त्रिपुरा: सीएम बिप्लब देब ने UAPA मामलों की समीक्षा के दिए आदेश, वकील-पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हैं केस
अगरतला, 27 नवंबर: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने शनिवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। वकीलों और पत्रकारों सहित 102 लोगों पर हाल ही में पिछले महीने त्रिपुरा में हिंसा के नकली फोटो को कथित रूप से शेयर करने के लिए यूएपीए की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने दिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीएस यादव को इस मामलों के रिव्यू करने के लिए निर्देश दिए है। सीएम के निर्देश के बाद डीजीपी ने एडीजी क्राइम ब्रांच को मामले के रिव्यू करने का आदेश जारी किया है।
दरअसल, वकीलों और पत्रकारों सहित 102 लोगों पर हाल ही में त्रिपुरा में हिंसा के फेक फोटो को शेयर करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए थ, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि राज्य में शांति भंग हुई, जिसके चलते सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के प्रयास से केस दर्ज किए गए। डीजीपी त्रिपुरा वीएस यादव ने एएनआई न्यूज एजेंसी को बताया कि बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा में कुछ घटनाएं हुईं। यहां स्थिति सामान्य थी, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी वीडियो और तस्वीरों की मदद से संदेश फैलाया जा रहा था कि त्रिपुरा में मस्जिदों में आग लगा दी गई और लोग मारे गए। यह झूठ था।
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डीजीपी ने आगे कहा कि इसलिए स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हमने एक मामला उठाया था, जिसमें हमने आईपीसी के अलावा यूएपीए भी लगाया था। हमें यह भी पता चला था कि वायरल तस्वीरों और वीडियो के पीछे पाकिस्तान से जुड़े एक प्रतिबंधित संगठन का भी हाथ है। चूंकि यह प्रतिबंधित संगठन था इसलिए यूएपीए लागू करना जरूरी था। डीजीपी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने 102 सोशल मीडिया पोस्ट को शामिल किया था। इसका मतलब यह नहीं है कि वे सभी यूएपीए के लिए उत्तरदायी होंगे, यह केवल सबूत होने पर ही लगाया जाएगा। मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा हूं। इन सभी पर यूएपीए के तहत कार्रवाई तभी की जाएगी, जब उनके पास सबूत हों।
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सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर को उन तीन लोगों को राहत दी थी, जिन्होंने अपने खिलाफ यूएपीए के मामलों को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार को नोटिस जारी कर कहा था कि अगले आदेश तक तीनों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।