फरीद जकारिया बोले-पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बदलने में सक्षम हैं पीएम मोदी
दावोस। अमेरिकन जर्नलिस्ट फरीद जकारिया ने दावोस में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बदलने में सक्षम है। इंटरनेशल स्ट्रेटेजिक एक्सपर्ट जकारिया ने कहा कि भारत को दीर्घकालीन रणनीति समझने और उभरती भौगोलिक राजनीतिक (geo-political) व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने के लिए एक गठबंधन की जरूरत है। दावोस में जकारिया ने कहा कि हम उस दौर में रह रहे हैं, जब आर्थिक और राजनीति में बहुत ज्यादा मतभेद है। बता दें कि फरीद जकारिया का भारत के न्यूज चैनल इंटरव्यू इंडिया टूडे ने दावोस में लिया है।
भारत-पाकिस्तान
अमेरिका में सीएनएन एंकर जकारिया ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करना पाकिस्तान के खून में और यही इस्लामाबाद-नई दिल्ली के बीच यही सबसे बड़ी दिक्कत है। जकारिया ने कहा, 'मुझे लगता है कि जब से जिया उल हक (पाकिस्ता के पूर्व राष्ट्रपति) की मौत हुई है, उसके बाद पाकिस्तान ने मिलिटेंट को सपोर्ट करना शुरू किया, जो आज उनके डीएनए में समा चुका है।' जकारिया ने कहा कि पीएम मोदी रिचर्ड निक्सन की तरह एक ताकतवर नेता है। जकारिया ने कहा कि जिस कट्टर दक्षिणपंथी निक्सन ने कम्युनिस्ट चीन के साथ जिस प्रकार से डील की थी, उसी प्रकार की नीति मोदी भी पाकिस्तान के साथ करें तो आपसी संबंध को बदलने के लिए उनके पास एक अच्छा मौका होगा।
भारत-चीन
जकारिया ने कहा कि चीन के मुकाबले भारत धीमी गति से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इसकी मुख्य वजह भारत की डेमोग्राफी है। जकारिया ने कहा कि भारत को चीन का मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली को अपनी एशियाई कूटनीति और अमेरिका के साथ संबंधों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जकारिया ने कहा कि भारत को तीन गेम खेलने की जरूरत है, जिसमें पहला है- अपने घेराव वाला मुद्दा, दूसरा एशिया में बेलेंस ऑफ पावर और तीसरा अमेरिका जैसे बड़े देशों के साथ गठबंधन। जकारिया ने कहा कि चीन इकनॉमिकली भारत को कभी भी अपने लिए खतरा नहीं समझता है लेकिन फिर बीजिंग के लिए नई दिल्ली एक कांटे की तरह है।
भारत-अमेरिका
जकारिया ने कहा, 'मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी बहुत अच्छे डिप्लोमेट हैं। व्यक्तिगत संबंधों को बनाने में वे बहुत अच्छे हैं और वे सही सही मुद्दों को कहने में भी बहुत अच्छे है। मुझे लगता है कि इन सभी के लिए मैं उन्हें बहुत अधिक अंक दूंगा।' अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को जकारिया ने कहा कि नई दिल्ली को वॉशिंगटन के साथ संबंधों के बारे में फिर से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब-तक पिछले 20 सालों से यूएस-भारत संबंधों को अमेरिका ही चलाता आया है और भारत अब भी अनिच्छा से दुल्हन की भूमिका निभा रहा है। जकारिया ने कहा कि अगले दो दशकों में ग्लोबल पावर बनने के लिए भारत को खुद बाहर आना होगा और निर्णय लेने होंगे