कैसी हैं अमरीका की ताक़तवर टॉमहॉक मिसाइलें
अमरीका ने सीरिया पर एक बार फिर से हमला कर दिया है और इस बार भी टॉम हॉक मिसाइलें दागी जा रही हैं.
टॉम हॉक मिसाइलें अमरीका के तरकश के वे अचूक मिसाइलें हैं जिनका वो पिछले 20 सालों से इस्तेमाल करता आ रहा है.
अमरीका जब भी अपने टारगेट पर एक सुरक्षित दूरी से रहकर अचूक हमला करना चाहता है तो टॉम हॉक मिसाइलें इस्तेमाल की जाती हैं.
अमरीका ने सीरिया पर एक बार फिर से हमला कर दिया है और इस बार भी टॉम हॉक मिसाइलें दागी जा रही हैं.
टॉम हॉक मिसाइलें अमरीका के तरकश के वे अचूक मिसाइलें हैं जिनका वो पिछले 20 सालों से इस्तेमाल करता आ रहा है.
अमरीका जब भी अपने टारगेट पर एक सुरक्षित दूरी से रहकर अचूक हमला करना चाहता है तो टॉम हॉक मिसाइलें इस्तेमाल की जाती हैं.
सीरिया में चरमपंथी संगठनों के ठिकानों पर अमरीका ने पहले भी हवाई हमले किए हैं लेकिन साल 2017 में पहली बार सीरिया में अमरीका ने सीधी कार्रवाई की थी.
ये हमले सीरियाई सरकार के हितों के ख़िलाफ़ किए गए थे. सीरिया में साल 2011 से ही युद्ध जारी है.
अचूक निशाना, लंबी दूरी
आप ये सवाल पूछ सकते हैं कि आख़िर ये टॉमहॉक मिसाइलें क्या हैं और इनमें ऐसा क्या हैं जिसकी वजह से अमरीका इनपर निर्भर है.
छह मीटर लंबी, तकरीबन डेढ़ हज़ार किलो वजनी ये मिसाइलें लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. इन मिसाइलों को 454 किलो विस्फोटकों से लैस किया जा सकता है.
टॉमहॉक मिसाइलें 885 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से 1600 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती हैं.
द वाशिंगटन पोस्ट अख़बार रक्षा विश्लेषक क्रिस हार्मर के हवाले से लिखा है कि टॉमहॉक मिसाइलों की विस्फोटक क्षमता दूसरे मिसाइलों से कम है.
नेवी अफ़सर रह चुके क्रिस हार्मर कहते हैं कि जब ज़मीन पर हवाई बमबारी की बात हो तो ये बात उतनी मायने नहीं रखती.
खाड़ी युद्ध के ज़माने से...
ये मिसाइलें जीपीएस टेक्नॉलॉजी पर काम करती हैं. बेशक टॉमहॉक मिसाइलें भी चूक सकती हैं, लेकिन वो भी टारगेट से 10 मीटर से ज़्यादा दूर नहीं जाती.
अमरीका की रेदियन कंपनी टॉमहॉक मिसाइलों का निर्माण करती है. कंपनी का दावा है कि टॉमहॉक दुनिया की सबसे अत्याधुनिक क्रूज़ मिसाइलें हैं.
कहते हैं कि टॉमहॉक मिसाइलों का निर्माण दो हज़ार से भी ज़्यादा बार इस्तेमाल किया जा चुका है और 500 से ज़्यादा बार इनका परीक्षण किया जा चुका है.
टॉमहॉक मिसाइलों का एक लंबा इतिहास भी है. नब्बे के दशक में खाड़ी युद्ध के ज़माने से टॉमहॉक मिसाइलें अमरीकी हथियारों के जखीरे का अहम सामान रही हैं.
तब अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के गठबंधन में इराक़ पर सैन्य कार्रवाई की थी और ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म चलाया था.
गद्दाफ़ी के ख़िलाफ़
केवल इराक़ ही नहीं बल्कि लीबिया में भी टॉमहॉक मिसाइलें आजमाई जा चुकी हैं.
साल 2011 में जब कर्नल गद्दाफी की हुकूमत के ख़िलाफ़ नैटो देशों ने कार्रवाई की थी तब भी टॉमहॉक मिसाइलें बेहद कारगर रही थीं.
अमरीका ने टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल साल 2014 में खुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन के ख़िलाफ़ किया था.
आईएस के ख़िलाफ़ ये हमला सीरिया में किया गया था. उस वक़्त फारस की खाड़ी और लाल सागर में मौजूद दो जहाजों से 47 टॉमहॉक मिसाइलें दागी गई थीं.
लीबिया और सीरिया के बाद यमन में तीन रडार ठिकानों को नष्ट करने के लिए भी टॉमहॉक मिसाइलें इस्तेमाल की गई थीं.
साल 2017 में पूर्वी भूमध्यसागर में मौजूद दो युद्धक जहाजों से अमरीका ने सीरिया के एक एयरबेस पर 59 टॉमहॉक मिसाइलें दागी थीं.