भारत के दो खास बंदरगाह का इस्तेमाल करेगा नेपाल, चीन-पाकिस्तान के मंसूबों पर फिरा पानी
भारत ने नेपाल को गुजरात और ओडिशा में अपने दो महत्वपूर्ण बंदरगाहों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। चारों तरफ से जमीन से घिरा नेपाल अब साल 2023 से इन दोनों ही बंदरगाहों का इस्तेमाल व्यापार और ट्रांजिट के लिए कर सकेगा।
काठमांडू, 29 अगस्तः भारत ने नेपाल को गुजरात और ओडिशा में अपने दो महत्वपूर्ण बंदरगाहों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। चारों तरफ से जमीन से घिरा नेपाल अब साल 2023 से इन दोनों ही बंदरगाहों का इस्तेमाल व्यापार और ट्रांजिट के लिए कर सकेगा। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के कदम से न केवल नेपाल को भारतीय बाजारों में प्रवेश मिलेगा बल्कि वह दक्षिण पूर्व और मध्य एशियाई देशों तक भी पहुंच पाऐगा।
'पड़ोसी पहले' नीति के तहत सरकार ने लिया फैसला
आपको बता दें कि वर्तमान में नेपाल को केवल कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति है। 'पड़ोसी पहले' नीति के तहत अब नरेंद्र मोदी सरकार ने फैसला किया है कि वह अब नेपाल को भारत के दो रणनीतिक बंदरगाहों- गुजरात में मुंद्रा पोर्ट और ओडिशा में धामरा पोर्ट से माल निर्यात और आयात करने की अनुमति देगी।
लंबे समय से मांग कर रहा था नेपाल
नेपाल लंबे समय से यह मांग कर रहा था कि व्यापार और ट्रांजिट के लिए कई दशक पहले हुई संधि को अपग्रेड किया जाए। इस संधि पर अंतिम बार साल 2016 में समीक्षा हुई थी। भारत अभी नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। हालांकि नेपाल लगातार शिकायत कर रहा है कि वह विभिन्न गैर टैरिफ बाधाओं के कारण भारतीय बाजारों में प्रवेश नहीं बना पाया है। इसके साथ ही नेपाल को सरकारी स्वामित्व वाली कार्गो रेलवे सेवाओं के इस्तेमाल करने की भी अनुमति देने की बात चल रही है।
नेपाली चाय और मसाले को मिलेगा भारतीय बाजार
सूत्रों के मुताबिक नेपाल में भारत से मांग की थी कि वह नेपाली चाय और मसालों के लिए भारतीय बाजार मुहैया कराए। नेपाल इस बात से नाराज था कि उसकी चाय जो कई रूपों में भारतीय बाजारों में प्रवेश करती है, पैक कर दार्जिलिंग चाय या सीलोन चाय के रूप में बेच दी जाती है। इससे उसके किसानों को भारी नुकसान होता है।
पाकिस्तान-चीन को लगा झटका
भारत के इस दांव से चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है जो अपने बंदरगाहों के इस्तेमाल की अनुमति देकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहे थे। चीन अपनी कर्ज का जाल बन चुकी बीआरआई परियोजना को नेपाल तक बढ़ा रहा है। चीन ने अपने बंदरगाहों और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के रास्ते नेपाली माल के आयात-निर्यात करने का ऑफर दिया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच साल 2019 में एक समझौते भी हुआ था।
नेपाल-चीन में हुई थी डील
नेपाल और चीन के बीच समझौते के बाद अब काठमांडू को चीन के सात समुद्री और जमीनी बंदरगाहों तक तीसरे देश के साथ व्यापार की पहुंच मिली हुई है। इस डील के बाद भी नेपाल के लिए चीन के रास्ते व्यापार आसान नहीं है। सबसे बड़ी समस्या नेपाली पक्ष की ओर आधारभूत ढांचे की है। चीन की भाषा भी समस्या बनी हुई है। इसके अलावा नेपाल से चीन के बंदरगाह तक की दूरी भी 4000 किमी है, ऐसे में वहां तक भेजने का किराया भी बहुत ज्यादा होगा। यह भारत के कोलकाता बंदरगाह और नेपाल के बीरगंज के बीच दूरी का चार गुना है।
2015 में भारत-नेपाल के संबंध हुए खराब
अभी तक नेपाल भारत के रास्ते से ही सामानों का आयात निर्यात करता है। साल 2015 में भारत ने नेपाल की नाकेबंदी कर दी थी, इसके बाद दोनों ही देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि अब दोनों के बीच रिश्ते काफी अच्छे हुए हैं। पिछले दिनों पीएम मोदी ने नेपाल की यात्रा भी की थी।