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‘कोरोना वायरस की सारी वैक्सीन एक साल के अंदर बेअसर, अगले साल फिर होगी नई वैक्सीन की जरूरत’

कोरोना वायरस के सभी वैक्सीन एक साल या उससे कम वक्त में बेअसर हो जाएंगे और दुनिया को एक साल के अंदर नई वैक्सीन की जरूरत होगी- वैज्ञानिक

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस तो लेकर विश्व के प्रख्यात वैज्ञानिकों ने टेंशन में डालने वाला दावा किया है। विश्व के प्रख्यात महामारी विशेषज्ञों और वायरोलॉजिस्ट ने खुलासा किया है कि महज एक साल से कम वक्त में विश्व को फिर से कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत होगी। और वैक्सीन की पहली जेनरेशन एक साल के अंदर ही इंसानी शरीर के लिए अप्रभावी हो जाएंगी। लिहाजा, वैज्ञानिकों ने दुनिया के सामने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जल्दी से जल्दी वैक्सीनेशन प्रोग्राम को पूरा कर कोरोना वायरस की रफ्तार को थाम लेना चाहिए, नहीं तो एक साल के अंदर में फिर पुरानी जैसी ही स्थिति बन जाएगी।

‘ज्यादातर वैक्सीन अप्रभावी’

‘ज्यादातर वैक्सीन अप्रभावी’

वैज्ञानिकों ने दुनिया में इस्तेमाल होने वाली तमाम वैक्सीन्स के अप्रभावी होने की चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस लगातार अपनी प्रकृति बदल रहा है यानि ये लगातार म्यूटेट हो रहा है और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में कोरोना वायरस के कई वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं, जिनमें से कोरोना वायरस के कुछ वेरिएंट काफी ज्यादा खतरनाक और जानलेवा हैं, जिनका पहला स्ट्रेन चीन के वुहान शहर में मिला था।

28 देशों में किया गया सर्वे

28 देशों में किया गया सर्वे

कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर पिपल्स वैक्सीन अलायंस ने सर्वे करवाया है। जिसमें अमेनेस्टी इंटरनेशनल, यूएनएआईडीएस और ऑक्सफाम जैसी संस्थाओं ने हिस्सा लिया है। ये सर्वे विश्व के 28 से ज्यादा देशों में किया गया है। जिसमें पाया गया है कि दो तिहाई से ज्यादा नतीजों में उत्तर मिले हैं कि इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन की वैलिडिटी महज एक साल है। वहीं, एक तिहाई से ज्यादा जबाव में पाया गया कि हमारे पास नया वैक्सीन बनाने के लिए 9 महीने से कम वक्त बचा है। इस सर्वे में 28 देशों के 77 महामारी विशेषज्ञ वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट ने हिस्सा लिया था।

वैक्नीनेशन की सुस्त रफ्तार

वैक्नीनेशन की सुस्त रफ्तार

इस सर्वे में पाया गया है कि विश्व के ज्यादातर देशों में वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी सुस्त है। जिसकी वजह से कोरोना वैक्सीन का नया वेरिएंट इस वैक्सीन को बायपास कर सकता है। यानि, जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगा है, उनको नया वेरिएंट शिकार बना सकता है और तबतक जिन लोगों को वैक्सीन लगा है, उनके अंदर में मौजूद वैक्सीन बेअसर हो जाएगी और कोरोना वायरस का कहर लगातार बना रहेगा। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 88 प्रतिशत वैज्ञानिक बड़े संस्थानों के वैज्ञानिक हैं। जिनमें से जॉन हॉपकिन्स, येल, इम्पीरियल कॉलेज भी शामलि हैं। वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन से कोरोना वायरस संक्रमण रूक सकता है लेकिन दिक्कत ये है कि जब उतने वक्त में वायरस का नये स्ट्रेन फिर से सिर उठा सकता है।

टीकाकरण में भेदभाव

टीकाकरण में भेदभाव

वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर कोई देश ये समझ रहे हों कि वो अपने यहां सौ फीसदी टीकाकरण कर कोरोना वायरस से बच जाएंगे तो ये संभव नहीं है। क्योंकि, जिन देशों में टीकाकरण नहीं होगा, वहां से कोरोना वायरस फिर से फैलेगा। आपको बता दें कि अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में काफी तेज रफ्तार से वैक्सीनेशन प्रोग्राम जारी है और इन देशों में एक चौथाई से ज्यादा आबादी को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। वहीं, साउथ अफ्रीकन देश और थाइलैंड जैसे देशों में एक प्रतिशत जनता को भी कोरोना वायरस का टीका नहीं लगा है, जो दुनिया के लिए ही खतरनाक है।

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English summary
All the vaccines of the corona virus will be neutralized in a year or less and the world will need a new vaccine within a year - Scientist
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