे पर, पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान हम बहुत स्पष्ट रहे हैं। हमारा मानना है कि अनेक कारणों से ये सब बिल्कुल गलत है।"
कोर्ट ने दी स्वीकृति
फिलिपो ग्रैण्डी की ये आलोचना, ऐसे मौके पर आई है जब ब्रिटेन में कुछ वरिष्ठ जजों ने कुछ शरणार्थियों को 14 जून को रवाण्डा ले जाने वाले विमान की उड़ान के लिये, सरकार की योजना को स्वीकृति दे दी है। बतादें कि ब्रिटेन के एक हाई कोर्ड जज ने इस पहली उड़ान पर अस्थाई रोक लगाने वाली याचिका को शुक्रवार को अस्वीकृत कर दिया था। इस विवादास्पद नीति पर पूर्ण कानूनी सुनवाई जुलाई में होनी है।
अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा ब्रिटेन
फिलिपो ग्रैण्डी ने ब्रिटेन की आलोचना करते हुए कहा कि अगर स्थिति इसके उलट होती तो हम कोई बातचीत कर सकते थे, मगर यहां तो ब्रिटेन जैसा विकसित देश हैं, जिसके पास ढांचा मौजूद है फिर भी वो अपनी जिम्मेदारियां एक अन्य देश रवाण्डा को निर्यात कर रहा है। बतातें चलें कि ब्रिटेन सरकार अपनी शरणार्थी नीति के पक्ष में यह दलील थी कि इस नीति का उद्देश्य, लोगों को इंगलिश चैनल की खतरनाक नाव यात्राओं से बचाना है, जो उन्हें यूरोप की मुख्य भूमि से ब्रिटेन में दाखिल होने के लिये करनी पड़ती हैं।
16 करोड़ा डॉलर में रवांडा से हुई डील
ब्रिटेन के इस दलील की आलोचना करते हुए गैण्डी ने कहा कि मेरा कहना है कि लोगों को खतरनाक यात्राओं से बचाना तो सच में बहुत अच्छी बात है, मगर क्या ऐसा करने के लिये, यही एकमात्र सही तरीका है? क्या सच में इस समझौते के पीछे यही मंशा है? मुझे तो ऐसा नहीं लगता। जब ये योजना घोषित की गई थी तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि 16 करोड़ डॉलर की लागत वाली इस योजना से, अनगिनत प्रवासियों की जिंदगी बचेंगी, जो अक्सर इनसानों के गैर-कानूनी तस्करों के हत्थे चढ़ जाते हैं।
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