ISRO ने कमाल कर दिया: अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की खुद रक्षा करेगा भारत, जाने क्यों चौंका चीन?
आने वाले वक्त में अंतरिक्ष में वर्चस्व जमाने की जंग काफी तेज हो जाएगी और चीन और अमेरिका जैसे देशों ने ऐसे मिसाइल बना लिए हैं, जिनसे अंतरिक्ष में मौजूद किसी दूसरे देश के उपग्रहों को नष्ट किया जा सकता है।
नई दिल्ली, जुलाई 12: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने भारतीयों को गर्व करने के सैकड़ों कारण दिए हैं और इसरो की वजह से एक बार फिर से हर भारतीय की सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। ये तो पूरी दुनिया जानती है, कि अगला महायुद्ध अंतरिक्ष में होने वाला है और चीन और अमेरिका जैसे देश लगातार अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं। वहीं, अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की सुरक्षा करना भी एक बड़ी चुनौती है और अगर युद्ध के दौरान दुश्मन देश ने उपग्रह को ध्वस्त कर दिया, तो पूरा देश ही एक पल में घुटनों पर आ सकता है। लिहाजा, इसरो ने अब अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की सुरक्षा खुद करने का साधन तैयार कर लिया है, जो चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है।
इसरो ने कमाल कर दिया
इसरो ने इतिहास रचते हुए एक ऐसा सेंटर तैयार कर लिया है, जिसके जरिए अब भारत खुद अंतरिक्ष में मौजूद अपनी संपत्तियों की सुरक्षा कर पाएगा और अब भारत को अमेरिका पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। इसरो ने अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट्स की सुरक्षा के लिए 'इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस मैनेजमेंट' का केन्द्र तैयार किया है, जिसका शॉर्ट फॉर्म IS4OM है। इसरो ने इसका निर्माण कर इसे भारत सरकार को सौंप दिया है। इसरो ने अपने इस केन्द्र को अपने 'नेत्र बिल्डिंग' में रखा है। दरअसल, अंतरिक्ष में दो तरह के खतरे होते हैं। पहला खतरा होता है, अंतरिक्ष में बिखरे लाखों छोटे-बड़े मलबों का, जिनके अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स से टकराने का डर होता है और दूसरा खतरा होता है, किसी दुश्मन देश से, जो दुश्मनी निकालने के लिए उपग्रह को किसी मिसाइल से नष्ट कर सकते हैं, लिहाजा अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट्स की हर पल निगरानी करनी सबसे ज्यादा जरूरी होती है और इसरो का ये कमाल गर्व करने लायक है।
अंतरिक्ष में हैं कई तरह के खतरे
अंतरिक्ष में कई देश अपने उपग्रहों को लांच करते रहते हैं। खासकर चीन और अमेरिका के सैकड़ों उपग्रह अंतरिक्ष में मौजूद हैं और अंतरिक्ष में जो सैटेलाइट खराब हो जाते हैं, वो भी अंतरिक्ष में ही मौजूद रहते हैं और दूसरे उपग्रहों के लिए खतरा बन जाते हैं। इन्हें अंतरिक्ष मलबा कहा जाता है। जब ये मलबा आपस में टकरा जाते हैं, तो कई बार ये धरती पर गिर भी जाते हैं और धरती पर खतरा बढ़ने के साथ ही अंतरिक्ष में प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त अंतरिक्ष में करीब 3 हजार उपग्रह धरती से अलग अलग देशों ने भेजे हैं, जो लगातार धरती का परिक्रमा करते रहते हैं, जिनमें से भारत के 53 उपग्रह धरती का परिक्रमा करते रहते हैं। इन उपग्रहों के अलावा एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 27 हजार से ज्यादा खराब हो चुके उपग्रह, रॉकेट्स, अंतरिक्ष में भेजे गये दूसरे उपकरण भी लगातार तेज रफ्तार से घूमते रहते हैं, जिनसे एक्टिव उपग्रहों को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है, लिहाजा अंतरिक्ष में अपने एक्टिव सैटेलाइट्स की हर वक्त सुरक्षा करने की जरूरत होती है और अब भारत ने खुद ये क्षमता हासिल कर ली है।
IS4OM की क्या हैं खासियतें?
इसरो ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की तरफ बढ़ने वाले इन खतरों को समय रहते ही खत्म करने के लिए IS4OM का निर्माण किया है, जो हर पल ये निगरानी करेगा, कि हमारे सैटेलाइट्स की तरफ अंतरिक्ष मलबा तो नहीं बढ़ रहा है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा, "यह अंतरिक्ष मलबे की पहचान करने और उनकी निगरानी करने के लिए अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (एसएसए) कार्यक्रम का हिस्सा है।" IS4OM सेंटर में मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैंकिंग रडार लगाया गया है, जो एक निश्चित वक्त में एक साथ कई चीजों पर नजर रख सकता है, जो सैटेलाइट्स की तरफ बढ़ रहा हो। इसके अलावा एक अलग से रडार ऑब्जर्वेशन नेटवर्क लगा हुआ है, जो सैटेलाइट्स पर नजर रखेगा। इनके अलावा सेंटर में ऑप्टिकल ऑब्जर्वेशन नेटवर्क भी मौजूद है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की तरफ बढ़ने वाले पत्थरों और ऐस्टेरॉइड या कॉमेट की जानकारी लेगा और बताएगा, कि उससे कैसे बचा जाए या फिर उसे खत्म कर दिया जाए। इस सेंटर की सबसे बड़ी खासियत ये है, कि इसके जरिए सबसे पहले सैटेलाइट की तरफ बढ़ने वाले खतरे को ट्रैक किया जाएगा, फिर उसकी जांच की जाएगी और फर उस खतरे को खत्म कर दिया जाएगा और इस तरह से सैटेलाइट की रक्षा की जाएगी।
अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बनने की तरफ देश
आने वाले वक्त में अंतरिक्ष में वर्चस्व जमाने की जंग काफी तेज हो जाएगी और चीन और अमेरिका जैसे देशों ने ऐसे मिसाइल बना लिए हैं, जिनसे अंतरिक्ष में मौजूद किसी दूसरे देश के उपग्रहों को नष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा अंतरिक्ष के जरिए डिफेंस टेक्नोलॉजी, मिसाइल टेक्नोलॉजी, गोपनीय जानकारियों और नेविगेशन की क्षमता भी विकसित की गई है, लिहाजा अंतरिक्ष में अपनी संपत्ति की रक्षा करना काफी ज्यादा जरूरी है और दिसंबर 2020 में ISRO ने SSA गतिविधियों के लिए एक समर्पित नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन किया था, जिसका उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष संपत्तियों की निगरानी, ट्रैकिंग और सुरक्षा करना था। इसरो एसएसए नियंत्रण केंद्र, जिसे 'नेत्र' (अंतरिक्ष वस्तु ट्रैकिंग और विश्लेषण के लिए नेटवर्क), कहा जाता है, वह भारत के अंदर विकसित की गई स्पेस सुरक्षा की पहली क्षमता थी। और अब इसरो ने अपनी दूसरी बड़ी क्षमता हासिल की है।
2022 में इसरो के बड़े प्लान्स
पिछले साल यानि 2021 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ठीकठाक ही रहा था, लेकिन इस भारत ऐसे कई अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दे रहा है, जिससे अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की धाक ना सिर्फ और ज्यादा बढ़ रही है, बल्कि सारी दुनिया भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आगे नतमस्तक भी हो रही है। इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि, अगले कुछ सालों में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, वीनस मिशन, सोलर मिशन और स्पेस स्टेशन बनाने को लेकर मिशन की शुरूआत करने वाला है। भारत सरकार की तरफ से संसद में जानकारी दी गई थी कि, साल 2022 में इसरों बेहद महत्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम वीनस मिशन को शुरू करेगा। हालांकि, कोविड महामारी की वजह से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कुछ देरी जरूर हुई है, लेकिन इस साल भारत कई और मिशन को अंजाम देने वाला है।
वैश्विक एजेंसी बनने की तरफ इसरो
विश्व की दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ साथ अंतरिक्ष सेक्टर में विस्तार के लिए इसरो के लिए नई नीतियों का निर्धारण किया गया है और अमेरिका की तर्ज पर भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल करने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही इसरो में एफडीआई को भी मंजूरी दी गई है, ताकि इसरो के सामने अब तक जो आर्थिक चुनौतियां आ रहीं थीं, उसे दूर किया जा सके। लिहाजा इस साल पूरी उम्मीद है कि, एफडीआई को लेकर भारत सरकार तमाम नियमों को इस साल पूरा करेगी। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, वैश्विक अंतरिक्ष बाजार करीब 360 अरब डॉलर का है और साल 2040 तक अंतरिक्ष बाजार के एक ट्रिलियन डॉलर के होने की उम्मीद है, ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए दायित्व और जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं।
स्पेस इंडस्ट्री में क्या है भारत की हिस्सेदारी?
वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 2 प्रतिशत है, लिहाजा ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए भारत एक नये खिलाड़ी जैसा जरूर है, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने टेक्नोलॉजी को लेकर जो विस्तार किया है, वो इसे विश्व के अग्रणी स्पेस एजेसियों में से एक बनाता है। पिछले साल संसद में भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए कहा था कि, ''अगले साल यानि 2022 में गगनयान मिशन से पहले इसरो दो मानवरहित मिशनों को पूरा करने वाला है और भारत सरकार की भी यही योजना है''। लिहाजा, भारत का गर्व बन चुका इसरो लगातार नये नये मिशनों को अंजाम दे रहा है, जिससे भारत की शान पूरी दुनिया में बढ़ रही है।
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