भगवान बुद्ध के बाल पर कैसे टिकी है ये सोने की चट्टान? गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत फेल, उलझे वैज्ञानिक
विज्ञान के लिए चट्टान का ये संतुलन रहस्यमयी जरूर हो, लेकिन भक्तों के लिए ये भगवान बुद्ध का चमत्कार है और भक्तों का मानना है कि परमात्मा की कृपा से ही ये चट्टान पहाड़ के धरातल से टिका हुआ है।
नायपीडॉ, जनवरी 09: प्रकृति के पास इंसानों को आश्चर्य में डालने के लिए हजारों-लाखों कहानियां हैं, जिनके पीछे विज्ञान है या चमत्कार, ये जानने में इंसान उलझा हुआ रहता है। म्यांमार की एक 'सोने की चट्टान' ने इन दिनों वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल रखा है और वैज्ञानिक ये जानने के लिए अपना माथा पीट रहे हैं, कि आखिर ये गोल्डेन रॉक एक पहाड़ी के ऊपर टिका कैसे है?
मोन राज्य में स्थिति है पहाड़ी
म्यांमार के मोन राज्य, जो प्राकृतिक सुंदरता और बुद्ध मंदिर के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, वहां पर क्याइक्तियो शिवालय स्थिति है, जिसे गोल्डेन रॉक के नाम से भी जाना जाता है। यह क्यिक्तियो पहाड़ी (केलासा पहाड़ियों या पूर्वी योमा पहाड़ों के रूप में भी जाना जाता है) के शीर्ष पर स्थित है, और पूर्वी योमा पहाड़ों के पाउंग-लौंग रिज पर है। बादलों से घिरा, इसकी उत्पत्ति और कहानी पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को रहस्य और पौराणिक कथाओं का एक आकर्षक स्वाद प्रदान करती है।
25 फीट ऊंची है चट्टान
गोल्डेन रॉक की ऊंचाई करीब 25 फीट है और इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं और चारों तक की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अद्भुत सुकून देती है। लेकिन, 25 फीट की इस चट्टान का बैलेंस लोगों को आश्चर्यकित करता है। 25 फीट ऊंचा ये चट्टान पूरी तरह से एक ढलान पर स्थिति है और काफी रहस्यमयी तरीके से ये संतुलित है। ये चट्टान अपने आधार से जुड़ा हुआ नहीं है, लिहाजा ये चट्टान विज्ञान के लिए भी एक रहस्यमयी आश्चर्य है।
भक्तों के लिए है चमत्कार
विज्ञान के लिए चट्टान का ये संतुलन रहस्यमयी जरूर हो, लेकिन भक्तों के लिए ये भगवान बुद्ध का चमत्कार है और भक्तों का मानना है कि परमात्मा की कृपा से ही ये चट्टान पहाड़ के धरातल से टिका हुआ है और लुढ़क नहीं रहा है। उपासकों का मानना है कि बुद्ध की चमत्कारी शक्तियों के कारण चट्टान संतुलन में रहती है। जिस पहाड़ी के ऊपर यह चट्टान टिकी हुई है, उसके बीच बुद्ध के बालों का एक किनारा रखा हुआ है और भक्तों का मानना है कि, भगवान बुद्ध के बालों की वजह से ही इस चट्टान का संतुलन बना हुआ है।
विज्ञान ने कहा- प्राकृतिक आश्चर्य
हलांकि, म्यांमार के कई इंजीनियरों ने इस चट्टान को लेकर पौराणिक धारणाओं को मानने से इनकार कर दिया है, लेकिन इंजीनियरों ने अभी तक इस रहस्य का खुलासा नहीं किया है। वहीं, स्मिथसोनियन चैनल के एक डॉक्यूमेंट्री, 'वंडर्स ऑफ बर्मा: श्राइन्स ऑफ गोल्ड' के दौरान इसकी कहानी और इतिहास की खोज की गई। इस डॉक्यूमेंट्री में इसके पीछे किसी अद्भुत 'शक्ति' की बात कही गई है और कहा गया है कि, ये चट्टान जिस तरह से टिकी हुई है वो गुरुत्वाकर्षण के नियमों की अवहेलना करती है। डॉक्यूमेंट्री में इसे एक प्राकृतिक आश्चर्य कहा गया है, जिसे कहानियों द्वारा पवित्र बनाया गया है।"
हजार साल पुरानी कहानी का जिक्र
इस चट्टान को लेकर इस क्षेत्र में एक हजार साल पुरानी कहानी का हवाला दिया जाता है और कहा जाता है कि 'अपर सोम' नामक क्षेत्र में एक राज्य के साथ इस चट्टान की कहानी शुरू होती है। कहानी के मुताबिक, एक दिन राजा का सामना एक बौद्ध साधु से हुआ था, जिन्होंने अपनी टोपी के अंदर बालों का एक कतरा रखा था। साधु ने खुद का परिचय बुद्ध के तौर पर दिया था और उन्होंने अपने बालों का गुच्छा राजा को उपहार दिया था।
साधु ने दिया आशीर्वाद
बदले में साधु ने जोर देकर कहा कि, बालों को उसके सिर के आकार की चट्टान पर बने शिवालय में रखा दो। ऐसा कहा जाता है कि, राजा के पास अलौकिक शक्तियां उनके पिता से उन्हें मिली थीं और उनकी मां सापों की राजकुमारी थी और राजा ने भगवान बुद्ध के आशीर्वाद से इस चट्टान को लुढ़कती पहाड़ी पर रख दिया था और तब से ये चट्टान पहाड़ पर बालों की शक्ति की वजह से टिकी हुई है।
अद्वितीय विशेषताएं
शिवालय माउंट क्यिक्तियो के शीर्ष पर स्थित ये चट्टन आस्था का प्रमुख केन्द्र माना जाता है और भक्त यहां पर भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। इसे तीसरा सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है (श्वेडागन शिवालय और महामुनि शिवालय के बाद)। कई अनुयायियों का मानना है कि गुरुत्वाकर्षण-विरोधी गोल्डन रॉक की एक झलक किसी भी व्यक्ति के लिए बौद्ध धर्म का आशीर्वाद लेने के लिए एक प्रेरणा के लिए पर्याप्त है। ये चट्टान दिखने में सोने के रंग का है, लेकिन वास्तव में ये सोने का नहीं है।
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