शरद पवार पर मेहरबान उद्वव सरकार, आपत्तियों को दरकिनार कर शरद पवार के ट्रस्ट को दी सस्ती जमीन!
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार एनसीपी मुखिया पर मेहरबान है। ठाकरे सरकार ने शरद पवार की अध्यक्षता वाली संस्था वसंतदादा चीनी संस्थान को बहुत की कम कीमत पर जमीन आवंटित की है। सरकार की ओर से इस संस्था को 51 हेक्टेयर सरकारी जमीन आवंटित की गई है, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत तकरीबन 10 करोड़ रुपए है, लेकिन वसंतदादा संस्थान को यह बहुत की कम कीमत पर आवंटित की गई है। यह पूरा मामला अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है और विपक्ष सरकार पर इस जमीन को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है।
तमाम आपत्तियों को किया दरकिनार
अहम बात यह है कि राजस्व विभाग, वित्त विभाग और राज्य के महाधिवक्ता की राय को दरकिनार करके उद्धव ठाकरे सरकार ने यह फैसला लिया है। मराठवाड़ा के जालना में स्थित इस जमीन को विशेष मामले के तहत शरद पवार की अध्यक्षता वाले संस्थान को आवंटित की गई है। बता दें कि यह जमीन जालना जिले के पठारवाला गांव में स्थित। इस जमीन का अधिग्रहण प्रदेश के कृषि विभाग ने बीज फार्म की स्थापना के लिए किया था। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार इस जमीन की कीमत 9.99 करोड़ रुपए है।
एनसीपी ने किया बचाव
वहीं इस पूरे प्रकरण पर एनसीपी नेता नवाब मलिक का कहना है कि जमीन को वसंतदादा सुगर इंस्टीट्यूट को किराए पर दिया गया है ना कि शरद पवार को। शरद पवार इस संस्थान के ट्रस्टी हैं। यह इंस्टीट्यूट गन्ना किसानों के हित के लिए काम करता है, लिहाजा इसका राजनीतीकरण नहीं करना चाहिए। उधर रियायती कीमतों पर पर जमीन दिए जाने पर राजस्व विभाग का कहना है कि 1997 के हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार जमीन को आवंटित नहीं किया जा सकता है। राजस्व विभाग ने कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहीत जमीन का प्रयोग उसी काम के लिए इस्तेमाल करना होगा जिसके लिए इसे अधिग्रहीत किया गया है। लेकिन ऐसा नहीं होता तो इस जमीन को उसके मूल मालिक को वापस कर देना चाहिए।
कई मंत्री हैं ट्रस्टी
गौरतलब है कि 1975 में शुगर कॉपरेटिव की जानी मानी हस्तियों ने एक पब्लिक ट्रस्ट का गठन किया था, जिसमे पुणे की वसंतदादा चीनी संस्थान भी अहम है। इस संस्थान को देश की प्रमुख चीनी अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान में गिना जाता है। इसके अध्यक्ष शरद पवार हैं। वहीं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार, उत्पाद मंत्री दिलीप वालसे, वित्त मंत्री जयंत पाटिल, राजस्व मंत्री बाला साहेब थोराड भी इस संस्थान के ट्रस्टी हैं।