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शोधकर्ताओं को सही सलामत मिला 2000 साल पुराना 'दिमाग', ज्वालामुखी विस्फोट में हुई थी शख्स की मौत

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नई दिल्ली। हाल ही में इटली के शोधकर्ताओं को कुछ ऐसी चीज मिली है जिसने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, शोधकर्ताओं को अपनी जांच दौरान आज से करीब 2000 साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट में मारे गए शख्स के मस्तिष्क की कोशिकाएं बिलकुल सही अवस्था में मिली हैं। ओब्सीडियन (ज्वालामुखीय कांच) की तरह खोजे गए धातु में न्यूरॉन्स मिले हैं, जिसे विशेषज्ञों ने कहा कि पहले वह मृतक का मस्तिष्क था।

2 हजार साल पहले हो गई थी मौत

2 हजार साल पहले हो गई थी मौत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शख्स की मौत 2 हजार साल पहले आए विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट में हुई थी। बता दें कि इटली के माउंट विसुवियस के इतिहास में सबसे हिंसक ज्वालामुखी विस्फोटों में से माना जाता है। इस ज्वालामुखी विस्फोटों निकली गर्मी हिरोशिमा-नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोटों की तुलना में सौ हजार गुना अधिक थी। इस आपदा के चलते रोमन शहर पोम्पेई और हरकुलेनियम पूरी तरह से ज्वालामुखी की राख के नीचे दफल हो गया।

1960 के दशक में खोजा गया मस्तिष्क

1960 के दशक में खोजा गया मस्तिष्क

बताया जाता है कि इस प्रलयंकारी विस्फोट में 13 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसी विस्फोट में मारे गए एक नर कंकाल को 1960 के दशक में हरकुलेनियम से खोजा गया था। जिसकी जांच अब वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही है। वैज्ञानिकों की माने तो यह कंकाल एक युवा पुरुष का था जिसकी उम्र 25 वर्ष के आस-पास रही होगी। बतौर शोधकर्ता, शख्स एक इमारत में नीचे मुंह करके सोया हुआ था, उसकी मौत उसी अवस्था में हुई होगी।

ज्वालामुखी की गर्मी से जम गया मस्तिष्क

ज्वालामुखी की गर्मी से जम गया मस्तिष्क

ऐसा माना जा रहा है कि काले कांच जैसे टुकड़े में मिली कोशिकाएं या तो रीढ़ की हड्डी या सेरिबैलम (मस्तिष्क का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा) से संबंधित हैं। बारीकी जांच करने पर कुछ न्यूरॉन्स मिले, इससे पहले की स्टडी भी पुष्टि करती है कि खोजी गई अजीब काले रंग की वस्तु वास्तव में मृतक का मस्तिष्क था। रिपोर्ट के मुताबिक जिस समय विस्फोट हुआ उसस दौरान इतनी गर्मी निकली की मृतक के मस्तिष्क के ग्रे पदार्थ को ओब्सीडियन (ज्वालामुखीय कांच) में बदल दिया।

अपने आप में अद्भुत घटना

अपने आप में अद्भुत घटना

इटली में नेपल्स के यूनिवर्सिटी फेडरिको II में एक फोरेंसिक मानव विज्ञानी और अध्ययन के प्रमुख लेखक पियर पाओलो पेट्रोन ने कहा, हमारे अध्ययन के परिणामों से पता चलता है कि विट्रीफिकेशन (किसी पदार्थ को काच में परिवर्तन करने की क्रिया) की प्रक्रिया हरकुलेनियम में हुई, यह अपने आप में अद्भुत है। इस मृतक की न्यूरोनल संरचनाएं जमी हुई है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को आज तक सही अवस्था में रखे हुए है।

520 डिग्री सेल्सियस थी गर्मी

520 डिग्री सेल्सियस थी गर्मी

शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि कोशिकाओं को संरक्षित किया गया था क्योंकि अवशेष तेजी से 520 डिग्री सेल्सियस के आस-पास के तापमान पर गर्म हुआ होगा और फिर तेजी से ठंडा हो गया। हरक्यूलिनम के अधिकारियों ने जनवरी में कहा था, 'ऐसा पहली बार हुआ है कि विट्रिफाइड मानव मस्तिष्क अवशेषों की खोज एक विस्फोट द्वारा निकली गर्मी से हुई है।' माना जा रहा है कि शख्स एक इमारत में नीचे मुंह करके सोया हुआ था जिससे अनुमान है कि वह सम्राट अगस्तस का उपासक था ।

यह भी पढ़ें: पृथ्वी के करीब आ रहा है 'छोटा चांद', NASA के वैज्ञानिक भी हैरान, आखिर ये है क्या?

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English summary
Researchers found in perfect condition brain cells of man who lost his life 2000 years ago in volcanic eruption
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