सबरीमाला में बिना बिजली और पंपिग के 2 करोड़ लीटर पानी की बचत, अपनाया गया ये अनोखा तरीका
सबरीमाला। केरल के सबरीमाला सन्निधानम में बिना एक भी यूनिट बिजली खर्च किए और बिना किसी मोटर के इस्तेमाल के 2 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई है। यहां पानी की बचत गुरुत्वाकर्षण के जरिए की गई है। पाइपलाइन की मदद से पानी कुन्नर बांध से सन्निधानम के पंडीथवलम तक लाया जाता है और फिर जल का भंडारण 9 बड़े जलाशयों में किया जाता है। ये जलाशय सबरीमाला में ऊंचे स्थान पर मौजूद हैं। इसके साथ ही बिना किसी मोटर के इस पानी को इस्तेमाल के लिए कई इमारतों तक भी पहुंचाया जाता है। पांच जलाशयों में पानी हमेशा ही संरक्षित रहता है और बाकी के 4 जलाशयों का पानी इस्तेमाल में लिया जाता है।
कुन्रर और चक बांध घने जंगलों में सन्निधानम से 7 किमी की दूरी पर स्थित हैं। ये पानी स्वचालित रूप से खुद ही जलाशयों तक पहुंच जाता है। ये वो पानी होता है, जो इन बांधों में निचले स्तर पर होता है। पानी 6 इंच चौड़ी दो लोहे की पाइप की मदद से जलाशयों तक पहुंचता है। हालांकि इन पाइप्स को इसी साल तीन बार हाथियों ने क्षति पहुंचाई है। जलाशयों में मौजूद इस पानी को हर दो घंटे में क्लोरीनेट किया जाता है। जल प्राधिकरण अधिकारी हर दिन पानी की गुणवत्ता की जांच करते हैं। कोच्ची पेरुमबलम के रहने वाले टीपी प्रदीश बीते करीब 20 साल से क्लोरीनेट ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे हैं।
नए निर्मित जलाशय में 70 लाख लीटर तक पानी संरक्षित किया जा सकता है। ये टैंक 70 मीटर लंबा और 35 मीटर चौड़ा है। इसके अलावा बाकी के 6 टैंक में 20 लाख लीटर पानी संरक्षित करने की क्षमता है। साथ ही एक टैंक ऐसा है, जिसमें 18 लाख लीटर पानी संरक्षित करने की क्षमता है। आमतौर पर तीर्थयात्रा के समय सन्निधानम में एक दिन में 70 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। वहीं जब यात्रियों की बड़ी संख्या यहां आती है, उस दौरान प्रतिदिन 1.15 करोड़ लीटर पानी की खपत होती है। ये पानी इस्तेमाल के लिए जलाशयों से पंडीथवलम में सभी इमारतों, अन्नदाना मंडपम, मेसिस और औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचता है।
तस्वीर- सोशल मीडिया
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